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DNA with Sudhir Chaudhary: आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भी है और इस मौके पर हम आपको योग की उस Soft Power के बारे में बताएंगे, जिसका फायदा हम कभी नहीं उठा सके और पश्चिमी देशों में अब इसी योग को Mindfulness और Wellness के नाम से बेचा जा रहा है. आपने देखा होगा कि हर देश आज किसी ना किसी वस्तु या सेवा का निर्यात करता है. यानी एक्सपोर्ट करता है. जैसे रशिया और यूक्रेन अनाज का निर्यात करते हैं. सऊदी अरब और UAE जैसे देश कच्चे तेल का निर्यात करते हैं और अमेरिका हथियारों का निर्यात करता है. लेकिन भारत दुनिया का शायद इकलौता ऐसा देश है, जिसने दुनिया को योग एक्सपोर्ट किया है और भारत ने दुनिया को योग के जरिए ये बताया है कि जीवन जीने की पद्धति क्या होनी चाहिए.
लेकिन एक कड़वा सच ये भी है कि हमारा देश आजादी के बाद योग की Soft Power का उस तरह से विस्तार नहीं कर पाया, जिस तरह दक्षिण कोरिया ने Korean Pop को अपनी ताकत बनाया और अमेरिका ने Hollywood के जरिए अपनी सुपरपॉवर वाली पहचान बनाई. जबकि योग हमें भारतीय संस्कृति से मिला सबसे कीमती उपहार है.
भगवान शिव हैं सबसे बड़े योगी
हजारों साल पुराना योग आज भी नया और प्रासंगिक है. योग शब्द का सबसे प्राचीन उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है. द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने गीता में योग के महत्व की व्याख्या की थी और इसे आत्मा से परमात्मा तक पहुंचने की एक शैली बताया था. इसके अलावा हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को सबसे बड़ा योगी माना गया है. कई वैज्ञानिकों के अध्ययनों में भी इस बात का जिक्र है कि कुछ वर्ष पहले American Institute of Vedic Studies ने भगवान शिव को योग का Grand Master बताया था. इसी स्टडी में ये भी लिखा था कि भगवान शिव का नटराज अवतार यानी नृत्य करते हुए शिव की अलग अलग मुद्राएं अलग-अलग आसनों को जन्म देती है.
जानें सूर्य नमस्कार के फायदे
सूर्य नमस्कार योग के सबसे चर्चित आसनों में से एक है. क्योंकि इसमें 12 अलग-अलग तरह के आसन एक साथ किए जाते हैं और आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 30 मिनट तक सूर्य नमस्कार करने से 430 Calories Burn होती हैं. जबकि किसी Gym में 30 मिनट तक Weight lifting करने से 199 Calories और 30 मिनट तक दौड़ने से 414 Calories ही Burn होती हैं. यानी जो लोग Calories Burn करने को फिटनेस का पैमाना मानते हैं, उनके लिए भी योग सबसे बढ़िया व्यायाम साबित हो सकता है.
महर्षि पतंजलि को योग का जनक कहा जाता है और पश्चिमी देशों में योग का प्रचार-प्रसार करने का श्रेय स्वामी विवेकानंद को दिया जाता है. वर्ष 1893 में जब अमेरिका के शिकागो में स्वामी विवेकानंद ने विश्व धर्म संसद को सम्बोधित किया था, तब उन्होंने पश्चिमी देशों का परिचय योग से कराया था. लेकिन ये हमारे देश का दुर्भाग्य है कि आज इन देशों में योग काफी लोकप्रिय है, लेकिन इसे वहां लोग योग के नाम से नहीं जानते.
दुनिया में अलग-अलग नामों से जाना जाता है योग
अमेरिका, ब्रिटेन और बाकी पश्चिमी देशों में भारत के योग और अध्यात्म को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. अमेरिका में अध्यात्म के लिए Mindfulness शब्द का इस्तेमाल होता है. इसी तरह ब्रिटेन में योग और अध्यात्म के लिए Wellness और Meditaion शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. यानी जिस योग को भारत ने दुनियाभर में एक्सपोर्ट किया, वही योग आज इन देशों में Wellness और Meditaion के नाम पर बेचा जा रहा है और इसके जरिए बड़ी-बड़ी कम्पनियां हजारों करोड़ रुपये कमा रही हैं.
विदेशी देशों में योग के नाम पर होता है कारोबार
आज अमेरिका में योग का कारोबार 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये है. ब्रिटेन में 7 हजार 920 करोड़ रुपये, चीन में लगभग 27 हजार करोड़ रुपये और ऑस्ट्रेलिया में योग का कारोबार 4 हजार 700 करोड़ रुपये का है. लेकिन इन देशों में ये कारोबार Wellness Industry के नाम पर होता है. यानी भारत ने दुनिया को आयुर्वेद दिया, योग दिया और अध्यात्म भी दिया. लेकिन हम इन्हें भारत के ब्रैंड के रूप में स्थापित नहीं कर पाए और अमेरिका और पश्चिमी देशों ने इसी बात का फायदा उठाया.
हिंदू धर्म के योग को नाम बदलकर किया जा रहा इस्तेमाल
उदाहरण के लिए, अमेरिका की Kansas (कैन्सस) City में एक Catholic College है, जहां वर्ष 2017 से पहले तक छात्रों को Yoga Classes दी जाती थीं. लेकिन 2017 में कुछ लोगों ने ये कहते हुए योग का विरोध करना शुरू कर दिया कि, योग हिन्दू धर्म का प्रचार प्रसार करता है इसलिए इस पर रोक लगनी चाहिए. इस विवाद के बाद इस कॉलेज ने Yoga Classes तो बन्द नहीं की लेकिन इसका नाम बदल कर Lifestytle Fitness कर दिया. यानी इस कॉलेज में आज भी छात्र Yoga Classes में जाते हैं लेकिन वहां इसे Lifestytle Fitness कहा जाता है.
इसी तरह पश्चिमी देशों में योग के दौरान ऊं शब्द का उच्चारण नहीं किया जाता. बल्कि इसकी जगह ईसाई धर्म से जुड़ी प्रार्थनाएं और मंत्रों का उच्चारण होता है और इसे वहां बहुत सारे लोग योग नहीं बल्कि Pietra (पिऐट्रा) Fitness कहते हैं.
इस सवाल का जवाब जानते हैं आप?
आज अगर हम आपसे ये पूछें कि Bruc Lee कौन थे तो आपमें से ज्यादातर लोग बता देंगे कि वो एक Martial Artist थे और उन्होंने चीन की Martial Art को पूरी दुनिया में लोकप्रिय बनाया था. लेकिन अगर हम आपसे ये पूछें कि स्वामी शिवानंद कौन हैं तो आपमें से बहुत सारे लोग इसका जवाब नहीं दे पाएंगे. तो आपको बता दें कि स्वामी शिवानंद वही व्यक्ति हैं, जिन्हें इसी साल पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और वो 126 साल के हैं. स्वामी शिवानंद को भारतीय जीवन पद्धति और योग के क्षेत्र में योगदान के लिए ये पुरस्कार मिला था. यानी हमारे देश में जो लोग योग को प्रमोट करते हैं, हम उनके बारे में जानते तक नहीं है.
उत्तर प्रदेश के बागपत से बीजेपी सांसद सत्यपाल सिंह अपने हाथों पर खड़े होकर योग करते हुए देखे गए. सत्यपाल सिंह 66 साल के हैं. सोचिए, 66 साल की उम्र में वो एक 22 साल के लड़के की तरह व्यायाम करते हुए देखे गए और ये सबकुछ योग की वजह से मुमकिन हुआ है. 8वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी कर्नाटक के मैसूर में 15 हजार लोगों के साथ योगा किया और क्योंकि इस साल भारत अपनी आजादी के 75 वर्षों का जश्न मना रहा है, इसलिए देश के 75 ऐतिहासिक स्थलों पर योगा से जुड़े भव्य कार्यक्रम किए गए.
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#DNA : भारत को 'योग शक्ति' का फायदा क्यों नहीं मिला?@sudhirchaudhary
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— Zee News (@ZeeNews) June 21, 2022