Jammu Kashmir News: बॉर्डर पर भारतीय सेना और सुरक्षाबल सिर्फ देश की सीमाओं की रखवाली नहीं करते, वो वहां के स्थानीय लोगों के परिवारजन बनकर उनकी भी रखवाली करते हैं. ऐसी एक नहीं अनेक दास्तान मिल जाएगी जब भारत की सेना या अर्ध सैनिकबलों और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों ने अपनी जान पर खेलकर स्थानीय लोगों की जान बचाई.
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रजत वोहरा, श्रीनगर: अंतरराष्ट्रीय सीमा की रक्षा करने वाली सीमा सुरक्षा बल (BSF) न केवल दुश्मन की साजिशों को नाकाम कर रही है, बल्कि बॉर्डर पर रहने वाले स्थानीय लोगों के साथ एक मजबूत रिश्ता भी कायम कर रही है. यही सीमावर्ती आबादी अब BSF की आंख और कान बनकर देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. इसी संबंध को और प्रगाढ़ करने के लिए BSF ने सिविक एक्शन प्रोग्राम के तहत सोमवार को बॉर्डर क्षेत्र के 35 स्कूली बच्चों को 'भारत दर्शन' टूर (Bharat Darshan tour) के लिए रवाना किया.
सीमावर्ती लोग-BSF के सबसे बड़े सहयोगी
BSF जम्मू के DIG सुखदेव राज ने ज़ी मीडिया से खास बातचीत में कहा कि बॉर्डर की सुरक्षा सिर्फ हथियारों से ही नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों की जागरूकता और सहयोग से भी संभव होती है. सीमावर्ती लोग हमेशा सतर्क रहते हैं और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत BSF को देते हैं, जिससे दुश्मन की घुसपैठ को नाकाम किया जाता है. उन्होंने कहा कि बॉर्डर के लोग अगर सतर्क न होते, तो पाकिस्तान की साजिशें कामयाब हो सकती थीं.
बच्चों के सपनों को नई उड़ान
इस टूर का मकसद बॉर्डर के बच्चों को देश की समृद्ध संस्कृति और इतिहास से जोड़ना है. ये वे बच्चे हैं, जिन्होंने अपने जीवन में कई बार सीमा पर तनाव और गोलाबारी का सामना किया, लेकिन आज BSF की पहल से वे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं. बच्चों ने BSF का धन्यवाद करते हुए कहा कि "हमें ऐसे मौके मिल रहे हैं, जो पहले सिर्फ बड़े शहरों के बच्चों को ही मिलते थे."
BSF का यह कदम न केवल बच्चों को नई प्रेरणा दे रहा है, बल्कि बॉर्डर के लोगों में सुरक्षा बलों के प्रति भरोसा और अधिक मजबूत कर रहा है. सीमावर्ती लोग अब न केवल देश की सुरक्षा में भागीदार हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी बड़े सपने देखने और उन्हें साकार करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.