JFK's Forgotten Crisis: लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में गांधी परिवार से लेकर विदेश नीति पर अपनी बात रखी. इसी बीच उन्होंने विपक्ष के सांसदों को JFK's Forgotten Crisis' नाम की किताब को पढ़ने के लिए सलाह दी, आखिर क्या लिखा है इस किताब में, जिसे पीएम मोदी पढ़ने के लिए कह रहे हैं. जानें पूरी कहानी.
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PM Narendra Modi Lok Sabha Speech: मंगलवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष पर काफी हमलावर दिखे. अपने भाषण में पीएम मोदी ने गांधी परिवार से लेकर विदेश नीति पर अपनी बात रखी. मोदी ने नेता प्रतिपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि वह विदेश नीति पर नहीं बोलेंगे तो परिपक्व नहीं लगेंगे, भले ही देश का नुकसान हो जाए. उन्होंने कहा, ‘‘मैं ऐसे लोगों को कहना चाहता हूं कि वह ‘जेएफके’ज फॉरगॉटेन क्राइसिस’ नामक किताब जरूर पढ़ें तो विदेश नीति पर क्या बोलना है और कितना बोलना है उन्हें समझ आ जाएगा. तो आइए जानते हैं आखिर इस किताब में क्या है, जो पीएम मोदी इसे पढ़ने के लिए कह रहे हैं.
पीएम मोदी ने किस किताब की किया जिक्र
पीएम मोदी ने आगे कहा कि, 'JFK's Forgotten Crisis' यह किताब एक प्रसिद्ध विदेश नीति विद्वान ने लिखी है. इस किताब में पहले पीएम का ज़िक्र है, जो विदेश नीति को भी देखते थे. यह किताब पंडित नेहरू और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के बीच हुई चर्चाओं और निर्णयों के बारे में विस्तार से बताती है. जब देश कई चुनौतियों का सामना कर रहा था, उस समय विदेश नीति के नाम पर क्या किया जा रहा था, उसे इस किताब के ज़रिए सामने लाया गया है." पीएम मोदी का इरादा साफ था कि अगर किसी को विदेश नीति में वास्तविक रुचि है और वह इसे समझना चाहता है और आगे चलकर इसके बारे में कुछ करना चाहता है, तो "उसे निश्चित रूप से 'जेएफके फॉरगॉटन क्राइसिस' नामक पुस्तक पढ़नी चाहिए.
किसने लिखी है ये किताब?
'जेएफके फॉरगॉटन क्राइसिस: तिब्बत, सीआईए और चीन-भारत युद्ध' विदेशी मामलों के विद्वान और सुरक्षा पर अमेरिकी विशेषज्ञ ब्रूस रीडेल द्वारा लिखी गई किताब है.
किताब में क्या है लिखा?
1962 के चीन-भारत युद्ध और अमेरिकी विदेश नीति पर इसके प्रभाव की जांच की गई है, नेहरू की एक सूक्ष्म तस्वीर पेश करती है, उनके दूरदर्शी आदर्शों और गलत रणनीतियों को दर्शाती है, जिसके परिणामस्वरूप भारत 1962 के युद्ध के लिए तैयार नहीं था. रीडेल के अनुसार, सीमा पर चीनी आक्रमण के स्पष्ट संकेत मौजूद होने के बावजूद नेहरू ने सशस्त्र संघर्ष की संभावनाओं को कम करके आंका था. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि युद्ध ने नेहरू के मनोबल और छवि को प्रभावित किया. लेखक ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि कैसे नेहरू ने संयुक्त राज्य अमेरिका से सहायता लेने का फैसला किया. उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी से मदद मांगी थी, जिस पर अमेरिका ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और सैन्य सहायता प्रदान की. किताब में एक जगह दावा है कि पीएम नेहरू जॉन एफ कैनेडी के बजाय उनकी पत्नी में अधिक दिलचस्पी ले रहे थे.
PM Shri @narendramodi during his speech in the Parliament mentioned how the book ‘JFK’s Forgotten Crisis’ has thrown light on former prime minister Nehru and his activities on pretext of foreign diplomacy when the nation was facing challenging times.
The book, written by… pic.twitter.com/Onhl7AjrXM
— BJP (@BJP4India) February 4, 2025
PM Shri Narendra Modi during his speech in the Parliament mentioned how the book ‘JFK’s Forgotten Crisis’ has thrown light on former Prime Minister Nehru and his activities on pretext of foreign diplomacy, when the nation was facing challenging times.
The book, written by… pic.twitter.com/Y2YjK7HFmh
— Amit Malviya (@amitmalviya) February 4, 2025
इसी बीच बीजेपी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पीएम मोदी के भाषण का संदर्भ देते हुए रीडेल की किताब के अंश पोस्ट किए हैं. पोस्ट में लिखा, "किताब बताती है कि कैसे नेहरू पैट कैनेडी में 'रुचि' रखते थे और लेडी एडविना माउंटबेटन द्वारा अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले गेस्ट हाउस में रहने के इच्छुक थे." पोस्ट में किताब के एक वाक्य पर प्रकाश डाला गया है.
एडविना और नेहरू करीबी दोस्त थे
"स्वतंत्रता के बाद भारत में अक्सर आने वाले एडविना और नेहरू करीबी दोस्त थे." एक अन्य अंश में लिखा है, "कैनेडी ने गैलब्रेथ से कहा कि "यह उनके राष्ट्रपति काल की सबसे खराब राजकीय यात्रा थी" और यह भी महसूस किया कि नेहरू उनसे बात करने की अपेक्षा जैकी से बात करने में अधिक रुचि रखते थे." "स्वतंत्रता के बाद से भारत आने वाली एडविना और नेहरू कम से कम घनिष्ठ मित्र तो थे ही, यदि अधिक नहीं. जैकी को नेहरू का पूरा ध्यान मिल रहा था,"