इतनी हार के बाद भी नहीं चेती कांग्रेस, मध्य प्रदेश में नहीं संभल रहे दिग्गज नेता, भरी मीटिंग में क्लेश
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इतनी हार के बाद भी नहीं चेती कांग्रेस, मध्य प्रदेश में नहीं संभल रहे दिग्गज नेता, भरी मीटिंग में क्लेश

Madhya Pradesh: एमपी कांग्रेस में एक तरफ हैं कमलनाथ, दिग्विजय सिंह जैसे सीनियर नेता. दूसरी तरफ हैं 51 साल के युवा नेता और नए नवेले पीसीसी चीफ जीतू पटवारी. दोनों गुटों के बीच भरी मीटिंग में क्लेश की खबरें आ रही हैं. इसमें सीनियर नेताओं को पूर्व सांसद और राहुल गांधी की खास रहीं मीनाक्षी नटराजन का भी साथ मिला. 

इतनी हार के बाद भी नहीं चेती कांग्रेस, मध्य प्रदेश में नहीं संभल रहे दिग्गज नेता, भरी मीटिंग में क्लेश

MP Congress: मध्य प्रदेश में कांग्रेस में कलह कोई नई बात नहीं है, लेकिन दिल्ली में बैठे शीर्ष नेताओं के लिए ये चिंता की बात जरूर है. लंबे समय से एमपी कांग्रेस में दो फाड़ दिखाई दे रही है. कमलनाथ, दिग्गी जैसे नेताओं का एक अलग खेमा है. दूसरी तरफ खुद को युवा नेताओं की लिस्ट में गिनने वाले नए नवेले पीसीसी चीफ जीतू पटवारी का खेमा अलग रास्ते दौड़ता है. 2023 में विधानसभा में इतनी बुरी हार और इसके बाद 2024 में लोकसभा में पूरी की पूरी 29 सीटें हारने के बाद भी पार्टी एक होकर बीजेपी से लड़ नहीं पा रही है, बल्कि अपने घरेलू क्लेश में ही उलझी है. एक स्थानीय वेबसाइट के हवाले से ये खबर आई कि सोमवार को भरी मीटिंग में कलह देखने को मिला, जब कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, सांसद रह चुकी मीनाक्षी नटराजन जैसे दिग्गजों ने खुलकर कहा उन्हें दरकिनार कर दिया गया है. मीटिंग तक में नहीं बुलाते

जब कांग्रेस छोड़ बीजेपी जाने की थी खबरें 
शायद इसी कारण पूर्व सीएम कमलनाथ का लंबे समय से कांग्रेस से मोहभंग सा लगने लगा था. विधानसभा चुनाव के बाद तो कमलनाथ का, बेटे नकुलनाथ सहित कांग्रेस छोड़ बीजेपी जाने के आसार बन गए थे. कई दिनों तक फिल्मी पटकथा चली और बात वहीं खत्म हो गई. सियासी जानकारों ने कहा डील क्रैक नहीं हो पाई. जो कमलनाथ अपने बेटे के लिए मांग रहे थे, भाजपा को कुछ जमा नहीं. लगा था कि लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ दल बदल लेंगे. खैर,अब एक बार फिर उन्होंने भरी मीटिंग में कहा कि पार्टी में ये क्या हो रहा है, मुझसे कुछ पूछा नहीं जाता. मीटिंग की सूचना तक नहीं दी जाती. नियुक्तियां मुझसे विमर्श के बिना ही की जाती हैं. क्लेश तब और दिखा जब पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और पूर्व सांसद और राहुल गांधी की खास रहीं मीनाक्षी नटराजन ने भी कमलनाथ का समर्थन किया. नए नेताओं की उन लोगों की तरफ उदासीनता बताई. 

'मीडिया से पता चलता है कि कांग्रेस की बैठक थी'
एक वर्चुअल मीटिंग में पूर्व सीएम कमलनाथ ने अपनी नाराजगी खुलकर दिखाई और कहा- आजकल पार्टी में ऐसा चल रहा है कि नियुक्तियों में मुझसे पूछा तक नहीं जाता. भले किसी के कहने से किसी की नियुक्ति हो न हो, लेकिन सीनियर्स से चर्चा करनी चाहिए. मुझे बैठकों तक की सूचना नहीं दी जाती. मीडिया से पता चलता है कि कांग्रेस की बैठक थी. कमलनाथ की बात पर दिग्विजय ने भी साथ दिया. कहा मैं भी कमलनाथ जी की बात से सहमत हूं. बिना एजेंडे के बैठकें बुला ली जाती हैं.  आज की मीटिंग का 6 बजकर 31 मिनट पर एजेंड़ा मिला है, मैं मोबाइल से मीटिंग में जुड़ा हूं, तो एजेंडा कैसे देखूं. इसपर मीनाक्षी नटराजन का भी साथ मिला. ये सब सुनकर ऑनलाइन बैठक में शामिल नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार मीटिंग से लेफ्ट हो गए.

मालवा, विंध्य, बुंदेलखंड हर जगह कांग्रेस में खटपट
आरोपों पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सफाई दी कि सबकी राय से ही निर्णय लिए जा रहे हैं. कमलनाथ जी से मैं स्वयं अलग से बात कर लूंगा. प्रवक्ताओं की नियुक्तियों का गलत पत्र जारी हो गया था, उसे तुरंत निरस्त भी कर दिया था. वो बात और है कि पटवारी के ये दावे खोखले हैं ये सभी को पता है. कुछ समय पहले दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी पटवारी की नई टीम पर सवाल खड़े कर कह चुके हैं कि कांग्रेस पार्टी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी नहीं है, जो बंद कमरे में बैठकें होती हैं. अजय सिंह ने तो साफ कह दिया था कि कांग्रेस अब भगवान भरोसे है. पटवारी के रवैये से कोई खुश नहीं दिखाई दे रहा. लगातार सीनियर नेताओं की अनदेखी के आरोप लगते रहे हैं. ध्यान से देखें तो राजधानी ही नहीं मालवा, विंध्य, बुंदेलखंड हर जगह कांग्रेस में खटपट चल रही है. इसकी आवाज दिल्ली तक क्यों नहीं जा रही, ये सोचने वाली बात है. 

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