Maharashtra New CM: यही तो बीजेपी का स्टाइल है! जिससे विवाद हो वही प्रस्तावक बन जाता है, महाराष्ट्र में अब आगे क्या
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Maharashtra New CM: यही तो बीजेपी का स्टाइल है! जिससे विवाद हो वही प्रस्तावक बन जाता है, महाराष्ट्र में अब आगे क्या

Maharashtra Government Formation News: महाराष्ट्र में सीएम एकनाथ शिंदे के कदम पीछे खींचने के बाद, देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है.

Maharashtra New CM: यही तो बीजेपी का स्टाइल है! जिससे विवाद हो वही प्रस्तावक बन जाता है, महाराष्ट्र में अब आगे क्या

Maharashtra Govt Formation: महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री का नाम लगभग तय हो चुका है, बस औपचारिक घोषणा बाकी है. निवर्तमान सीएम एकनाथ शिंदे ने बुधवार को कहा कि वह अगली सरकार के गठन मे बाधा नहीं बनेंगे. शिंदे ने मीडिया से कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के फैसले को 'फाइनल' मान लेंगे. यानी, बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस के फिर से महाराष्ट्र का सीएम बनने का रास्ता लगभग साफ हो गया है. शिंदे के 'सरेंडर' से महाराष्ट्र में पिछले 5 दिन से जारी ऊहापोह दूर हुई. बीजेपी ने अपनी बात भी मनवा ली और कोई राजनीतिक बखेड़ा भी नहीं हुआ. यही तो बीजेपी का स्टाइल है. महाराष्ट्र से पहले मध्‍य प्रदेश, उत्तराखंड और अन्य जगह भी बीजेपी ऐसा कर चुकी है.

जिससे अनबन, वही बाद में आ जाता है साथ

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे 23 नवंबर को आए थे. उसके बाद से राज्य के सियासी घटनाक्रम पर नजर डालें तो साफ पता चलता है कि बीजेपी और शिवसेना (शिंदे) के बीच खींचतान चल रही थी. दोनों पार्टियों के लोग अपने-अपने नेता को सीएम बनाने की मांग रख रहे थे. हालांकि, यह बात दीगर है कि बड़े नेताओं और पार्टियों के नेतृत्व ने कभी अपने बयानों से किसी कशमकश की भनक नहीं लगने दी. इसके बावजूद, पर्दे के पीछे धींगामुश्ती जारी थी.

कहा जा रहा था कि शिंदे तमाम विकल्पों पर विचार कर रहे हैं और इतनी आसानी से सीएम की कुर्सी बीजेपी को नहीं देने वाले. फिर बुधवार को जब शिंदे ने सामने आकर कहा कि वे बीजेपी की राह में रोड़ा नहीं बनेंगे तो बरबस ही हरियाणा, एमपी और उत्तराखंड की याद आ गई. वहां भी सत्ता को लेकर बीजेपी के जिन नेताओं के नाराज होने की खबरें आईं, वही बाद में मुस्कुराते हुए 'पार्टी फर्स्ट' करने लगे.

Explained: शिंदे ने BJP को इतनी आसानी से नहीं दी CM की कुर्सी, पर्दे के पीछे क्या हुई डील?

हरियाणा में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सीएम मनोहर लाल खट्टर ने इस्तीफा दे दिया था. फिर नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया गया. बीजेपी पहले भी कई राज्यों में ऐसा करती आई है कि चुनाव से ऐन पहले सीएम बदल दो. सत्ता हस्तांतरण बेहद आसानी से, बिना किसी झगड़े के हो गया. खट्टर को केंद्र में मंत्री बनाकर भेजा गया. दोनों पक्ष खुश थे. हालांकि, मध्य प्रदेश में हालात थोड़े जुदा रहे.

एमपी में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी ने चार बार सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान को फिर मौका नहीं दिया. मीडिया में खबरें चलीं कि शिवराज इससे नाखुश हैं. चुनावी जीत के बाद, शिवराज ने यहां तक कह दिया कि वे 'अपने लिए कुछ मांगने के बजाय मर जाना पसंद करेंगे!' हालांकि, उन्होंने नाराजगी की बात से इनकार किया. चौहान को साइडलाइन करते हुए मोहन यादव को सीएम बनाने की घोषणा हुई. शिवराज को केंद्र में कृषि मंत्री बनाकर भेजा गया. बाद में शिवराज ने खुलकर यादव का समर्थन किया और सारी अटकलों पर विराम लग गया.

उत्तराखंड में तो बीजेपी ने 2021 में चार महीनों के भीतर तीन मुख्‍यमंत्री बदले, फिर भी किसी ने चूं तक नहीं की. मार्च 2021 में चार साल तक सीएम रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया. तीरथ अभी सेटल हो पाते, उससे पहले ही बीजेपी ने उन्हें निपटा दिया. जुलाई में पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाने की घोषणा हुई. दरकिनार किए जाने के बावजूद दोनों पूर्व सीएम ने धामी का साथ दिया. कोई झगड़ा नहीं हुआ.

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एकनाथ शिंदे ने क्या ऐलान किया?

शिंदे ने बुधवार को एक तरह से महायुति गठबंधन का नेता चुनने के लिए बीजेपी को 'फ्री हैंड' दे दिया. उन्होंने कहा, 'मैंने मंगलवार को पीएम मोदी और अमित शाह से फोन पर बात की थी और उनसे कहा था कि NDA और महायुति के प्रमुख के रूप में आपका फैसला हमारे लिए फाइनल होगा.' शिंदे के मुताबिक, 'हमारी शिवसेना अगले महाराष्ट्र सीएम के नाम पर बीजेपी के फैसले का पूरा समर्थन करेगी. हमारी तरफ से कोई अड़ंगा नहीं है.' शिवसेना नेता ने बताया कि उन्होंने मोदी-शाह से कहा कि वे महाराष्ट्र का अगला सीएम तय करते समय उन्हें रोड़ा न समझें.

शिंदे ने भले ही सीधे तौर पर नहीं कहा कि वे बीजेपी के लिए सीएम की कुर्सी छोड़ रहे हैं, या अपना दावा रख रहे हैं, लेकिन हालिया चुनावी नतीजों और बाद के घटनाक्रम से यह लगभग साफ हो गया था कि बीजेपी फिर से फडणवीस को सीएम की कुर्सी पर बिठाना चाहती है. फडणवीस 2014-19 तक सीएम थे और शायद आगे भी रहते, अगर बीजेपी के साथ गठबंधन में रहे उद्धव ठाकरे अलग होकर कांग्रेस और एनसीपी के साथ जाकर महाविकास आघाड़ी (MVA) का गठन नहीं करते.

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शिंदे ने सारे शक दूर कर दिए: फडणवीस

शिंदे के ऐलान पर फडणवीस ने कहा, 'हम हमेशा साथ रहे हैं. महायुति में कोई मतभेद नहीं है. चुनाव से पहले भी मैंने कहा था कि सभी निर्णय मिलकर लिए जाएंगे. आज एकनाथ शिंदे ने सभी संदेह दूर कर दिए हैं. जल्द ही हम अपने नेताओं के साथ बैठकर निर्णय लेंगे.' अभी तक यह साफ नहीं है कि क्या शिंदे, फडणवीस के मातहत डिप्टी सीएम बनेंगे या नहीं. हालांकि, बीजेपी यह जरूर चाहती है कि महायुति की एकता दिखाने के लिए शिंदे सरकार में जरूर शामिल हों. अगर शिंदे इनकार करते हैं तो शिवसेना किसी और को डिप्टी सीएम की कुर्सी पर बिठा सकती है.

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