Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की पॉलिटिक्स में हाल के वर्षों में काफी उथल-पुथल देखने को मिली है. शिवसेना के टूटने के बाद उद्धव और शिंदे का खेमा एक दूसरे पर हमलावर रहता है. अब 'कोंकण का चीता' कहे जाने वाले नेता ने शिंदे का हाथ थामा तो उन्होंने कालिया फिल्म की स्टाइल में डायलॉग दोहराते हुए उद्धव ठाकरे पर तंज कसा.
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Eknath Shinde on Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने बॉलीवुड स्टाइल में उद्धव ठाकरे पर तंज कसा है. अमिताभ बच्चन की फिल्म 'कालिया' के मशहूर डायलॉग को दोहराते हुए डिप्टी सीएम ने कहा, 'एकनाथ शिंदे जहां खड़ा होता है, लाइन वहीं से शुरू होती है.' दरअसल, शिवसेना के गढ़ माने जाने वाले कोंकण क्षेत्र के तीन बार के विधायक राजन साल्वी ने उद्धव की पार्टी छोड़ शिंदे सेना का दामन थाम लिया.
उनकी हालत शोले के जेलर की
इस मौके पर शिंदे ने फिल्मी डायलॉग दोहराए. उन्होंने कहा कि लोगों को शिवसेना पर भरोसा है. अपने मंत्रियों को ग्राउंड पर रहने और आंख-कान खुले रखने को भी कहा. शिंदे ने कहा कि हमारी लाइन जनसेवा की लाइन है. आगे शिंदे ने उद्धव का नाम लिए बगैर कहा कि उनकी हालत शोले फिल्म के जेलर असरानी की तरह हो गई है. आधे इधर आओ, आधे उधर जाओ, बाकी मेरे पीछे आओ. लेकिन उनके पीछे कौन है, उन्हें पता ही नहीं है.
शिंदे ने कहा कि उन पर और पार्टी छोड़कर गए लोगों पर हमला करने की बजाय शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख को आत्मचिंतन करना चाहिए.
ऑपरेशन टाइगर की चर्चा
हाल के दिनों में शिवसेना (UBT) के नेता 'ऑपरेशन टाइगर' की खूब बातें कर रहे हैं. इसके तहत उद्धव सेना के सांसदों, विधायकों और दूसरे वरिष्ठ नेताओं को तोड़कर अपनी ओर लाने से जोड़ा जा रहा है. राजन साल्वी की शिवसेना में एंट्री इसी ऑपरेशन के तहत पहला कदम माना जा रहा है.
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के पूर्व विधायक राजन साल्वी बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए. साल्वी के शिवसेना में शामिल होने के कदम को उद्धव ठाकरे के लिए झटका माना जा रहा है. साल्वी रत्नागिरी जिले के राजापुर विधानसभा क्षेत्र से 2009-2024 तक विधायक रहे थे, लेकिन नवंबर 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें उद्योग मंत्री उदय सामंत के भाई एवं शिवसेना के किरण सामंत से हार का सामना करना पड़ा था.
साल्वी इस हार के बाद से ही पार्टी (उद्धव ठाकरे की शिवसेना) के नेताओं से नाराज थे और अपनी हार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहरा रहे थे. उन्होंने शिवसेना (उबाठा) के उपनेता पद से बुधवार को इस्तीफा दे दिया था.
साल्वी ने बुधवार को ठाकरे को लिखे पत्र में कहा, ‘मौजूदा परिस्थितियों और संगठन में अंदरूनी राजनीति के बीच मैं अपने पद के साथ न्याय नहीं कर पाऊंगा. अपनी हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मैं पार्टी के उपनेता पद से इस्तीफा दे रहा हूं.’
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आनंद आश्रम में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उबाठा) अंदरूनी कलह से ग्रस्त है. उन्होंने शिवसेना (उबाठा) की आलोचना करते हुए कहा कि कुछ लोग उनसे नफरत करते हैं और इस कारण वे महादजी शिंदे जैसी महान हस्तियों का भी अपमान कर रहे हैं.
दिल्ली में मंगलवार को आयोजित 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन मौके पर शरद पवार ने शिंदे को महादजी शिंदे राष्ट्र गौरव पुरस्कार दिया. शिवसेना (उबाठा) के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा था कि शिवसेना को विभाजित करने वाले और ‘‘महाराष्ट्र को कमजोर करने वाले’’ व्यक्ति को सम्मानित करने से मराठी लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं.
शिंदे ने ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा, ‘मराठी लोगों को अपने पुरस्कारों पर गर्व होना चाहिए, लेकिन जो लोग मुझसे नफरत करते हैं वे महादजी शिंदे, लेखकों और यहां तक कि शरद पवार जैसी हस्तियों का अपमान करना जारी रखते हैं. यह लगातार होने वाला पेट दर्द कभी खत्म नहीं होगा क्योंकि जो लोग ‘कंपाउंडर’ पर निर्भर हैं उन्हें किसी अच्छे चिकित्सक को दिखाना चाहिए.’ शिंदे ने राउत का नाम लिए बिना कहा कि पवार ने कार्यक्रम में संस्कृति का प्रदर्शन किया, जबकि ‘इन लोगों ने विकृति दिखाई.’ शिंदे ने कहा कि नागरिकों के प्रति शिवसेना की प्रतिबद्धता ने उनकी पार्टी को सफल बनाया है और उनके जैसे किसान के बेटे को मुख्यमंत्री (जून 2022 से नवंबर 2024 के तक) पद तक पहुंचने का मौका दिया है.
कोंकण का चीता
शिंदे ने साल्वी को ‘कोंकण का चीता’ करार देते हुए कहा कि बालासाहेब ठाकरे को राज्य का तटीय क्षेत्र बहुत पसंद था. उन्होंने कहा कि शिवसेना इस क्षेत्र के विकास के लिए हर संभव प्रयास करेगी. उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘शिवसेना कार्यकर्ताओं की पार्टी है. यहां काम करने वाला ही शीर्ष पर पहुंचेगा. मेरा हमेशा से मानना था कि साल्वी को मेरे साथ होना चाहिए था लेकिन कुछ बाधाएं थीं जो अब दूर हो गई हैं.’
साल्वी ने शिंदे को राजनीतिक का अपना गुरु बताते हुए कहा कि राजापुर, लांजा और सखारपा के 700 से अधिक कार्यकर्ता उनके साथ शिवसेना में शामिल हुए हैं. रत्नागिरी जिले सहित तटीय कोंकण क्षेत्र कभी ठाकरे की पार्टी का गढ़ हुआ करता था. महाराष्ट्र में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में शिवसेना (उबाठा) का प्रदर्शन खराब रहा था. यह राज्य की 288 विधानसभा सीट में से केवल 20 सीट ही जीत पाई थी जबकि एकनाथ शिंदे की नेतृत्व वाली शिवसेना ने 57 सीट पर जीत हासिल की थी.