Munawwar Rana Dies: हम जो किसी दिन सोए तो सोते ही रह जाएंगे...यह नज्म तो वह काफी पहले लिख चुके थे. कुछ घंटे पहले अचानक हमेशा के लिए सोए तो शायरी के उनके प्रशंसक भावुक हो गए. सोशल मीडिया पर मुनव्वर राणा को श्रद्धांजलि दी जा रही है. उन्होंने बेहद संजीदा लाइनें लिखीं. कभी हंसाया, कभी रुलाया. विवादों में भी रहे लेकिन अब वो खनकती आवाज खामोश हो गई.
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Munawwar Rana Shayari: राहत इंदौरी के बाद देश के एक और बड़े शायर दुनिया से जल्दी रुख्स़त हो गए. कुछ घंटे पहले खबर मिली तो उन्हें चाहने वाले भावुक हो गए. हां, मकर संक्रांति के पर्व पर सोशल मीडिया में आज मुनव्वर राणा की नज्म़ गूंज रही है. राहत और राणा, देश के दोनों बड़े शायरों में जबर्दस्त बॉन्डिंग देखी जाती थी. ऐसे में शायरी के शौकीनों को यह खबर बेहद गमजदा कर गई. 'मां' पर लिखी लाइनें हों या सालों पहले लिखा 'हम जो किसी दिन सोए तो सोते रह जाएंगे' आज लोगों को कचोट रहा है. ऐसे वक्त में मुनव्वर राणा की लाइनें ही उन्हें श्रद्धांजलि देती मालूम पड़ती हैं. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. कुछ घंटे पहले लखनऊ में उन्हें दिल का दौरा पड़ा और 71 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. आगे पढ़िए और सुनिए मुनव्वर राणा की शानदार नज्में, जो दशकों तक उन्हें जिंदा रखेंगी.
हम से मोहब्बत करने वाले रोते ही रह जाएंगे
हम जो किसी दिन सोए, तो फिर सोते ही रह जाएंगे
मैं अपने आप को इतना समेट सकता हूं
कहीं भी कब्र बना दो, मैं लेट सकता हूं
मंजिल करीब आते ही एक पांव कट गया
चौड़ी हुई सड़क तो मेरा गांव कट गया
Heartbroken by the passing of renowned Urdu poet #MunawwarRana sahib. His impactful poetry resonated deeply; a great soul who faced and reflected the challenges of tough times. May his legacy endure! pic.twitter.com/yGP88eaYx6
— Salman Nizami (@SalmanNizami_) January 14, 2024
सबके कहने से इरादा नहीं बदला जाता
हर सहेली से दुपट्टा नहीं बदला जाता
हम कि शायर हैं सियासत नहीं आती हमको
हमसे मुंह देखके लहजा नहीं बदला जाता
अब रुलाया है तो हंसने पे न मजबूर करो
रोज बीमार का नुस्खा नहीं बदला जाता
#MunawwarRana का जाना महज़ जाना नहीं है
इस तरह अदब और हिंदुस्तानी ज़ुबा को अकेला छोड़ के जाता है कोई? pic.twitter.com/84pFLo6LMt— Prashant Kanojia (@KanojiaPJ) January 14, 2024
जब मां पर लिखी लाइनों ने रुलाया
किसी को घर मिला हिस्से में, या कोई दुकां आई
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में मां आई
बरबाद कर दिया हमें परदेस ने मगर
मां सबसे कह रही है कि बेटा मजे में है
जिंदगी पर क्या खूब लिखा
मेरी मुट्ठी से ये बालू सरक जाने को कहती है
अब ये जिंदगी मुझसे भी थक जाने को कहती है
जिसे हम ओढ़कर निकले थे आगाज-ए जवानी में
वो चादर जिंदगी की अब मसक जाने को कहती है
कहानी जिंदगी की क्या सुनाएं अहल-ए-महफ़िल को
शकर घुलती नहीं और खीर पक जाने को कहती है
मिट्टी का बदन कर दिया मिट्टी के हवाले
मिट्टी को कहीं ताज-महल में नहीं रक्खादेश के मशहूर शायर जनाब मुनव्वर राना साहब नहीं रहे। माँ पर लिखी उनकी शायरी इस दुनिया में अमर हो गईं।
अलविदा#MunawwarRana @samajwadiparty pic.twitter.com/pyzzXGxlhI
— Dr. Ashutosh Verma Patel (@DrVermaAshutosh) January 14, 2024
कभी भाजपा, कभी तालिबान पर बोलकर मुनव्वर राणा अक्सर विवादों में भी रहे. उनके बयान मीडिया में छाए रहते. आज वह अपने पीछे सब यहीं छोड़ गए हैं. अब याद रहेंगी तो सिर्फ उनकी लाइनें.