The Partition of India: जब भारत और पाकिस्‍तान के बीच हुआ बंटवारा तो इस तरह बंटी दोनों देशों के बीच सेना
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The Partition of India: जब भारत और पाकिस्‍तान के बीच हुआ बंटवारा तो इस तरह बंटी दोनों देशों के बीच सेना

Partition Horrors Remembrance Day: 2 जून 1947 को भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने घोषणा की कि ब्रिटेन ने स्वीकार कर लिया है कि देश को विभाजित किया जाना चाहिए. विभाजन के चलते जहां बड़े पैमाने पर दंगे हुए वहीं अधिकारियों को संपत्तियों, देनदारियों के बंटवारे जैसी कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ा.

The Partition of India: जब भारत और पाकिस्‍तान के बीच हुआ बंटवारा तो इस तरह बंटी दोनों देशों के बीच सेना

History Of Partition Of India: दशकों की लंबी लड़ाई और बलिदान के बाद, भारत को 1947 में दमनकारी ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी मिली. लेकिन उपमहाद्वीप को दो अलग-अलग देशों - भारत और पाकिस्तान में विभाजित करने पर जश्न के बजाय हिंसा, दंगे और सामूहिक हत्याएं हुईं.

2 जून 1947 को भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने घोषणा की कि ब्रिटेन ने स्वीकार कर लिया है कि देश को विभाजित किया जाना चाहिए. बाद में विभाजन में जल्दबाजी करने के लिए उनकी आलोचना की गई जिसके कारण बड़े पैमाने पर रक्तपात हुआ. उमहाद्वीप को भारत और पाकिसतान में बांट दिया गया.

माउंटबेटन द्वारा स्वतंत्रता की तारीख 15 अगस्त 1947 की पुष्टि करने के तुरंत बाद ब्रिटिश सैनिकों को उनके बैरकों में वापस बुला लिया गया और उसके बाद, कानून और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी भारतीय सेना को सौंप दी गई.

इतिहास की किताबों में यह भी उल्लेख किया गया है कि ब्रिटिश सरकार और भारतीय राजनीतिक नेताओं के बीच शक्तियों और संपत्तियों के सुचारु हस्तांतरण के लिए कई बैठकें हुईं.

संपत्तियों, देनदारियों का बंटवारा
विभाजन के चलते अधिकारियों को संपत्तियों, देनदारियों के बंटवारे जैसी कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ा.

इसके बीच, पुरानी भारतीय सेना पाकिस्तान और भारत के बीच बंटी हुई थी. भारतीय सेना की आधिकारिक साइट के अनुसार, ‘देश भर में चल और अचल संपत्तियों के साथ सेना की सक्रिय ताकत को एक जटिल योजना के तहत साझा किया गया, जिसकी निगरानी सर्वोच्च मुख्यालय के रूप में ब्रिटिश उपस्थिति द्वारा की जाती थी.’

ऐसे हुआ सेना का बंटवारा
ब्रिटेन के राष्ट्रीय सेना संग्रहालय के अनुसार, फील्ड मार्शल सर क्लाउड औचिनलेक ने इस बल के विभाजन की देखरेख की: -

-लगभग 260,000 पुरुष, मुख्य रूप से हिंदू और सिख, भारत गए.

-140,000 से अधिक पुरुष, मुख्य रूप से मुस्लिम, पाकिस्तान गए.

-नेपाल में भर्ती गोरखाओं की ब्रिगेड को भारत और ब्रिटेन के बीच विभाजित कर दिया गया और अलग-अलग इकाइयां विभाजित हो गईं.

-पाकिस्तान में 19वें लांसर्स ने भारत में स्किनर हॉर्स से मुसलमानों के लिए अपने जाट और सिख सैनिकों का आदान-प्रदान किया.

-कई ब्रिटिश अधिकारी परिवर्तन में सहायता के लिए रुके रहे, जिनमें जनरल सर रॉबर्ट लॉकहार्ट, भारत के पहले सेनाध्यक्ष और जनरल सर फ्रैंक मेस्सर्वी, जो पाकिस्तान के पहले सेनाध्यक्ष बने, शामिल थे.

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