Amritsar: किसानों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के कई इलाकों में ट्रैक्टर मार्च निकाले. किसान मजदूर मोर्चा और ज्वाइंट किसान मोर्चा ने संयुक्त रूप से 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान किया था.
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Amritsar: गणतंत्र दिवस के मौके पर सबकी नजरें दिल्ली के कर्तव्य पथ पर टिकी रहीं, जहां पर आयोजित परेड में देशभर के अलग-अलग राज्यों की झांकियां निकाली गईं जिसने हर किसी का मन मोह लिया. लेकिन इसी बीच दिल्ली से करीब पांच सौ किलोमीटर दूर अमृतसर में निकाली गई ट्रैक्टर झांकी ने सबको अपनी तरफ आकर्षित कर लिया.
दरअसल, किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के कई इलाकों में ट्रैक्टर मार्च निकाले. किसानों का कहना है कि केंद्र ने किसानों से फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी देने का वादा करने के बावजूद उनकी मांगों को नहीं मान रही है, इसी वजह से किसान संगठन एसकेएम के राष्ट्रव्यापी मार्च के आह्वान पर सैकड़ों ट्रैक्टर सड़कों पर लेकर उतरे. किसान मजदूर मोर्चा और ज्वाइंट किसान मोर्चा ने संयुक्त रूप से 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान किया था.
किसानों की क्या हैं मांगें?
इस दौरान बड़ी तादाद में किसान अपने ट्रैक्टरों को लेकर पठानकोट-जालंधर हाईवे पर इकट्ठा हुए और सरकार के खिलाफ ट्रैक्टरों के साथ बड़ा प्रोटेस्ट मार्च निकाला. 13 फरवरी, 2024 से एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के तत्वावधान में किसान खनौरी में पंजाब-हरियाणा सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी एमएसपी के अलावा अन्य मांगों में कर्ज़ माफ़ी, किसानों और मज़दूरों के लिए पेंशन और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए इंसाफ शामिल हैं.
अमृतसर से आज के विरोध मार्च के बारे में बोलते हुए, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा, 'इस दिन 75 साल पहले, भारत का संविधान अपनाया गया था. लेकिन केंद्र में मौजूदा भाजपा की अगुईआई वाली सरकार किसानों और मजदूरों की आवाज का सम्मान नहीं करती है. न ही यह उनकी मांगों को स्वीकार करता है.'
ट्रैक्टर मार्च दोपहर में शुरू हुआ और 2.30 बजे तक चला. उन्होंने कहा, 'केंद्र पर दबाव बनाने के प्रयास में पंजाब, हरियाणा, दक्षिणी राज्यों और मध्य प्रदेश समेत देश भर में लाखों ट्रैक्टर सड़कों पर उतरे.'
एसकेएम की चेतावनी
वहीं, एसकेएम ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अगर केंद्र ने उनकी मांगें पूरी नहीं की तो वह देशव्यापी आंदोलन करेगा, यहां तक कि दिल्ली की सीमाओं पर 2020-21 के विरोध प्रदर्शन से भी बड़ा आंदोलन करेगा. किसान फरवरी 2024 से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर डेरा डाले हुए हैं.