Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं और बीजेपी ने बहुमत के पार पहुंचकर एक बड़ी जीत हासिल की है. दिल्ली की 70 में से 13 जाट बहुल सीटें हैं, जिनमें से 11 पर बीजेपी ने अपना कब्जा जमा लिया है. वहीं, कांग्रेस इस मामले में कहीं नहीं दिख रही है.
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Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं और बीजेपी ने बहुमत के पार पहुंचकर एक बड़ी जीत हासिल की है. दिल्ली की 70 में से 13 जाट बहुल सीटें हैं, जिनमें से 11 पर बीजेपी ने अपना कब्जा जमा लिया है. वहीं, कांग्रेस इस मामले में कहीं नहीं दिख रही है. जाट वोटर्स दिल्ली की सत्ता की दिशा तय करने में एक अहम भूमिका निभाते हैं, क्योंकि दिल्ली में जाट वोटर्स किसी भी पार्टी की हार-जीत तय करने के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं. दिल्ली में जाट वोटर्स की आबादी लगभग 10 प्रतिशत है.
दिल्ली में हाल ही में हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को जाट और गुर्जर वोटर्स का समर्थन मिला. 22 दिसंबर 2024 को मंगोलपुरी में जाट-गुर्जरों की महापंचायत हुई, जिसमें मूलनिवासी को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया गया. इसके बाद, जाट और गुर्जर नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और 360 गांव और 36 बिरादरी के लोगों ने चुनाव में BJP को समर्थन देने का ऐलान किया.
जाटों में आम आदमी पार्टी (AAP) से नाराजगी थी, क्योंकि उन्होंने कैलाश गहलोत का सम्मान नहीं किया था. BJP ने इसका फायदा उठाने की कोशिश की और चुनाव में 14% टिकट जाट और 11% गुर्जर उम्मीदवारों को दिए. इसका सीधा असर 22 से 25 सीटों पर देखने को मिला. BJP ने गुर्जरों के बीच रमेश बिधूड़ी और जाटों के बीच प्रवेश वर्मा को एक्टिव किया, जिनकी मदद से चुनाव BJP के पक्ष में हो गया.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने के लिए एक रणनीतिक कदम उठाया. उन्होंने अन्य राज्यों से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नेताओं को प्रचार के लिए दिल्ली बुलाया, जिससे उन्हें फायदा हुआ. राजस्थान की पूर्व भाजपा उपाध्यक्ष अलका गुज्जर को दिल्ली में पार्टी के प्रचार अभियान में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सहित कई प्रमुख नेताओं ने चुनाव प्रचार में भाग लिया था. राजस्थान कांग्रेस नेताओं को दिल्ली में तैनात करने के पीछे पार्टी की मुख्य रणनीति स्थानीय नेताओं और मतदाताओं को संगठित करना था. इन नेताओं ने न केवल चुनाव प्रचार और प्रबंधन में योगदान दिया, बल्कि मतदाताओं को प्रभावित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.