कभी माओवादियों और नक्सलियों की दहशत के लिए बदनाम इलाके में आजादी के बाद पहली बार लोगों ने टीवी पर कोई प्रोग्राम देखा तो उनकी खुशियां देखते ही बन रही थीं. यहां बात बस्तर जिले के उस इलाके की जहां बरसे देवा और मदवी हिडमा का घर होने की वजह से पुलिस की टीम यहां आने की हिम्मत नहीं जुटा पाती थीं.
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कभी माओवादियों और नक्सलियों की दहशत के लिए बदनाम इलाके में आजादी के बाद पहली बार लोगों ने टीवी पर कोई प्रोग्राम देखा तो उनकी खुशियां देखते ही बन रही थीं. यहां बात बस्तर जिले के उस इलाके की जहां बरसे देवा और मदवी हिडमा का घर होने की वजह से पुलिस की टीम यहां आने की हिम्मत नहीं जुटा पाती थीं. लेकिन बीते एक दशक में इतना बदलाव आया है कि यहां के लोग भी खुद को देश की मुख्य धारा से जुड़ा महसूस कर रहे हैं
पहली बार देखा टीवी
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले का पुवर्ती गांव बेहद रिमोट एरिया में हैं. इस गांव को तीन दिन पहले 11 दिसंबर को सोलर एनर्जी से चलने वाला पहला टेलीविजन मिला तो लोगों ने भारत की आज़ादी के बाद पहली बार, दूरदर्शन पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समाचारों को देखने और सुनने के साथ कुछ सीरियल और स्थानीय फ़िल्मों को देखा.
एक साथ जुटे गांव वाले
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सुकमा जिला प्रशासन के एक अधिकारी इस मौके पर मौजूद रहे. उन्होंने कहा, पुवर्ती के बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग ग्रामीण घंटों तक कार्यक्रम देखने के लिए उत्सुकता से टीवी सेटों के आसपास इकट्ठा रहे. सभी ने उस सेट-टॉप बॉक्स के साथ 32 इंच के टेलीविजन पर मनोरंजन से जुड़े कार्यक्रमों को देखा. उनके सेटअप बॉक्स में अभी केवल 100 चैनलों की सुविधा है.
गांव में पहली बार विकास की झलक
छत्तीसगढ़ राज्य नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (क्रेडा) के माध्यम से पुवर्ती में परिवारों को सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरण जैसे रोशनी और पंखे बांटे गए. इस साल की शुरुआत में, मुख्य नक्सली क्षेत्र में बिजली की कमी के मुद्दे को हल करने के लिए सिलगेर और टेकलगुडेम गांवों में भी इसी तरह के उपकरण सरकार यानी प्रशासन की ओर से बांटे गए थे. यह पहल इन क्षेत्रों में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के 100 प्रतिशत कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की नियाद नेल्लानार योजना का एक हिस्सा है.