मरान खान सरकार ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करके मांग की है कि कुलभूषण केस के लिए एक वकील नियुक्त किया जाए.
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नई दिल्ली/इस्लामाबाद: कुलभूषण जाधव केस में समीक्षा और पुनर्विचार के लिए पाकिस्तान का अध्यादेश समाप्त होने के कई दिनों बाद पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करके मांग की है कि कुलभूषण केस के लिए एक वकील नियुक्त किया जाए. 6 पेज की इस याचिका में कहा गया है, 'इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के आदेश की अनुपालना में ये दरख्वास्त की जाती है कि कोर्ट कुलभूषण को मिली सजा की समीक्षा और पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के लिए किसी उपयुक्त वकील को नियुक्त करे.'
इससे पहले पाकिस्तान ने ये दावा किया था कि कुलभूषण जाधव ने रिव्यू पिटीशन के लिए मना कर दिया था. उसने जाधव को काउंसलर एक्सेस की सुविधा के तहत पिछले हफ्ते भारतीय राजनयिकों को उनसे मिलने की इजाजत दी गई लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक जाधव के साथ ‘इंतजाम ऐसे थे कि मुक्त बातचीत की इजाजत नहीं थी’.
विदेश मंत्रालय ने बताया कि, ‘वो राजनयिक जाधव को उसके कानूनी अधिकारों के बारे में नहीं बता सके और उनको कानूनी प्रतिनिधित्व के लिए जाधव की लिखित सहमति लेने से भी रोका गया’.
ICJ ने दोहराई बात
इसी बीच इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने हमारे अंतरराष्ट्रीय चैनल WION के एक सवाल कि भारत या पाकिस्तान किसी ने भी 2019 के फैसले पर कोर्ट को अप्रोच किया है तो इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘कोर्ट का फैसला बाध्य है, अंतिम है और इसके खिलाफ अपील नहीं हो सकती’.
दरअसल ये सवाल इसलिए क्यों उठा क्योंकि ऐसी चर्चाएं थीं कि भारत आईसीजे में वापस जा सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान ने 2019 के अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के फैसले को पूरा नहीं लागू किया है. इस साल के शुरुआत में कुलभूषण केस के वकील हरीश साल्वे ने कहा भी था कि भारत, 2019 के फैसले को पाकिस्तान से लागू करवाने के लिए फिर से इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस जा सकता है.
इस केस में पिछले साल भारत सरकार को इंटरनेशनल कोर्ट में उस वक्त बड़ी कूटनीतिक जीत मिली थी जब कोर्ट ने पाकिस्तान से कहा था कि, ‘विएना समझौते के काउंसलर रिलेशंस पर आर्टिकल 36 के तहत कुलभूषण जाधव को काउंसलर एक्सेस की सुविधा दी जानी चाहिए.’
(सिद्धांत सिब्बल के इनपुट के साथ)