Japan में तेजी से नास्तिक हो रहे लोग? 50% महिलाओं की आस्था पहले से हुई कम
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Japan में तेजी से नास्तिक हो रहे लोग? 50% महिलाओं की आस्था पहले से हुई कम

Japan faith and religion: जापान की एक बड़ी आबादी बौद्ध धर्म को मानती है. वहां हिंदू देवी-देवताओं की पूजा आज भी की जाती है. इसी तरह अन्य धर्म के मानने वाले भी बहुत सारे लोग हैं पर जापान में अब किसी धर्म को ना मानने वालों की संख्या धार्मिक लोगों के मुकाबले सबसे तेजी से बढ़ी है.

Japan में तेजी से नास्तिक हो रहे लोग? 50% महिलाओं की आस्था पहले से हुई कम

Is Japan losing its religion: टोक्यो में एक प्रमुख बौद्ध मंदिर द्वारा हुई एक स्टडी में जापान (Japan) में धर्म के प्रति बढ़ते अविश्वास का खुलासा हुआ है. इस मामले को लेकर कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह उन धार्मिक संप्रदायों का परिणाम है जिन्होंने अतीत में अपने उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए हिंसा का इस्तेमाल किया है. जापान में ऐसा होना चिंता की बात इसलिए है क्योंकि यहां 67 फीसदी आबादी बौद्ध धर्म (Buddhism) में आस्था रखती है. यहां पर शिंतोवाद दूसरा और ईसाई धर्म तीसरा बड़ा धार्मिक समूह है. यहां हिंदू देवताओं जैसे अग्नि और वरुण की पूजा भी होती है. धर्म और आस्था के संगम वाले इस देश के लोगों की आस्था कमजोर पड़ रही है. 

टोक्यो के मंदिर में सर्वे

जापान में किसी धर्म को ना मानने वालों की संख्या धार्मिक लोगों के मुकाबले अप्रत्याशित तेजी से बढ़ी तो इसके पीछे कई तरह के तर्क दिए जा रहे हैं. इसके लिए कुछ धार्मिक संगठनों से जुड़े लोगों ने राजनीतिक जगत में घटी घटनाओं के साथ भ्रष्टाचार और घोटालों को जिम्मेदार ठहराया है.

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक इस स्थिति को लेकर एक विश्लेषक का मानना है कि ओम शिनरिक्यो और यूनिफिकेशन चर्च जैसे 'नए धर्मों' के कारण होने वाली समस्याएं अभी भी जापानी समाज को प्रभावित कर रही हैं. टोक्यो में स्थित त्सुकीजी मंदिर में 2023 में हुए एक सर्वे में जब लोगों से पूछा गया कि धर्म के प्रति विश्वास में क्या बदलाव हुआ है? इस सवाल के जवाब में करीब 40 फीसदी लोगों ने कहा कि उनका धर्म के प्रति विश्वास पहले से कम हुआ है.

महिलाओं की घटी आस्था!

इस सर्वे में शामिल 18 साल से 50 साल की महिलाएं धर्म के प्रति सबसे ज्यादा नकारात्मक रवैया अपना रही हैं. करीब 50 फीसदी महिलाओं ने सीधे सीधे कहा कि उनकी आस्था कम हुई है यानी उनका भरोसा धर्म से कहीं न कहीं जरूर डगमगाया है. वहीं 35 फीसदी पुरुषों ने भी कहा कि वो अब धर्म के साथ खुद को जोड़ नहीं पा रहे हैं. इस मंदिर में आए 60 साल से कम उम्र के पुरुषों और महिलाओं का मानना है कि बौद्ध मंदिर जाने का अब उनके पास कोई खास कारण नहीं है.

1990 के दशक से है नाता

कुछ विश्लेशकों का मानना है कि जापानी जनता का धार्मिक संगठनों से विश्वास 1990 में उठा जब एक पंथ ओम शिनरिक्यो कई आपराधिक साजिशों का केंद्र बिंदु बना. 1995 में इस संगठन के सदस्यों ने टोक्यो में 3 मेट्रो ट्रेनों पर जहरीली गैस छोड़ी छोड़ी थी. जिनमें कई लोगों की मौत हो गई थी.

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