Janmashtami 2023: जन्माष्टमी का व्रत पहली बार रख रहे हैं तो सूर्यास्त के बाद भूलकर भी न पीएं पानी, ये है खास वजह
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Janmashtami 2023: जन्माष्टमी का व्रत पहली बार रख रहे हैं तो सूर्यास्त के बाद भूलकर भी न पीएं पानी, ये है खास वजह

When Is Janmashtami Vrat 2023: जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की कृपा पाने के लिए व्रत रखते हैं. इस दिन विधिविधान के साथ लड्डू गोपाल का पूजन किया जाता है. ज्योतिष शास्त्र में जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने के कुछ नियम बताए गए हैं, जिन्हें भूलकर भी अनदेखा नहीं करना चाहिए. 

 

janmashtami upay 2023

Janmashtami Vrat Niyam: हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिवस को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन देशभर में बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है. भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन ये पर्व मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने धरती पर अवतार लिया था. बता दें कि इस दिन श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है. बता दें कि गृहस्थ लोगों के लिए 6 सितंबर को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. वहीं 7 सितंबर को वैष्णव जन्माष्टमी मनाएंगे. इस दिन भगवान श्री कृष्ण को समर्पित व्रत रखा जाता है. इस दिन व्रत के दौरान सूर्यास्त के बाद पानी पीने की मनाही होती है. जानें जन्माष्टमी व्रत के नियम.

जन्माष्टमी के दिन सूर्यास्त के बाद क्यों नहीं पीते पानी? 

मान्यता है कि जन्माष्टमी का व्रत पूरे विधिविधान के साथ रखने पर ही व्रत का पूरा फल मिलता है. इस दिन पूरा दिन फलाहार और दूध-दही आदि का सेवन ही करता है. लेकिन सूर्यास्त के बाद पानी पीने की मनाही होती है. बता दें कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात्रि के समय हुआ था. सूर्यास्त के बाद भगवान की पूजा की तैयारियां शुरू की जाती हैं. इस दौरान उनके जन्म तक पानी ग्रहण नहीं तिया जाता.

जानें जन्माष्टमी व्रत के नियम

- जन्माष्टमी के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए. साथ ही, इस दिन सात्विक विचार भी रखने चाहिए. इस दिन व्रती को दिनभर भगवान श्री कृष्ण की ही आराधना करनी चाहिए. इस दिन भूलकर भी किसी गरीब का अपमान न करें.

-  इस दिन किसी जरूरतमंद को दान अवश्य दें. इस दिन दान-पुण्य आदि करने से भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है. और जातकों पर हमेशा कृपा बनी रहती है.

-  बता दें कि इस दिन लड्डू गोपाल का पूजन किया जाता है और उन्हें नए वस्त्र आदि पहनाने की परंपरा है. पूरा श्रृंगार किया जाता है और इसके बाद उन्हें झूला झूलाया जाता है. इसलिए जन्माष्टमी के दिन जन्म के बाद लड्डू गोपाल को झूला झूलाया जाता है.

-  इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि जन्माष्टमी व्रत के दौरान शाम को पूजा से पहले स्नान अवश्य कर लें. इसके बाद ही पूजन की तैयारियों में लगें.

- इस दिन लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराया जाता है. इसके बाद इन्हें नए वस्त्र पहनाकर तैयार करें. बता दें कि पूजा के बाद सबसे पहले पंचामृत का ही प्रसाद ग्रहण करना चाहिए.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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