Aditya Hridaya Stotra: जानें क्या है आदित्य हृदय स्तोत्र का महत्व, जिसका PM मोदी ने लिया है संकल्प
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Aditya Hridaya Stotra: जानें क्या है आदित्य हृदय स्तोत्र का महत्व, जिसका PM मोदी ने लिया है संकल्प

Aditya Hridaya Stortra: पीएम मोदी ने 22 जनवरी तक 2100 आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने का संकल्प लिया है. माना जा रहा है कि ऐसा करने से अब प्रभु श्री राम के इस मंदिर के संबंध में कभी किसी तरह की बाधा नहीं आएगी. 

Aditya Hridaya Stotra: जानें क्या है आदित्य हृदय स्तोत्र का महत्व, जिसका PM मोदी ने लिया है संकल्प

Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या में 22 जनवरी को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में  रामलला के विराजमान होने के लिए अब सिर्फ 11 दिन ही बचे हैं. अयोध्या के इस मंदिर के निर्माण में लाखों लोगों ने अपनी आहुति दी और करीब 500 वर्षों के संघर्ष और तमाम बाधाओं को दूर करने के बाद ही सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद बाद इस मंदिर का पुनर्निर्माण हो रहा है. राम इस देश के प्राणाधार हैं और जन जन के मन में उनकी मर्यादा पुरुषोत्तम की छवि है. 

 

PM ने लिया 2100 आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ का संकल्प

 

भगवान श्री राम के इस मंदिर में रामलला प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी बुलाया गया है. उन्होंने भी आज यानी 12 जनवरी से 22 जनवरी तक 2100 आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने का संकल्प लिया है. माना जा रहा है कि ऐसा करने से अब प्रभु श्री राम के इस मंदिर के संबंध में कभी किसी तरह की बाधा नहीं आएगी. 

 

शत्रु हो जाते हैं दूर

 

आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ शत्रुओं के समूल विनाश के लिए किया जाता है. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार आदित्य यानी सूर्य की उपासना के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ बहुत ही प्रभावकारी है. माता सीता के हरण के बाद जब श्री हनुमान जी ने लंका से लौटने के बाद प्रभु श्री राम को यह जानकारी दी कि उनका हरण लंकापति रावण ने किया है तो श्री राम मां सीता की मुक्ति के लिए वानरों और भालुओं की सेना लेकर लंका पहुंच गए थे.  

 

महर्षि अगस्त्य ने किया था पाठ

 

महर्षि अगस्त्य ने श्री राम को रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र दिया था. सभी ग्रहों में सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है और अयोध्या नरेश दशरथ नंदन श्री राम भी सूर्यवंशी थे. सूर्य की आराधना से ही उनमें बल और साहस का संचार हुआ था. 

 

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