Lucky Gemstone (ज्योतिष शास्त्री नरिंदर जुनेजा): हर रत्न का अलग-अलग प्रभाव होता है और इन्हें पहनने से पहले कुछ खास नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है. आइए जानते हैं रत्नों से जुड़े इन महत्वपूर्ण नियमों के बारे में.
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Lucky Gemstone: हम सभी के जीवन में एक समय ऐसा आता है, जब हमें लगता है कि कुछ चीजें हमारे नियंत्रण से बाहर हैं और हम अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए किसी मदद की तलाश करते हैं. इस दौरान, ज्योतिष शास्त्र और रत्नों (Gemstones) का महत्व बढ़ जाता है. रत्नों का मानना है कि ये हमारी ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभाव को संतुलित करने में मदद करते हैं, जिससे जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं. हालांकि, रत्नों के प्रभाव को सही तरीके से महसूस करने के लिए जरूरी है कि हम इन्हें सही समय, सही दिशा और सही नियमों के अनुसार पहनें. आज हम आपको रत्नों के महत्व और उन्हें पहनने से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताएंगे, ताकि आप अपने जीवन को संवार सकें और अपने भाग्य को बदल सकें.
रत्नों का महत्व और प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र में रत्नों को ग्रहों के प्रभाव को नियंत्रित करने और उनका शुभता बढ़ाने के रूप में देखा जाता है. रत्नों का प्रत्येक ग्रह से जुड़ा हुआ एक विशिष्ट संबंध होता है. इन रत्नों के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि, और खुशहाली आ सकती है. उदाहरण के लिए, पुखराज (Yellow Sapphire) बृहस्पति ग्रह का रत्न है, जो ज्ञान, शिक्षा, और धन की प्राप्ति में मदद करता है, जबकि मोती (Pearl) चंद्रमा से जुड़ा हुआ है और मानसिक शांति और स्नेह को बढ़ावा देता है.
रत्नों से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें और नियम
किसी भी रत्न को धारण करने के लिए शुक्ल पक्ष का समय सबसे शुभ माना जाता है. शुक्ल पक्ष में रत्न पहनने से उसका प्रभाव सकारात्मक रहता है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है. वहीं, कृष्णपक्ष में रत्न पहनने से नकारात्मक प्रभाव हो सकता है, इसलिए इस पक्ष में रत्न पहनने से बचना चाहिए. यदि रत्न को शुक्ल पक्ष में पहना जाता है, तो वह आपके जीवन में शुभ फल प्रदान करता है.
रत्न को पूजित और अभिमंत्रित करें
रत्न को पहनने से पहले उसे विधि-विधान से पूजित और अभिमंत्रित करना जरूरी है. बिना पूजा और मंत्रोच्चारण के रत्न पहनने से उसका प्रभाव कमजोर हो सकता है. रत्न को सही तरीके से अभिमंत्रित करने से उसकी शक्ति अधिक प्रभावशाली होती है और इसका सही परिणाम मिलता है.
शुभ मुहूर्त में रत्न खरीदें और पहने
रत्न को न केवल शुभ मुहूर्त में खरीदना चाहिए, बल्कि उसे पहनने का समय भी शुभ मुहूर्त में होना चाहिए. ज्योतिष के अनुसार, हर रत्न को विशेष समय और मुहूर्त में पहनने से उसके प्रभाव में वृद्धि होती है. बिना शुभ मुहूर्त के रत्न खरीदने से उसका प्रभाव उल्टा भी हो सकता है.
दाग-धब्बे वाला रत्न न खरीदें
रत्न खरीदते समय यह सुनिश्चित करें कि वह रत्न साफ और बिना दाग-धब्बे वाला हो. दाग या चटका हुआ रत्न किसी भी शुभ कार्य के लिए उपयुक्त नहीं होता. रत्न को हमेशा उच्च गुणवत्ता और शुद्धता के साथ खरीदें ताकि वह आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सके.
सही ग्रह के अनुसार रत्न पहनें
हर रत्न एक विशेष ग्रह से जुड़ा होता है, इसलिए रत्न को चुनते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि वह आपके ग्रहों से मेल खाता हो. उदाहरण के लिए, अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति कमजोर है तो आपको पुखराज पहनना चाहिए, जबकि अगर चंद्रमा कमजोर है तो मोती पहनना उचित होगा.
अधिक रत्न न पहने
एक समय में एक से अधिक रत्न पहनने से बचना चाहिए, खासकर अगर वह रत्न परस्पर शत्रु ग्रहों से जुड़े हुए हों. इससे ग्रहों का असर उल्टा पड़ सकता है और जीवन में समस्या उत्पन्न हो सकती है. हमेशा एक समय में एक रत्न पहनने का प्रयास करें और एक ही ग्रह से जुड़े रत्न का ही चुनाव करें.
सही वजन का रत्न खरीदें
रत्न को हमेशा सही वजन में ही खरीदें. ज्योतिष शास्त्र में यह कहा गया है कि रत्न को सवा रत्ती या उससे अधिक वजन में खरीदें. पौन रत्ती का रत्न पहनने से अच्छा परिणाम नहीं मिलता है. रत्न का वजन जितना अधिक होगा, उसका प्रभाव उतना ही मजबूत होगा.
संबंधित धातु में रत्न धारण करें
रत्न को हमेशा उसकी संबंधित धातु में ही धारण करना चाहिए. जैसे मोती को चांदी में, पुखराज को सोने में, और मूंगा को तांबे में पहनना चाहिए. रत्न की धातु भी उसके प्रभाव को बढ़ाती है और इसे सही धातु में पहनने से उसका असर अधिक होता है.
रत्न पहनने का सही दिन और तिथि
रत्न को उसके विशेष दिन पर पहनना चाहिए. उदाहरण के लिए, रविवार को माणिक्य पहनना शुभ होता है, सोमवार को मोती, गुरुवार को पुखराज, मंगलवार को मूंगा, बुधवार को पन्ना और शनिवार को नीलम पहनना शुभ होता है. इसके अलावा, चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी तिथि को रत्न धारण नहीं करना चाहिए.
गोचर चंद्रमा का ध्यान रखें
रत्न पहनने से पहले यह भी सुनिश्चित करें कि उस दिन गोचर चंद्रमा आपकी राशि से चार, आठ या बारह में न हो. ऐसे समय में रत्न पहनने से उसे उलटा प्रभाव हो सकता है. इसके अलावा, ग्रहण, संक्रांति और अमावस्या के दिन रत्न पहनने से बचना चाहिए, क्योंकि इन दिनों ग्रहों के प्रभाव में असमानता हो सकती है.
रत्न केवल एक आभूषण नहीं होते, बल्कि ये हमारे जीवन को संवारने और ग्रहों के प्रभाव को संतुलित करने का एक अद्भुत तरीका हैं. रत्न पहनने से पहले इन नियमों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि सही तरीके से पहना गया रत्न आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है और भाग्य को बदल सकता है. यदि आप इन नियमों का पालन करते हुए रत्न पहनते हैं, तो इसका प्रभाव आपके जीवन में जरूर दिखाई देगा. तो, अगली बार जब आप रत्न खरीदने का सोचें, तो इन नियमों को ध्यान में रखें और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए सही रत्न का चयन करें!
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)