Banke Bihari Mandir Secret: मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में प्रत्येक 2 मिनट पर भगवान की प्रतिमा के सामने पर्दा डाल दिया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है. आइए जानते हैं इसके पीछे की मुख्य वजह क्या है.
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Banke Bihari Mandir Secret: देश में कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जहां से जुड़ी कुछ बातें लोगों को हैरत में डाल देती है. मथुरा का बांके बिहारी मंदिर भी एक ऐसा मंदिर है जहां से जुड़े कई दिलचस्ल किस्से और रहस्य हैं. बांके बिहारी मंदिर से जुड़ा एक नियम यह है कि वहां प्रत्येक दो मिनट के अंतराल पर भगवान की प्रतिमा के सामने पर्दा लगा दिया जाता है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर बांके बिहारी मंदिर में हर 2 मिनट पर मूर्ति के सामने पर्दा क्यों लगा दिया जाता है.
कैसे शुरू हुई बांके बिहारी मंदिर में पर्दा डालने की परंपरा
दरअसल, 400 साल पहले जब बांके बिहारी मंदिर में पर्दा डालने की परंपरा नहीं थी तब भक्त बिना किसी रुकावट के उनके दर्शन करते थे. लेकिन एक दिन एक अद्वितीय घटना घटी. एक नि:संतान वृद्ध विधवा महिला पहली बार मंदिर आई. जब उसने बांके बिहारी जी के दर्शन किए, तो वह उनके मोहक स्वरूप को देखकर इतनी भावविभोर हो गई कि अपना सारा दुःख-दर्द भूल गई. उसने मन ही मन यह निश्चय किया कि वह भगवान को अपना पुत्र मानेगी और अपनी सारी संपत्ति उनके नाम कर देगी. उस वृद्धा का प्रेम और वात्सल्य इतना प्रबल था कि स्वयं बांके बिहारी उनकी ममता के आगे झुक गए. कहा जाता है कि जब वह महिला मंदिर से घर जाने लगी, तो बिहारी जी भी उसके पीछे-पीछे उसके घर तक चले गए.
अगले दिन जब मंदिर के पुजारी और श्रद्धालुओं ने देखा कि ठाकुर जी मंदिर में नहीं हैं, तो सब परेशान हो गए. काफी खोजबीन के बाद वे उस वृद्धा के घर पहुंचे, जहां बांके बिहारी जी विराजमान थे. भक्तों और पुजारियों ने मिलकर उनसे प्रार्थना की कि वह मंदिर वापस लौट चलें. बार-बार मनाने के बाद बिहारी जी वापस मंदिर आए.
इस घटना के बाद, यह डर बना रहा कि कहीं भगवान किसी और भक्त के प्रेम से फिर से आकर्षित होकर उनके पीछे न चले जाएं. इसी वजह से मंदिर में हर दो मिनट पर भगवान के आगे पर्दा डालने की परंपरा शुरू की गई, ताकि भक्त उनके रूप को लंबे समय तक न निहार सकें.
बांके बिहारी मंदिर से जुड़ी परंपराएं
मंगला आरती- साल में सिर्फ एक दिन यानी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मंगला आरती होती है.
चरण दर्शन- साल में सिर्फ एक बार, अक्षय तृतीया के दिन भगवान बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन कराए जाते हैं.
बंसी और मुकुट धारण करना- साल में केवल एक बार, शरद पूर्णिमा के दिन, भगवान को बंसी और मुकुट धारण कराया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)