Microplastic Particles: अध्ययन के एक लेखक युआनटोंग गु ने कहा, 'यह अध्ययन हवा में माइक्रोप्लास्टिक्स की उपस्थिति और संभावित स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में अधिक जागरूकता की आवश्यकता पर जोर देता है.'
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Microplastics: मनुष्य हर घंटे 16.2 बिट्स माइक्रोप्लास्टिक्स के रूप में सांस ले सकता है. मानव श्वसन प्रणाली को अवरुद्ध करने वाले इस संभावित जहरीले पदार्थ की यह मात्रा अगर आपको कम लग रही है तो आप गलत सोच रहे हैं. हफ्ते भर तक हर घंटे इतना माइक्रोप्लास्टिक्स जमा किया जाए तो यह एक क्रेडिट कार्ड के बराबर हो जाता है. जर्नल फिजिक्स ऑफ फ्लुइड्स में हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में यह बात सामने आई है. वैज्ञानिकों ने मानव रक्त, स्तन के दूध और यहां तक कि पीने के पानी और भोजन में माइक्रोप्लास्टिक पाए जाने के बारे में चेतावनी दी.
अध्ययन में क्या पाया गया?
अध्ययन ऑस्ट्रेलिया के विश्वविद्यालयों के कई वैज्ञानिकों द्वारा एक कंप्यूटर मॉडल का उपयोग करके किया गया था, जिसे उन्होंने ऊपरी वायुमार्ग में माइक्रोप्लास्टिक परिवहन और जमाव का विश्लेषण करने के लिए बनाया था. पिछले कुछ वर्षों में, माइक्रोप्लास्टिक को पांच मिलीमीटर से कम लंबे प्लास्टिक के छोटे टुकड़ों और कपड़े से माइक्रोफाइबर के रूप में परिभाषित किया गया है जो पृथ्वी के वायुमंडल में फंस जाते हैं.
बताया जा रहा है अध्ययन के लिए इस्तेमाल किए गए कंप्यूटर मॉडल ने दशकों के लिए कणों के अन्य रूपों के बारे में प्रभावी भविष्यवाणियां प्रदान की हैं.
सबसे बड़े माइक्रोप्लास्टिक का यह था साइज
शोध में पाया गया कि अध्ययन के लिए परीक्षण किया गया सबसे बड़ा माइक्रोप्लास्टिक, जो 5.56 माइक्रोन था, ऊपरी वायुमार्ग, नाक गुहा या गले के पिछले हिस्से में फंस गया. केवल साइज ही नहीं बल्कि कण का आकार भी बताता था कि वह कहां जमा हुआ था. कंप्यूटर मॉडल ने गोलाकार, टेट्राहेड्रल और बेलनाकार आकार पर आधारित तथा धीमी और तेज सांस लेने की स्थिति के आधार पर माइक्रोप्लास्टिक्स की गति का भी परीक्षण किया.
शोधकर्ताओं ने पाया कि निक्षेपण दर (Deposition Rate) ज्यादातर सांस लेने की स्थिति और कण आकार पर निर्भर थी. एक बढ़ी हुई वायु प्रवाह दर के कारण कम जमाव हुआ, जबकि सबसे बड़े माइक्रोप्लास्टिक्स छोट कणों (1.6 और 2.56 माइक्रोन) की तुलना में अधिक बार वायुमार्ग में जमा हुए.
माइक्रोप्लास्टिक्स के प्रभावों के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध
अध्ययन के एक लेखक युआनटोंग गु ने कहा, 'यह अध्ययन हवा में माइक्रोप्लास्टिक्स की उपस्थिति और संभावित स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में अधिक जागरूकता की आवश्यकता पर जोर देता है.' हालांकि, मानव स्वास्थ्य पर माइक्रोप्लास्टिक्स के प्रभावों के बारे में बहुत कम जानकारी है. जबकि हम पहले ही समुद्री जीवन पर इसके प्रभाव को देख चुके हैं, लेकिन यही असर मनुष्यों के लिए सही नहीं कहा जा सकता है.