India-China Trade: भारत सरकार ने सस्ते अपरिष्कृत (कच्चे) मानव बालों के निर्यात पर कड़ा कदम उठाते हुए 65 डॉलर प्रति किलोग्राम से कम कीमत पर इनके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह निर्णय ऐसे समय पर आया है जब म्यांमा और चीन जैसे देशों में इनकी तस्करी की खबरें सामने आ रही थीं.
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India-China Trade: भारत सरकार ने सस्ते अपरिष्कृत (कच्चे) मानव बालों के निर्यात पर कड़ा कदम उठाते हुए 65 डॉलर प्रति किलोग्राम से कम कीमत पर इनके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह निर्णय ऐसे समय पर आया है जब म्यांमा और चीन जैसे देशों में इनकी तस्करी की खबरें सामने आ रही थीं. जिससे स्थानीय उद्योगों को भारी नुकसान हो रहा था.
पहले लगाए गए थे निर्यात पर बैन
इससे पहले जनवरी 2022 में सरकार ने ऐसे बालों के निर्यात पर अंकुश लगाया था. लेकिन अब इसे पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि अब सिर्फ उन्हीं मानव बालों का निर्यात किया जा सकेगा. जिनकी कीमत 65 डॉलर प्रति किलोग्राम या उससे अधिक होगी.
चीन और म्यांमार पर सबसे ज्यादा असर
भारत से अपरिष्कृत मानव बालों का सबसे ज्यादा निर्यात म्यांमा और चीन को होता है. चीन, कंबोडिया, वियतनाम और म्यांमार भारत के प्रमुख प्रतिस्पर्धी हैं. भारत से जाने वाले कच्चे बालों का इस्तेमाल इन देशों में विग और हेयर एक्सटेंशन बनाने के लिए किया जाता है. लेकिन हाल के वर्षों में इन बालों की तस्करी बढ़ गई थी. जिससे भारतीय उद्योग को नुकसान झेलना पड़ा.
भारत में कहां से जुटाए जाते हैं बाल?
भारत में मुख्य रूप से दो प्रकार के बाल एकत्र किए जाते हैं.. रेमी बाल और नॉन-रेमी बाल.
रेमी बाल- ये उच्च गुणवत्ता वाले बाल होते हैं. जो दक्षिण भारत के मंदिरों से एकत्र किए जाते हैं. श्रद्धालु धार्मिक मान्यताओं के तहत अपने बाल दान करते हैं, जिनका उपयोग विग और हेयर एक्सटेंशन बनाने में किया जाता है.
नॉन रेमी बाल- ये बाल गांवों और शहरों में बिखरे हुए बालों को एकत्र करके बनाए जाते हैं और इनकी गुणवत्ता रेमी बालों से कम होती है.
भारतीय बाजार पर क्या असर पड़ेगा?
सरकार के इस फैसले से तस्करी पर लगाम लगेगी और भारतीय बाजार को फायदा होगा. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल इस उद्योग के प्रमुख केंद्र हैं. पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में भारत से मानव बालों का कुल निर्यात 12.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर था. जबकि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-नवंबर के दौरान यह आंकड़ा 12.39 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया.
सरकार के फैसले से चीन को झटका
भारत के इस कदम से चीन को बड़ा झटका लग सकता है क्योंकि वह भारतीय मानव बालों का प्रमुख खरीदार है. चीन में भारतीय बालों से बने हेयर एक्सटेंशन और विग की बड़ी मांग है. अब सस्ते बालों का निर्यात रुकने से चीन को इन्हें महंगे दामों पर खरीदना पड़ेगा या फिर अन्य देशों पर निर्भर रहना होगा.
(एजेंसी इनपुट के साथ)