Russian men changing gender: रूस के युवाओं को मौत का ऐसा डर सता रहा है कि वो सेना में भर्ती होने को तैयार नहीं हैं. दरअसल यूक्रेन युद्ध के लंबा खिंचने के बाद रूसी फौज सैनिकों की कमी से जूझ रही है. पुतिन ने इस मुश्किल का जो हल निकाला है उसने देश में एक नई समस्या खड़ी कर दी है.
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Russian men changing gender to ‘avoid’ Ukraine war draft: देश के लिए जान देने का जज्बा अलग ही होता है. वो लोग अलग मिट्टी के बने होते हैं जो मात्रभूमि की रक्षा के लिए मर मिटने का सपना देखते हुए फौज में भर्ती होते हैं. देशप्रेम की इससे बड़ी मिसाल भला और क्या होगी. ऐसी बातों से इतर न्यूक्लियर पावर रूस के युवा फौज में जाने से बचने के लिए अपना जेंडर बदलवा (Russian men changing gender) रहे हैं.
रूस के लोगों में ये कैसी कश्मकस?
'टेलीग्राफ यूके' की रिपोर्ट के मुताबिक सैनिकों की कमी से जूझ रहे रूस ने युवाओं के लिए सेना में सर्विस को जरूरी बना दिया है. मगर रूसी युवाओं के दिलोदिमाग में युद्ध को लेकर दहशत का ऐसा माहौल है कि उन्होंने बड़े पैमाने पर जेंडर चेंज यानी लिंग परिवर्तन करवाना शुरू कर दिया है. कुछ अन्य रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूसी सेना यूक्रेन में बड़े पैमाने पर अपने सैनिकों को खो चुकी है. उनमें से कई ऐसे हैं, जो इतनी बुरी तरह जख्मी हैं कि जंग के मैदान में नहीं जा सकते हैं. यूक्रेन भी लगातार यह दावा कर रहा है कि अभी तक रूस के 1.93 लाख सैनिक मारे जा चुके हैं.
ऐसे दावों और खबरों के बीच रूस देश के युवाओं को जल्द से जल्द ट्रेनिंग देकर सीधे रणभूमि में उतारना चाहता हैं, लेकिन रूस के नौजवान सेना में ड्राफ्ट किए जाने से बचने के लिए नए-नए तरीके ढूंढ रहे हैं. पश्चिमी मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 15 महीने से यूक्रेन के साथ जंग कर रही रूसी फौज में सैनिकों की कमी हो गई है. ऐसी ही स्थिति से अबतक बचने के लिए पुतिन चेचेन्या और अन्य देशों में मौजूद अपने भाड़े के सैनिकों से काम चला रहे थे.
2.5 लाख युवाओं के जेंडर चेंज कराने की खबर
पहले के नियमों के मुताबिक रूस में सिर्फ एक फॉर्म भरकर लिंग परिवर्तन किया जा सकता है. यानी इसके लिए सर्जरी की जरूरत नहीं होती थी. अब सरकार जेंडर चेंज करने के नियम बेहद सख्त बनाने जा रही है. सूत्रों के हवाले से ये कहा जा रहा है कि यूक्रेन युद्ध को लेकर बनाए गए ड्राफ्ट की वजह से ही जेंडर चेंज के मामले अप्रत्याशित रूप से बढे हैं. बताया जा रहा है कि जो युवा पिछले साल सितंबर में सेना के ड्राफ्ट से पहले देश नहीं छोड़ पाए थे, उन्होंने अब जल्द से जल्द अपना काम पूरा कराने के लिए प्राइवेट अस्पतालों का रुख किया है. ऐसी ही मुहिम में अभी तक 2.5 लाख से ज्यादा युवाओं के जेंडर चेंज करा चुकने की खबर है.
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