Social, Financial and Educational status Survey of Mahrashtra Muslims: अध्ययन में मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास, वित्तीय सहायता और सरकारी योजनाओं का उन तक पहुंचने वाले लाभों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
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मुंबईः महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Govt.) ने प्रदेश के 56 शहरों में मुस्लिम समुदाय (Muslims Community) की सामाजिक, वित्तीय और शैक्षणिक स्थिति (Social, Financial and Educational Survey ) का आकलन करने के लिए एक विस्तृत सर्वेक्षण शुरू कर रहा है. सरकार के एक आधिकारिक आदेश में यह जानकारी दी गई है. पिछले 21 सितंबर को जारी एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) के मुताबिक, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) को इस अध्ययन का जिम्मा दिया गया है, जिसके लिए 33.92 लाख रुपए का निर्धारण किया गया है.
प्रदेश के 56 शहरों में किया जाएगा अध्ययन
गौरतलब है कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाले अल्पसंख्यक विकास विभाग द्वारा यह अध्ययन शुरू किया गया है. प्रस्ताव के मुताबिक, “यह अध्ययन महाराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय को मुख्यधारा में लाने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, जीवन स्तर, वित्तीय सहायता, बुनियादी ढांचे की उपलब्धता और सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने पर केंद्रित होगा.“ यह अध्ययन राज्य के छह राजस्व संभागों के 56 शहरों में किया जाएगा. अध्ययन में मुस्लिम समुदाय की बहुलता वाले क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास, वित्तीय सहायता और सरकारी योजनाओं का उन तक पहुंचने वाले लाभों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा. टीआईएसएस द्वारा इन पहलुओं का सर्वेक्षण करके और संबंधित क्षेत्र के विशिष्ट मुद्दों की पहचान कर इस संबंध में सिफारिशें करने की संभावना है. सरकारी प्रस्ताव में कहा गया है कि अगले चार महीने में इससे जुड़ी रिपोर्ट पेश की जाएगी और फिर सरकार इसपर अपना निर्णय लेगी.
सच्चर कमिटी देश भर में कर चुकी है ऐसा ही अध्ययन
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र सरकार जो अध्यन अभी करवा रही है, ठीक ऐसा ही अध्ययन केंद्र में यूपीए-1 की सरकार में कांग्रेस पूरे देश में करा चुकी है. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मार्च 2005 में दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजेंद्र सच्चर की अगुवाई में सच्चर कमिटी का गठन किया था. सात सदस्यीय इस उच्च स्तरीय समिति ने देश में मुसलमानों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति का अध्ययन किया था. समिति ने 2006 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी. 403 पन्नों की इस रिपोर्ट में भारत में मुसलमानों की आर्थिक, सामाजिक और शैखणिक स्थिति बेहद दयनीय अवस्था में बताई गई थी औरी इसके समावेशी विकास के लिए सरकार को सुझाव दिए गए थे.
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