Rahul Gandhi Meets Loco Pilots: लोको पायलट के संगठन ने लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को एक ज्ञाप सौंपा है, जिसमें हालिया रेल दुर्घटनाओं के लिए कामकाज संबंधी खराब परिस्थितियों को जिम्मेदार ठहराया गया है.
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Rahul Gandhi Meets Loco Pilots: रेलवे लोको पायलट के संगठन ने लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को एक ज्ञाप सौंपा है, जिसमें हालिया रेल दुर्घटनाओं के लिए कामकाज संबंधी खराब परिस्थितियों को जिम्मेदार ठहराया गया है. ‘ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन’ के दक्षिण जोन के अध्यक्ष आर कुमारेसन ने यह जानकारी दी है.
राहुल गांधी ने लोको पायलट के समूह से 5 जुलाई को मुलाकात की थी और उन्हें विश्वास दिलाया था कि वह ‘रेलवे के निजीकरण’ और भर्तियों की कमी का मुद्दा उठाएंगे. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और ट्रेन चालकों के बीच नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 5 जुलाई को मुलाकात कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कुमारेसन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि लोको पायलट रेलवे में खुद के और यात्रियों के समक्ष आने वाले ‘‘सुरक्षा संबंधी गंभीर मुद्दों’’ की तरफ गांधी का ध्यान आकर्षित कराना चाहते हैं.
10 दिन में एक बार दिया जाता है आराम
एसोसिएशन ने ज्ञापन में कहा, ‘‘भारतीय रेल से जुड़ी दुर्घटनाओं सहित हालिया दुर्घटनाओं ने लोको पायलट की कामकाजी स्थितियों में सुधार समेत कई मुद्दों को सुलझाने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया है.’’ ज्ञापन में ट्रेन चालकों की दुर्दशा पर प्रकाश डालते हुए कहा गया है कि लोको पायलट, खास तौर पर मालगाड़ी चलाने वाले चालक, दिन में 14 से 16 घंटे काम करते हैं और तीन या चार दिन बाद घर जाते हैं. इसमें कहा गया है कि ये चालक चार से ज्यादा रातों तक लगातार काम करते हैं और उन्हें साप्ताहिक विश्राम देने के बजाय 10 दिन में एक बार आराम दिया जाता है.
इस वजह से रेड सिग्नल करते हैं जंप
ज्ञापन में कहा गया है कि रेलवे के जरिए साल 2017 में गठित सुरक्षा संबंधी कार्यबल ने पाया कि ‘रेड सिग्नल’ का उल्लंघन ज्यादातर तब होता है, जब लोको पायलट ‘‘अपर्याप्त साप्ताहिक आराम’’ के बाद काम पर लौटते हैं. ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘चूंकि उन्हें (ट्रेन चालकों को) उनके घरेलू काम करने के लिए छुट्टी नहीं दी जाती, इसलिए वे अपने आराम की अवधि के दौरान घरेलू काम करते हैं और इसलिए वे आराम नहीं कर पाते.’’ इसके साथ ही इसमें कहा गया है, ‘‘सभी कर्मचारियों को 40 से 64 घंटे का साप्ताहिक विश्राम मिलता है, लेकिन लोको पायलट को सिर्फ 30 घंटे का विश्राम मिलता है.’’इसमें कहा गया है कि लोको पायलट का मानना है कि लगातार रात्रि ड्यूटी करने से दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ती है।
सरकार से हुआ था एक समझौता
लोको पालयट ने गांधी के सामने लगातार कई घंटों की ड्यूटी की समस्या का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि इससे थकान बढ़ती है. लोको पायलट संघों ने कहा कि 1973 में, एम रथिना सबापति के नेतृत्व में एआईएलआरएसए के बैनर तले ‘लोको-रनिंग स्टाफ’ ने आठ घंटे की ड्यूटी के लिए देशव्यापी हड़ताल की थी और उसी साल 13 अगस्त को सरकार के साथ एक समझौता हुआ था.
ट्रेन चालकों ने क्या कहा?
ट्रेन चालकों ने कहा कि 14 अगस्त 1973 को तत्कालीन मंत्री ने पार्लियामेंट में ऐलान किया था कि ‘लोको रनिंग स्टाफ’ के सदस्यों को लगातार 10 घंटे से ज्यादा काम नहीं करना पड़ेगा. उन्होंने इल्जाम लगाया कि समझौते का पालन नहीं किया गया और लोको पायलट को लगातार 14 घंटे से ज्यादा समय तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता है. ज्ञापन में रेल इंजन में शौचालय नहीं होने की समस्या का भी जिक्र किया गया. रेलगाड़ी चालकों ने गांधी से आग्रह किया कि वे ‘‘हस्तक्षेप करें और मानवीय चूक के कारण को दूर कर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं.