Good news: भारत में गाली देने वाली कुरीति कमोबेश पूरे देश में दिखाई देती है. क्या बच्चे और क्या बूढ़े विवेक और अविवेक में हो या झगड़े झंझट हर जगह लोग असभ्यता झलकाते हुए पहले गाली देने लगते हैं. आक्रोश और गुस्से से जुड़े मामलों में तो बहुत से लोग तो अपनी बात की शुरुआत ही गाली से करते हैं.
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Say no to abuse: भारत में गाली देने वाली कुरीति कमोबेश पूरे देश में दिखाई देती है. क्या बच्चे और क्या बूढ़े, विवेक और अविवेक में या झगड़े झंझट में कई लोग असभ्यता झलकाते हुए बात-बात पर गाली देने लगते हैं. किसी ने कुछ कह दिया तो गाली बकने लगते हैं. आक्रोश और गुस्से से जुड़े मामलों में तो बहुत से लोग तो अपनी मुंह खोलते ही सबसे पहले जी भर के गालियां देते हैं. मार पिटाई, लड़ाई झगड़ों और अन्य लफड़ों में सामने वाले पर कंटाप रसीद करने यानी पीटने के लिए हाथ छोड़ने की शुरुआत ही मां-बहन की गाली से होती है. मोहल्ले की चुगली से लेकर आफिस की गॉसिप्स तक या कहीं भी ऊंच-नीच का मामला, मॉल से लेकर अस्पताल, बस से लेकर मेट्रो और ट्रेन से लेकर फ्लाइट हर जगह गालियां सुनने को मिल ही जाती हैं. ऐसी तमाम भूमिका के बीच गाली की कुरीति को दूर करने के लिए एक गांव में सराहनीय पहल हुई है, जिसे पूरे देश में फॉलो किया जाना चाहिए.
'गाली मत बकिए'
आपके मन की बात हो या न हो. आप किसे पर गुस्सा कीजिए या ना कीजिए खासकर वो लोग जो धाराप्रवाह गाली बकते हैं, उनसे हमारी विनम्र निवेदन अर्थात विनती है कि वो कहीं भी... कभी भी और किसी को भी गालियां न बकें. गाली बकने से मन खराब होता है. समाज में पहचान खराब होती है. गाली देने वालों को लोग अच्छी निगाह से नहीं देखते हैं. ऐसी तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र के एक गांव के जिम्मेदार लोगों ने बातचीत के दौरान अपशब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगाने का संकल्प लिया है.
सौंदाला मॉडल
सौंदाला गांव ने इसके साथ ही अपशब्द बोलने वालों पर 500 रुपये का जुर्माना लगाने का भी फैसला किया है. सरपंच शरद अरगडे का कहना है कि अहिल्यानगर जिले की नेवासा तहसील के गांव की ग्राम सभा ने महिलाओं की गरिमा और आत्मसम्मान के लिए अभद्र भाषा के इस्तेमाल के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है.
प्रस्ताव में क्या है?
प्रस्ताव पेश करने वाले अरगडे ने कहा कि मुंबई से लगभग 300 किलोमीटर दूर स्थित गांव में तर्क-वितर्क के दौरान माताओं और बहनों को निशाना बनाकर अपशब्दों का इस्तेमाल आम है. उन्होंने कहा, ‘जो लोग ऐसी भाषा का उपयोग करते हैं वे भूल जाते हैं कि वे माताओं और बहनों के नाम पर जो कहते हैं वह उनके अपने परिवार की महिला सदस्यों पर भी लागू होता है. हमने अपशब्दों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है और अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करने वालों पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.’
अरगडे ने कहा कि यह फैसला समाज में महिलाओं की गरिमा और स्वाभिमान का सम्मान करने का एक प्रयास है. उन्होंने कहा, ‘हम विधवाओं को सामाजिक और धार्मिक अनुष्ठानों तथा रीति-रिवाजों में शामिल करते हैं. इसी तरह, हमारे गांव में (पति की मृत्यु के बाद) सिंदूर हटाना, मंगलसूत्र उतारना और चूड़ियां तोड़ना प्रतिबंधित है.’
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार गांव में 1,800 लोग हैं. अरगडे ने बताया कि सौंदाला को 2007 में विवाद-मुक्त गांव होने का राज्यस्तरीय पुरस्कार मिला था. प्रतिष्ठित शनि शिंगणापुर मंदिर नेवासा तालुका में ही स्थित है. (इनपुट: भाषा)