Nosebleed: अफ्रीका में रहस्यमय वायरस से हाहाकार, 24 घंटे के अंदर चली जाती है संक्रमित की जान
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Nosebleed: अफ्रीका में रहस्यमय वायरस से हाहाकार, 24 घंटे के अंदर चली जाती है संक्रमित की जान

Mysterious virus in Africa: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह वायरस नाक से खून निकलने का कारण बनता है और कथित तौर पर संक्रमित व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर मार देती है.

Nosebleed: अफ्रीका में रहस्यमय वायरस से हाहाकार, 24 घंटे के अंदर चली जाती है संक्रमित की जान

Mysterious virus in Africa: अफ्रीका के बुरुंडी देश में एक अज्ञात वायरस से लाखों लोगों में डर का माहौल है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह वायरस नाक से खून निकलने का कारण बनता है और कथित तौर पर संक्रमित व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर मार देती है. इस वायरस के लक्षण बुखार, सिरदर्द, चक्कर, उल्टी, आदि है. वहीं, इस वायरस के खौफ से देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकरण इसे रोकने की कोशिश कर रहे हैं

देश के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि वे पहले ही इबोला और मारबर्ग से इंकार कर चुके हैं. इस बीच, स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि दो लोगों को एक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए लाए जाने के बाद स्वास्थ्य अधिकारियों ने बाजीरो क्षेत्र को क्वारंटाइन कर दिया है. दा मिरर की एक रिपोर्ट में मिगवा स्वास्थ्य केंद्र की एक नर्स के हवाला देते हुए बताया कि यह बीमारी संक्रमित मरीज को जल्दी मारती है.बुरुंडी के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि वायरस एक संक्रामक रक्तस्रावी बग प्रतीत होता है. स महीने की शुरुआत में, बुरुंडी के पड़ोसी देश तंजानिया ने मारबर्ग प्रकोप की घोषणा की थी, जिसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आस-पास के देशों को अलर्ट रहने को कहा था.

गिनी में मारबर्ग वायरस का कहर
दक्षिण अफ्रीकी के एक देश गिनी में मारबर्ग वायरस का कहर टूट पड़ा है. WHO ने बताया कि मारबर्ग वायरस से दक्षिण अफ्रीका में करीब 12 मौतें हो गई हैं. वहीं, 20 और मरीज इस वायरस की चपेट में है. इससे पहले तंजानिया के उत्तर-पश्चिमी कागेरा क्षेत्र में इस महीने की शुरुआत में कहर बरपाया था.

मारबर्ग वायरस क्या है
मारबर्ग वायरस (Marburg virus) एक विषाणु होता है जो मारबर्ग वायरस रोग (Marburg virus disease) के कारण होता है. यह रोग एक जानलेवा संक्रमण होता है जो अफ्रीका के कुछ हिस्सों में मार्च 1967 में पहली बार पाया गया था. इस वायरस ने अपने प्रारंभिक उपद्रवों में अफ्रीका में कुछ महत्वपूर्ण अध्ययनों और उनके बाद अमेरिका में तथा यूरोप में भी संक्रमण का कारण बना है.

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