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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का एक परिवार एक तरफ अपने जवान डॉक्टर बेटे को खोने के गम में बदहवास है तो वहीं दूसरी तरफ परिवार को कर्ज की चिंता खाए जा रही है. डॉक्टर बेटे का इलाज कराने में उनके 1.6 करोड़ रुपये खर्च हो गए. कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) में जब हर व्यक्ति खुद को बचाने के लिए जंग लड़ रहा था तो डॉक्टर्स अपनी जान की परवाह किए बगैर मरीजों की जान बचाने में जुटे हुए थे. इस दौरान बहुत से डॉक्टरों ने अपनी जान भी गंवाई थी. उन्हीं में से एक दिल्ली के पीतमपुरा इलाके में रहने वाले 40 वर्षीय डॉ. अमित गुप्ता थे, जो हरीशचंद्र अस्पताल में कार्यरत थे. इसी साल 14 अगस्त को कोरोना की वजह उनकी मौत हो गई थी.
डॉ. अमित गुप्ता इसी साल 18 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हुए थे, जिसके बाद 25 अप्रैल को उन्हें दिल्ली के हरिश्चंद्र अस्पताल में ही भर्ती कराया गया था. हालात बेहतर नहीं होने पर उन्हें मेदांता अस्पताल में भर्ती करवाया गया. फिर हालात बिगड़ने के बाद अमित को हैदराबाद के एक अस्पताल के लिए Airlift किया गया, लेकिन उनके फेफड़ों का इन्फेक्शन इस कदर बढ़ा कि वो उससे उबर नहीं सके और 14 अगस्त को हैदराबाद के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया.
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परिवार ने दोस्तों और रिश्तेदारों से कर्ज लेकर डॉ. अमित गुप्ता का इलाज करवाया. परिवार के एक सदस्य ने कहा कि 9 जुलाई का पहला बिल 83 लाख 43 हजार 819 रुपये था. वहींं दूसरा बिल 72 लाख 29 हजार 619 रुपये का है, जो 15 जुलाई को सबमिट करवाया गया, जबकि 95 लाख 12 हजार 982 रुपये का एक बिल 28 अगस्त को सबमिट करवाया गया था.
डॉ. अमित गुप्ता के घर में उनके बूढ़े माता-पिता, उनकी पत्नी और एक 6 साल का बच्चा है. डॉ. अमित के पिता सीताराम गुप्ता एक रिटायर्ड टीचर है, जिनकी पेंशन से ही अभी घर चल रहा है. अभी परिवार पर करीब 1.6 करोड़ रुपये का कर्ज है. सरकार की तरफ से कहा गया है कि परिवार को 85 लाख रुपये की मदद की जा चुकी है. परिवार को 1 करोड़ रुपये का चेक सौंपा जाएगा.
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