BJP Delhi win: कैसे बीजेपी ने इस सोशल इंजीनियरिंग को अंजाम दिया है. कुछ एक्सपर्ट्स का यह भी मत है कि दिल्ली के इस चुनाव में लोगों ने विकास और बेहतर शासन को जातीय समीकरणों से ऊपर रखा है.
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Delhi election Result: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में केजरीवाल और उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी नेस्तनाबूद हो गई है अब राजनीतिक एक्सपर्ट्स विश्लेषण में लगे हैं कि कैसे बीजेपी ने करिश्माई प्रदर्शन किया है. यह जीत बीजेपी के लिए खास है क्योंकि इस जीत के लिए लगभग तीन दशक लग गए. लेकिन इस जीत ने यह भी दिखाया कि कैसे पार्टी ने जातीय और धार्मिक विभाजन के बावजूद भी अपनी स्वीकार्यता को पूरी तरह बदल दिया है. आइए इसे समझते हैं कि कैसे बीजेपी ने इस सोशल इंजीनियरिंग को अंजाम दिया है.
जातीय समीकरण बैठाने में सटीक रही बीजेपी..
असल में बीजेपी की अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के बीच स्वीकार्यता को कांग्रेस ने हमेशा सवालों के घेरे में रखा था और जातीय जनगणना की मांग के जरिए इस मुद्दे को उछाला था. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे इसे बीजेपी ने साध लिया. हालांकि बीजेपी ने महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों में इन समूहों को साधने के लिए काफी प्रयास किए. लेकिन दिल्ली के नतीजे बताते हैं कि बीजेपी के 22 ओबीसी उम्मीदवारों में से 16 ने जीत दर्ज की है. वहीं 10 प्रतिशत से अधिक ओबीसी आबादी वाली सभी सात सीटों पर भी बीजेपी ने जीत हासिल की.
पहले तो हरियाणवी और पूर्वांचली वोटर्स पर पकड़ बनाई..
बीजेपी के हरियाणा और पूर्वांचल से जुड़े उम्मीदवारों को भी दिल्ली में काफी स्वीकृति मिली. 14 हरियाणवी उम्मीदवारों में से 12 ने जीत दर्ज की जबकि छह पूर्वांचली उम्मीदवारों में से चार विजयी रहे. जिन 13 सीटों पर 5 प्रतिशत से अधिक हरियाणवी वोटर थे, उनमें से 12 पर बीजेपी जीती. इसी तरह 35 सीटों पर 15 प्रतिशत से अधिक पूर्वांचली वोटर थे. जिनमें से 25 पर बीजेपी ने कब्जा जमाया. जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचली वोटर्स को विशेष रूप से धन्यवाद दिया और इसे अपने प्रति विश्वास की संज्ञा दी.
फिर सिख और पंजाबी वोटर्स का समर्थन..
पंजाब में पिछला विधानसभा चुनाव हार चुकी बीजेपी ने इस बार दिल्ली की चार सीटों पर जहां 10 प्रतिशत से अधिक सिख आबादी थी उनमें से तीन पर जीत हासिल की. इसी तरह जिन 28 सीटों पर 10 प्रतिशत से अधिक पंजाबी वोटर थे, वहां से 23 सीटें बीजेपी के खाते में गईं.
इसी तरह वाल्मीकि और जाटव मतदाता भी साथ आए..
एक्सपर्ट्स का मानना है कि वाल्मीकि और जाटव समुदायों के बीच बीजेपी की सफलता मिली-जुली रही. 10 प्रतिशत से अधिक वाल्मीकि मतदाता वाली 9 सीटों में से 4 पर बीजेपी विजयी रही जबकि 10 प्रतिशत से अधिक जाटव आबादी वाली 12 सीटों में से 6 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की. बीजेपी के 12 अनुसूचित जाति उम्मीदवारों में से 4 को जीत मिली.
यूपी और हरियाणा सीमा से सटी सीटों पर दबदबा तो रहा ही..
बीजेपी ने उन सीटों पर भी बड़ी बढ़त बनाई जो पड़ोसी राज्यों, हरियाणा और उत्तर प्रदेश, से लगती हैं. कुल 22 ऐसी सीटों में से बीजेपी ने 15 पर जीत दर्ज की.यूपी से सटी 13 सीटों में से 7 और हरियाणा से सटी 11 सीटों में से 9 सीटें बीजेपी के खाते में आईं.
जातीय राजनीति से ऊपर उठकर भी मिला वोट..
कुछ एक्सपर्ट्स का यह भी मत है कि दिल्ली के इस चुनाव में जातीय मुद्दों पर विशेष रूप से जोर नहीं दिया गया क्योंकि यह शहर विभिन्न राज्यों, जातियों और आर्थिक वर्गों के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. बीजेपी के पास अब यह मजबूत तर्क है कि यह जीत इस बात का प्रमाण है कि दिल्ली के मतदाताओं ने विकास और बेहतर शासन को जातीय समीकरणों से ऊपर रखा है.