What is Code Of Conduct: चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव के लिए आज तरीखों का ऐलान हो गया है. इसके लिए दिल्ली के विज्ञान भवन में मुख्य चुनाव आयुक्त प्रेस ने कहा कि CEC राजीव कुमार ने कहा कि आम चुनाव 7 चरणों में होगा, जिसकी शुरुआत 19 अप्रैल से होगी होगी.
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What is Code Of Conduct: चुनाव आयोग ने लोकसभा के चुनावों का ऐलान हो गया है. सात चरणों में पूरे देश में चुनाव आयोजित किया जाएगा. वहीं लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम 04 जून 2024 को घोषित किए जाएंगे. इसके अलावा प्रदेश में लोकसभा की 29 और छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीटें हैं. जिसमें मध्यप्रदेश में 4 और छ्तीसगढ़ में 3 चरणों में चुनाव होगा. चुनाव तारीखों की ऐलान के साथ ही देश में आचार संहिता भी लागू हो गई है. जो चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक लागू रहेगी.
अब ऐसे में उन युवाओं में जो पहली बार वोट देने वाले हैं, उनके मन में सवाल खड़ा हो रहा होगा कि आखिर ये आचार संहिता क्या है, और ये कब से लागू होती है और इस दौरान क्या-क्या पाबंदियां होती हैं? तो चलिए बताते हैं...
आदर्श आचार संहिता क्या है?
दरअसल चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए कई नियम बनाता हैं. आचार संहिता भी उन्हीं नियमों का एक हिस्सा है. जिसके तहत चुनाव में भाग लेने वाली पार्टी और उम्मीदवारों के लिए गाइडलाइंस होती है. इसके तहत कुछ नियम होते हैं, जिन्हें इसका पालन करना होता है. अगर इसका उल्लंघन होता है तो चुनाव आयोग एक्शन ले सकता है.
आचार संहिता कितने दिन तक लागू रहती है?
चुनावों की तारीख के ऐलान के साथ ही आचार संहिता लागू हो जाती है और ये चुनाव प्रक्रिया के पूरे होने तक लागू रहती है. लोकसभा चुनावों के दौरान पूरे देश में आचार संहिता लागू होती है, जबकि राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान ये राज्यों तक सीमित रहती है.
पहले जानिए सत्ताधारी दल के लिए नियम
- आचार संहिता लागू होने के बाद सत्ताधारी पार्टी को कोई भी मंत्री अपनी यात्रा को चुनाव प्रचार से नहीं जोड़ सकता.
- नेता या उम्मीदवार प्रचार के लिए सरकारी गाड़ी यहां तक की आधिकारिक विमान का इस्तेमाल नहीं कर सकता.
- चुनाव आयोग की इजाजत के बाद ही किसी अधिकारी का ट्रांसफर किया जा सकता है.
- किसी भी क्षेत्र में सरकारी योजना की घोषणा या उद्घाटन पर प्रतिबंध होता है.
- पार्टी की उपलब्धियां सरकारी खर्च पर नहीं दे सकते.
- सांसद निधि से कोई नया फंड जारी नहीं कर सकते.
चुनाव में उम्मीदवारों और पार्टियों के लिए आचार संहिता
- चुनाव आयोग की आचार संहिता के नियमों के मुताबिक चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी या उम्मीदवार समाज में भेदभाव या नफरत फैलाने वाली गतिविधियों में शामिल नहीं होगा.
- चुनान प्रचार के दौरान नेता एक दूसरे की निजी जिंदगी पर कमेंट नहीं कर सकते. झूठे और बेबुनियाद आरोपों पर भी पाबंदी.
- कोई भी उम्मीदवार चुनाव प्रचार के लिए धर्म का सहारा नहीं ले सकता है. मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा जैसी जगहों का इस्तेमाल नहीं कर सकता.
- धर्म और जाति के नाम पर कोई उम्मीदवार वोट नहीं मांग सकता.
- इसके अलावा वोटिंग से 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार, सार्वजनिक सभाएं सभी पर प्रतिबंध लग जाता है.
आचार संहिता का उल्लघंन करने पर क्या होगा?
आचार संहिता का उल्लघंन करने वाली पार्टी या नेता के खिलाफ चुनाव आयोग अनुशासनात्मक कार्रवाई या उसकी बर्खास्तगी भी कर सकता है. इसके अलावा दोष सिद्ध होने पर प्रत्याशी को सलाखों के पीछे भी जाना पड़ सकता है.
आम आदमी पर इसका कितना असर?
वहीं नेताओं के अलावा अगर आम आदमी भी इन नियमों का उल्लघंन करता है तो उस पर भी आचार संहिता के तहत कार्रवाई की जा सकती है. साफ शब्दों में कहे तो यदि आप चुनाव में खड़े राजनीतिक पार्टी के प्रत्याशी के प्रचार में लगे हैं तो आपको इन नियमों के बारे में जागरूक रहने की आवश्यकता है. कोई नेता आपको आचार संहिता के नियमों के इतर काम करने का नहीं कह सकता.