खंडवा दादाजी धूनीवाले मंदिर निर्माण के फैसले को लेकर सांसद, विधायक और जिला प्रशासन के साथ सभी पक्षों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई. जिसमें निष्कर्ष निकला है कि सभी पक्षों के आर्किटेक्ट की टीम एक कॉमन प्लान तैयार करेगी.
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प्रमोद सिन्हा/खंडवाः लाखों भक्तों की आस्था के केंद्र खंडवा के अवधूत संत श्री दादाजी धूनीवाले के मंदिर निर्माण को लेकर चल रहे विवाद में एक नया मोड़ आया है. सांसद, विधायक और जिला प्रशासन के साथ सभी पक्षों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई. इसके मंथन में निष्कर्ष निकला है कि सभी पक्षों के आर्किटेक्ट की टीम एक कॉमन प्लान तैयार करेगी, जिस पर सहमति के आधार पर मंदिर निर्माण की राह आगे बढ़ेगी. उज्जैन के महाकाल लोक की तर्ज पर दादाजी कॉरिडोर तैयार करने की भी चर्चा हुई है.
जानिए क्या है मामला?
अवधूत संत केशवानंद जिन्हें बड़े दादाजी के नाम से भी जाना जाता है, उनकी समाधि खंडवा में है. यहीं उनके शिष्य हरिहर भोले भगवान यानी छोटे दादाजी की समाधि भी है. गुरु-शिष्य परंपरा के अनूठे स्थल पर भक्त मंदिर बनाना चाहते हैं. लेकिन इनके मॉडल अलग-अलग हैं. श्री दादाजी धूनीवाले आश्रम पब्लिक ट्रस्ट जहां 108 खंभों का लाल पत्थर का मंदिर बनाना चाहता है तो वहीं रामेश्वर दयाल यानी छोटे सरकार के अनुयायी 84 खंभों से संगमरमर का मंदिर बनाने पर अड़े हैं. कई वर्षों से यह विवाद बना हुआ है. इसका पटाक्षेप करने के लिए सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल और विधायक देवेंद्र वर्मा की मौजूदगी में कलेक्टर अनूप कुमार सिंह ने एक बैठक बुलाई. जिसमें दादाजी से जुड़े सभी पक्षों को बुलाया गया. यहां यह तय हुआ है कि 26- 27 दिसंबर को सभी पक्षों के आर्किटेक्ट की टीम जायजा लेगी. इनकी रिपोर्ट सामूहिक रूप से तैयार होगी और इस पर सहमति के आधार पर लाल और सफेद पत्थर लगाए जाने को हरी झंडी दी जाएगी.
गुरु पूर्णिमा पर पुहंचते हैं लाखों भक्त
गुरु पूर्णिमा के मौके पर खंडवा के दादाजी धाम में 3 दिवसीय उत्सव मनाया जाता है. इसमें 5 लाख से अधिक भक्त पहुंचते हैं. गुरु और शिष्यों की प्रीति का अनूठा नजारा यहां देखने को मिलता है. इसे देखते हुए उज्जैन के महाकाल लोक की तर्ज पर दादाजी कॉरिडोर बनाए जाने की चर्चा भी हुई है. ताकि यहां आने वाले भक्तों को परेशानी का सामना न करना पड़े. बता दें कि गुरु पूर्णिमा के मौके पर यहां भक्तो के लिए सब कुछ फ्री हो जाता है. 200 से अधिक भंडारों में 56 प्रकार के पकवान भक्तो को निःशुल्क भण्डारों में मिलते हैं. खंडवा शहरवासी मेजबानी की अनूठी मिसाल भी पेश करते हैं.
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