PM Modi AI Summit: डीपसीक से उभरे जोखिम के बीच फ्रांस में एआई पर एक वैश्विक शिखर सम्मेलन होने जा रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी इस बैठक की सह अध्यक्षता करेंगे. फ्रांस दौरे में पीएम मार्सेल शहर भी जाने वाले हैं, जो दुनियाभर के देशों के डेटा ट्रैफिक का सबसे बड़ा गेटवे है.
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Paris AI Summit 2025: ऐसे समय में जब दुनियाभर में चैटजीपीटी जैसी AI तकनीक का इस्तेमाल जोर पकड़ रहा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक खास मिशन पर निकले हैं. हां, वह मंगलवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ आर्टिफिशल इंटेलिजेंस एक्शन समिट की मेजबानी करेंगे. इस दौरान ग्लोबल साउथ की जरूरतों को पूरा करने के लिए जनहित में एआई के इस्तेमाल को लेकर बड़ा फैसला हो सकता है. इसके साथ-साथ पीएम 'मार्सेल' शहर जा रहे हैं और उनकी इस विजिट पर पूरी दुनिया की नजरें हैं. इसकी एक बड़ी वजह है?
हां, पीएम फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के साथ मार्सेल या मार्सिले (Marseille) शहर जाएंगे. यहां वह भारतीय वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन करेंगे. मार्सेल शहर की अपनी खासियत है. कम लोगों को पता होगा कि यह पूरी दुनिया के लिहाज से एक रणनीतिक टेलीकम्युनिकेशन कनेक्शन हब है. भूमध्य सागर के केंद्र में इसकी मौजूदगी इसे खास बनाती है. यह यूरोप से अफ्रीका, एशिया और वेस्ट एशिया को जोड़ने वाली सबमरीन केबल्स का गेटवे है.
सबमरीन केबल क्या होती है?
जैसा नाम से पता चलता है कि यह केबल्स की तरह होती है. दरअसल, दुनियाभर का 99 प्रतिशत डेटा ट्रैफिक यानी इंटरनेट और टेलिफोनी इसी सबमरीन केबल्स के जरिए ही दौड़ता है. भूमध्य सागर के केंद्र में इसका स्थान इसे यूरोप को अफ्रीका, पश्चिम एशिया और एशिया से जोड़ने वाले पनडुब्बी केबलों का प्रवेश द्वार बनाता है. सबमरीन केबल्स ही दुनिया के 99% डेटा ट्रैफ़िक (इंटरनेट और टेलीफोनी) ले जाते हैं
सबमरीन कम्युनिकेशन केबल समुद्र की तलहटी में बिछी होती है. सबसे पहले टेलीग्राफी के लिए इसका इस्तेमाल शुरू हुआ था. बाद में इसके जरिए डेटा और दूसरे कम्युनिकेशन का ट्रांसमिशन शुरू हो गया. आज के समय में अगर एक क्लिक पर दुनिया में कम्युनिकेशन हो रहा है तो उसमें इन सबमरीन केबल्स का सबसे बड़ा रोल है. इसके जरिए ही टेलिफोन कॉल, टेलिग्राफ मैसेज और इंटरनेट सेवाएं मिल रही हैं.
According to the latest figures, the ocean floor hosts more than 1.2 million kilometers of submarine fiber-optic cables, roughly equivalent to 745,000 miles. This extensive network is crucial for global internet connectivity, connecting different continents and ensuring… pic.twitter.com/k3r3uDtm1Y
— Historic Vids (@historyinmemes) November 24, 2024
अब बात फिर से पेरिस एआई समिट की. इसमें मैक्रों का पीएम मोदी को बुलाना अपने आप में एक बड़ा घटनाक्रम है. यह इस तथ्य को मजबूत करता है कि नई और उभरती तकनीक के क्षेत्र में भारत की भूमिका बढ़ रही है. इस AI समिट में अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, चीन के उप प्रधानमंत्री झांग गोकियांग, यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष और जर्मन चांसलर भी शामिल होंगे.
फ्रांस के बाद अमेरिका जाएंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो देशों की यात्रा पर रवाना हो गए हैं. पहले उनका विशेष विमान फ्रांस उतरेगा, जहां वह 12 फरवरी तक रहेंगे. इसके बाद उनका अमेरिका जाने का प्लान है.
एआई समिट की टाइमिंग
फ्रांस में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर होने वाले शिखर सम्मेलन की टाइमिंग महत्वपूर्ण है. यह ऐसे समय में आयोजित किया जा रहा है जब चीन का चर्चित ‘डीपसीक’ चैटबॉट उद्योग जगत में हलचल मचा रहा है. कई तकनीकी प्रमुख और शोधकर्ता फ्रांस में जुट रहे हैं. इस कार्यक्रम का उद्देश्य यह पता लगाना है कि AI की क्षमता का किस तरह से दोहन किया जाए कि यह सभी के लिए लाभकारी हो और साथ ही प्रौद्योगिकी के असंख्य जोखिम को भी काबू में किया जा सके.
‘चैटजीपीटी’ की शुरुआत के दो साल से भी ज्यादा समय बाद, जनरेटिव एआई ने खतरनाक गति से आश्चर्यजनक प्रगति करना जारी रखा है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि ‘डीपसीक’ अमेरिकी प्रौद्योगिकी उद्योग के लिए एक चेतावनी है और उनके एआई सलाहकार डेविड सैक्स ने ‘डीपसीक’ पर चोरी किए गए ओपनएआई डेटा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. ‘डीपसीक’ चैटबॉट एप अब जांच का सामना कर रहा है और कुछ मामलों में गोपनीयता और सुरक्षा चिंताओं को लेकर अमेरिका तथा कई दूसरे देशों में प्रतिबंध लगा दिया गया है.