मायावती फिर जीरो,दिल्ली में जन्मीं-पढ़ी और सियासत सीखने वाली दलित नेता का बुरा हाल, चंद्रशेखर भी नहीं चले
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मायावती फिर जीरो,दिल्ली में जन्मीं-पढ़ी और सियासत सीखने वाली दलित नेता का बुरा हाल, चंद्रशेखर भी नहीं चले

Delhi Election Results 2025 : किसी जमाने में दिल्ली में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने वाली पार्टी बीएसपी इन चुनावों में AIMIM और JDU जैसी सीटों से भी कम वोट ला पाई. हरियाणा चुनाव के बाद अब दिल्ली के चुनाव में बसपा जीरो पर रही. जानिए क्या रहा हाल

 

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Delhi Election Results 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सत्ता बदल दी है. भारतीय जनता पार्टी ने 48 सीटें जीतकर 27 साल बाद फिर से दिल्ली में सरकार बनाई है. वहीं, आम आदमी पार्टी को 62 सीटों की जगह सिर्फ 22 सीटों पर जीत मिली है.लेकिन इस बार कई राष्ट्रीय पार्टी के वोट शेयर ने भी पार्टी नेतृत्व को हैरान किया. वहीं, बहुजन समाज पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन जैसी पार्टियां एक प्रतिशत वोट भी हासिल करने में नाकाम रहीं. बहुजन समाज पार्टी. हरियाणा चुनाव के बाद अब दिल्ली के चुनाव में बसपा जीरो पर रही. लगातार फ्लॉप हो रही पार्टी का परफार्मेंस इस बार AIMIM से भी नीचे चला गया.  बसपा ने यहां 68 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे 0.58% वोट मिले.

बसपा को नोटा से भी कम वोट
असल में, दिल्ली चुनाव के नतीजों में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) और मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP) को नोटा से भी कम वोट मिले. दिल्ली में 0.57 प्रतिशत वोटरों ने NOTA  का बटन दबाया, जबकि BSP को 0.58 फीसदी और CPI(M) को सिर्फ 0.01 फीसदी वोट मिले. बसपा का वोट शेयर कम नहीं था, लेकिन वह नोटा के बराबर ही था. बीएसपी के मुकाबले आल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लेमीन यानी AIMIM को 78 फीसदी वोट मिले जबकि ओवैसी ने केवल पांच सीटों पर चुनाव लड़ा था.

हाशिये पर बसपा
दिल्ली में कभी बसपा के विधायक हुआ करते थे. 2008 में पार्टी के दो विधायक थे.इसके बाद धीरे धीरे बीएसपी का ग्राफ लगातार गिरता चला गया. 2008 के दिल्ली चुनाव में पार्टी का वोट शेयर 14 फीसदी से ज्यादा था. उस समय बीएसपी की स्थिति अच्छी थी. यूपी में बसपा की उस समय पूर्ण बहुमत की सरकार थी. उसके बाद से ही धरातल में जाती रही. 2013 चुनाव में मायावती की पार्टी का वोट शेयर 5.35 फीसदी पर आ गया, जो 2015 में और गिरा और 1.30 फीसदी पर सिमट गया. 2020 के चुनाव में बीएसपी का वोट शेयर महज 0.71 प्रतिशत रह गया. मायावती ने दिल्ली चुनाव के लिए कोई रैली भी नहीं की.

कहां बची दिल्ली में इज्जत
बीएसपी को सबसे ज्यादा देवली सुरक्षित सीट पर 2581 वोट मिले और सबसे कम वोट मटिया महल में मिले. मटिया महल में 130 वोट मिले. 53 सीट ऐसी रहीं जहां बीएसपी को एक हजार से भी कम वोट मिले. 68 में से 42 सीट ऐसी रही जहां पर नोटा से भी कम वोट मिला. कुछ निर्दलीय उम्मीदवार और बहुजन समाज पाटी (बसपा) करीब 10 सीटों पर नोटा से अधिक वोट लाने में कामयाब रही है. संगम विहार और त्रिलोकपुरी सीटें ऐसी रहीं, जिन पर नोटा ने जीत-हार का गणित बदलने में भूमिका निभाई.

आजाद समाज पार्टी का हाल
यूपी के नगीना सीट से सांसद चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी भी दिल्ली की 8 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी. बसपा की तरह ये पार्टी भी अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रही. केवल दो सीटों पर बसपा से ज्यादा वोट हासिल किया. चंद्रशेखर के प्रत्याशी को नार्थ ईस्ट दिल्ली  में सबसे ज्यादा 3080 वोट मिले.

AIMIM की मजबूत मौजूदगी
असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली AIMIM ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में केवल 2 सीटों, ओखला और मुस्तफाबाद, पर चुनाव लड़ा, लेकिन पार्टी अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में कामयाब रही. दोनों ही सीटों पर उसके उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे.  2020 के दिल्ली दंगों के आरोपी और वर्तमान में जेल में बंद शिफा उर रहमान खान और ताहिर हुसैन ने ‘AAP’ के वोट प्रतिशत को कम किया और कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन किया.

कांग्रेस शून्य पर सिमटी
कांग्रेस का हाल इन चुनावों में भी बेहाल रहा और पार्टी दिल्ली में लगातार तीसरे विधानसभा चुनावों में अपना खाता तक नहीं खोल पाई.  पार्टी का हाल इतना बुरा रहा कि 70 में से 67 सीटों पर उसके प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई. 

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