Ravidas Jayanti 2025: कौन थे संत रविदास और कैसे बने 'शिरोमणी'? समाज सुधार में रहा बड़ा योगदान
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Ravidas Jayanti 2025: कौन थे संत रविदास और कैसे बने 'शिरोमणी'? समाज सुधार में रहा बड़ा योगदान

Ravidas Jayanti 2025: देश में कई संत-महात्मा हुए, जो अपने योगदान के लिए फेमस है. ऐसे ही एक संत गुरु रविदास भी हैं. वह कवि होने के साथ ही समाज सुधारक भी थे. ऐसे में आइए जानते हैं कि फरवरी में गुरु रविदास जयंती कब मनाई जाएगी और कौन हैं गुरु रविदास?

Ravidas Jayanti 2025
Ravidas Jayanti 2025: 15वीं शताब्दी के महान संतों में से एक संत गुरु रविदास भी हैं, जो कवि होने के साथ-साथ समाज सुधारक भी थे. उन्होंने अपने जीवनकाल में समाज में फैली बुराईयों और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई. उन्होंने जो दोहे लिखे, वो आज भी लोगों की जुबान पर हैं. आज भी उनका योगदान सराहनीय है. जिसकी वजह से हर साल गुरु रविदास जयंती बडे़ ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. उनका पूरा जीवन भक्ति और ज्ञान के लिए समर्पित रहा. संत मीराबाई भी रविदास जी को ही अपना गुरु मानती थीं.
 
कब और कहां हुआ था जन्म?
संत रविदास के जन्म को लेकर कई मत हैं, जिसमें सबसे प्रचलित मत है कि गुरु रविदास का जन्म यूपी के वाराणसी में एक मोची परिवार में हुआ था. उनके जन्म को लेकर एक दोहा भी मिलता है. जिसमें कहा गया है कि माघ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन संत रविदास का जन्म हुआ था. इसलिए हर साल इसी तिथि पर गुरु रविदास जयंती मनाई जाती है. ऐसे में इस बार माघ पूर्णिमा यानी बुधवार, 12 फरवरी, 2025 को गुरु रविदास जयंती मनाई जाएगी.
 
 
कौन थे गुरु रविदास?
संत रविदास बचपन से बहुत कर्मठी और मेहनती थे. वे कामकाज में अपने पिता का हाथ तो बंटाते ही थे. इसके साथ ही उन्हें साधु-संतों का सानिध्य भी अच्छा लगता था. वह जब भी किसी साधु-संत को नंगे पैर चलते देखते तो उनके लिए चप्पल बना लाते थे. रविदास के पिता उनकी इस हरकत से नाराज रहते थे. एक दिन उन्होंने रविदास को घर से निकाल दिया. संत रविदास एक कुटिया बनाकर रहने लगे. 
 
कैसे बनें 'शिरोमणी'?
फिर संत रविदास वहीं रहकर जूते-चप्पल बनाते थे, लेकिन उन्होंने साधु-संतों की सेवा करना नहीं छोड़ा. साथ-साथ वह समाज की बुराइयों  और छुआछूत जैसे दोहे और कविताएं रचकर समाज पर व्यंग्य कसते थे. उन्हें भक्ति आंदोलन में बहुत महान दर्जा भी प्राप्त है. धीरे-धीरे लोग रविदास की वाणी प्रभावित होने लगे. उनके अनुयायियों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी. देखते ही देखते वह संत शिरोमणि के रूप में मशहूर होने लगे. संत रविदास की 41 कविताओं को सिखों के पवित्र ग्रंथ, गुरुग्रंथ साहिब में स्थान मिला हुआ है.
 

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