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बीजिंग: दुनिया की परेशानी का कारण बना चीन (China) इस वक्त डेमोग्राफिक क्राइसिस (Demographic Crisis) से गुजर रहा है. पिछले 6 दशकों से चीन में जनसंख्या वृद्धि दर में लगातार गिरावट आती जा रही है और हाल के वर्षों में स्थिति ज्यादा खराब हो गई है. चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में 10.62 मिलियन बच्चों ने जन्म लिया, वहीं इस दौरान करीब 10.14 मिलियन लोगो की मौत हुई. यानी प्रत्येक हजार लोगो में जनसंख्या वृद्धि दर 0.34% रही. साल 1960 के बाद जनसंख्या वृद्धि दर का ये आंकड़ा सबसे कम रहा.
मौजूदा वक्त में चीनी के सामने तीन सबसे बड़ी परेशानियां हैं. पहली, जन्म दर का गिरना, दूसरी नेगेटिव जनसंख्या दर के संकेत और तीसरी बूढ़ी होती आबादी. रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020 में बुजुर्ग आबादी का जो आंकड़ा 18.7% था, वो साल 2021 में बढ़कर 18.9% तक पहुंच गया. गौरतलब है कि बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए साल 1980 में चीन ने One Child Policy लागू की थी, लेकिन जनसंख्या वृद्धि दर में लगातार गिरावट के बाद 2016 में Two Child Policy को अमल में लाया गया और इसके बाद मई 2021 में Three Child Policy अपनाई गई.
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अर्थशास्त्री विजय सरदाना का कहना है कि जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट का असर अब चीन की अर्थव्यवस्था पर भी नज़र आ रहा है. साल 2021 के तीसरे क्वार्टर में जो GDP ग्रोथ रेट 4.9% था, वही चौथे क्वार्टर में गिरकर 4% पहुंच गया. भारत के पास ये अच्छा मौका है कि वो अपनी यंग पॉपुलेशन का इस्तेमाल कर अर्थव्यवस्था को मजबूत करे. बता दें कि जहा एक तरफ चीन में डेमोग्राफिक क्राइसिस शुरू है, वही दूसरी तरफ भारत में डेमोग्राफी डिविडेंड का एडवांटेज है यानी कि भारत की आबादी यंग है.
2018-19 के इकोनॉमी सर्वे के मुताबिक, भारत में डेमोग्राफिक डिविडेंड साल 2041 में अपने पीक पर होगा. भारत की लगभग 59% आबादी 20 से 59 साल के बीच होगी. विदेश मामलो के जानकार रोबिंदर सचदेव का कहना है कि चीन इस समय अपने जनसंख्या वृद्धि दर के संकट से निपटने के लिए कई कदम उठा रहा है. साल 2016 में थ्री चाइल्ड पॉलिसी लागू की गई थी. इसके अलावा, हाई कॉस्ट ऑफ लिविंग को देखते हुए चीन में महंगी प्राइवेट ट्यूशन पर बैन लगा दिया गया. इसके अलावा चाइल्डकेयर और मेटरनिटी लीव को लेकर भी लगातार काम चल रहा है.