Migraine Reason: माइग्रेन से पहले व्यक्ति को आमतौर पर काले धब्बे और टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं दिखाई देने लगती हैं. करीब 10 प्रतिशत मामलों में स्पष्ट रूप से बोलने में असमर्थता या शरीर के एक तरफ झुनझुनी या कमजोरी महसूस होती है.
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Migraine News in Hindi: सिरदर्द की समस्या से शायद ही कोई बच पाता होगा. सिरदर्द के पीछे अलग अलग वजहों को जिम्मेदार बताया जाता है. जैसे वर्किंग प्लेस पर काम का दबाव हो या पारिवारिक दिक्कत हो तो आर्थिक समस्याएं हों. इसकी वजह से सिरदर्द से राहत मिल सकती है लेकिन यहां हम माइग्रेन से होने वाले दर्द का जिक्र करेंगे इसके साथ ही यह भी बताएंगे कि महिलाओं और पुरुषों में कौन सबसे अधिक माइग्रेन से प्रभावित होते हैं. क्या माइग्रेन भी सिरदर्द है या कुछ और ही है.
दुनिया भर में 800 मिलियन लोग माइग्रेन की गिरफ्त में
जो लोग माइग्रेन का सामना करते हैं उनके सिर के एक हिस्से में तेजी से दर्द होता है. इसकी वजह से कुछ लोगों में मितली और उलटी की भी दिक्कत होती है. यही नहीं कुछ लोगों को तेज रोशनी और आवाज दोनों बहुत अधिक परेशान कर देते हैं. माइग्रेन का पेन कुछ घंटों के साथ साथ कुछ दिन तक जारी रह सकता है. इससे आराम के लिए कुछ लोग तो खुद को कमरे में कैद कर लेते हैं. अगर वैश्विक स्तर पर माइग्रेन की बात करें तो तकरीबन 800 मिलियन लोग माइग्रेन की समस्या से पीड़ित हैं. अमेरिका की 12 फीसद आबादी माइग्रेन की समस्या का सामना कर रही है. इतनी बड़ी तादाद में महिलाओं की संख्या अधिक है. एक पुरुष के मुकाबले तीन महिलाएं इससे प्रभावित हैं खासतौर से 18-49 एज ग्रुप में आने वाली महिलाएं माइग्रेन का सामना कर रही हैं.
माइग्रेन का हार्मोन कनेक्शन
रिसर्च के मुताबिक महिलाओं में पुरुषों की तुलना में माइग्रेन का असर लंबे समय तक रहता है. उन्हें दवाओं की भी जरूरत अधिक पड़ती है. यही नहीं वो एनजाइटी यानी घबराहट और अवसाद का भी अधिक सामना करती हैं. अब इसके लिए न्यूरोलॉजिस्ट माइग्रेन और हार्मोन्स के बीच सीधा कनेक्शन ढूंढ रहे हैं. न्यूरोलॉजिस्ट बताते हैं कि हार्मोन्स और आसपास का वातावरण माइग्रेन की समस्या की बड़ी वजह है. इसमें जीन की भी अहम भूमिका है. एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रोन नाम के हार्मोन अलग अलग शारीरिर क्रियाओं के लिए जिम्मेदार हैं और ये दिमाग को संदेश भेजते हैं. सेक्स हार्मोन्स रक्त कोशिकाओं के आकार में परिवर्तन के लिए जिम्मेदार होते हैं. जो कहीं न कहीं माइग्रेन की वजह बन जाते हैं.
महिलाओं में माइग्रेन
बचपन में लड़के और लड़कियों दोनों में माइग्रेन की संभावना बराबर होती है. एक अध्ययन के मुताबिक दुनिया भर में 10 फीसद बच्चों में कभी ना कभी माइग्रेन की दिक्कत आती है. लेकिन जब लड़कियां किशोरावस्था में पहुंचती हैं तो उनमें माइग्रेन के पनपने की संभावना लड़कों से अधिक हो जाती है. इसके लिए मुख्य तौर पर एस्ट्रोजेन हार्मोन में उतार चढ़ाव के साथ प्रोजेस्ट्रोन की भी भूमिका होती है. कुछ लड़कियों में उनके पहले पीरियड के दौरान समस्या आती है तो कुछ में उसके बाद होती है. करीब 50 से 60 फीसद महिलाओं में मेंस्ट्रल माइग्रेंस की समस्या होती है. दरअसर पीरियड के समय एस्ट्रोजेन के स्तर में कमी आने से माइग्रेन अटैक तेज हो जाता है.
पुरुषों में माइग्रेन
20 की उम्र की शुरुआत में पुरुषों में माइग्रेन की आवृत्ति और गंभीरता थोड़ी बढ़ जाती है। वे धीमे हो जाते हैं, 50 की उम्र के आसपास फिर से चरम पर पहुंच जाते हैं, फिर धीमे हो जाते हैं या पूरी तरह से रुक जाते हैं। ऐसा क्यों होता है यह अच्छी तरह से समझ में नहीं आता है, हालांकि आनुवंशिक कारकों, पर्यावरणीय प्रभावों और जीवनशैली विकल्पों का संयोजन वृद्धि में योगदान कर सकता है।चिकित्सा शोधकर्ताओं को अभी भी यह जानना बाकी है कि महिलाओं और पुरुषों को माइग्रेन क्यों होता है। माइग्रेन अनुसंधान में लिंग अंतर को पाटने से न केवल महिलाएं सशक्त होती हैं, बल्कि यह समग्र रूप से स्थिति की समझ को भी आगे बढ़ाती है और एक ऐसा भविष्य बनाती है जहां माइग्रेन का बेहतर प्रबंधन किया जाता है।