Saudi Arab: लगता है कि पूरे अरब जगत (Arab World) में नए युग की शुरुआत हो रही है. छिप छिपाकर ही सही, महिलाओं में आजादी का क्रेज बढ़ा है. सऊदी सरकार ने भी महिलाओं को लेकर अपना रुख नरम किया है. इस बीच कुछ खाड़ी देशों की महिलाओं में तलाक लेने का चलन बढ़ा है.
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Arab world divorce rate: अरब जगत (Arab World) के सभी देश मुस्लिम बहुल हैं. जॉर्डन और सऊदी अरब में प्रवासियों को छोड़ दें तो इन देशों में करीब-करीब 100 फीसदी मुस्लिम आबादी है. अरब कम्युनिटी में जबरदस्त भाईचारा है जहां लोगों की जिंदगी में शीर्ष धार्मिक सत्ताओं, सरकारी विभागों और सरकारों का अहम रोल रहता है.
धार्मिक मामलों से जुड़े ताकतवर लोग अक्सर मस्जिदों, मीडिया और स्कूली पाठ्यक्रम को नियंत्रित करते हैं. लेकिन हाल के समय में मध्य पूर्व और ईरान में कराए गए बड़े और विस्तृत सर्वे एक नई कहानी कहते हैं. ये सर्वे दिखाते हैं कि इन देशों में आबादी का एक बड़ा हिस्सा आजाद ख्यालों की तरफ बढ़ रहा है.
आधी आबादी हो रही मुखर
खाड़ी देशों में धीरे से ही सही पर उदारवाद की शुरुआत हो चुकी है. कई देशों में बहुविवाह प्रथा पर प्रतिबंध, तीन तलाक बैन है. इन देशों की आधी आबादी यानी महिलाएं अपने अधिकारों को लेकर मुखर हुई हैं. हालात बदल रहे हैं इसलिए इन देशों में भी तलाक नामक शब्द का टैबू यानी हौव्वा टूट कर बिखर गया है. सऊदी अरब (Saudi Arabia) की राजधानी रियाद (Riyadh) समेत कई देशों में महिलाओं का तलाक लेना सामान्य सी बात हो गई है. आंकड़े बताते हैं कि तलाक लेने का चलन (Talaq cases increased) तेजी से बढ़ा है.
22 साल पहले दिखी थी बदवाव की उम्मीद
दरअसल इन देशों में साल 2000 में महिलाओं के लिए तलाक लेने की प्रक्रिया आसान होने के बाद तलाक के मामलों में इजाफा हुआ है. हर साल ये दर दशमलव में ही सही पर बढ़ रही है. मिस्र (Egypt) में तलाक दोगुना से अधिक बढ़े हैं. जोर्डन, लेबनान, कतर और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में 35% से अधिक शादियों का अंत तलाक (Talaq) के रूप में हुआ है.
इन देशों में बढ़ी तलाक की दर
'इकोनॉमिस्ट डॉट कॉम' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब (Saudi Arabia) के हालात इस मामले में ज्यादा खराब हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल सऊदी अरब में जितनी शादियां हुई थीं, लगभग उतने ही तलाक हुए. कुवैत (Kuwait) में पिछले कुछ सालों में करीब 40 फीसदी शादियां टूटी हैं. मोरक्को की महिलाएं भी अब तेजी से विवाह संबंध तोड़ने की पहल कर रही हैं. पहले जहां सिर्फ पुरुष तलाक लेते थे पर अब महिलाएं आगे आकर अपने हक में तलाक मांग रही हैं.
क्या है इसकी वजह
मिस्र, अल्जीरिया, जोर्डन, मोरक्को जैसे मुस्लिम देशों ने भी महिलाओं के लिए तलाक लेने के नियम आसान किए हैं. शादी अब यहां सामूहिक फैसला न होकर निजी पसंद बन गया है. इंटरनेट के दौर में महिलाएं नौकरियों और अन्य क्षेत्रों में भागीदारी कर रही हैं. आर्थिक चुनौतियों के बीच महिलाओं को वित्तीय आजादी मिली है, शायद इस कारण भी महिलाएं मुखर होकर घरेलू हिंसा और अत्याचार सहने के बजाए आजाद होना पसंद कर रही है.
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