Jammu Kashmir: शब-ए-बारात के मौके पुलिस ने बंद कराई जामिया मस्जिद, नहीं हुई इशा की नमाज
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Jammu Kashmir: शब-ए-बारात के मौके पुलिस ने बंद कराई जामिया मस्जिद, नहीं हुई इशा की नमाज

Jammu Kashmir Jamia Masjid: जम्मू कश्मीर की जामिया मस्जिद पर इशा यानी रात की नमाज पर रोक लगा दी गई. यह फैसला शब-ए-बारात के मौके पर लिया गया है.

 Jammu Kashmir: शब-ए-बारात के मौके पुलिस ने बंद कराई जामिया मस्जिद, नहीं हुई इशा की नमाज

Jammu Kashmir Jama Masjid: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस्लामी कैलेंडर की सबसे पाक रातों में से एक शब-ए-बारात की रात श्रीनगर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में नमाज़ पर रोक लगा दी. कश्मीर के मुख्य मौलवी मीरवाइज उमर फारूक, जो इस रात को बयान देने वाले थे उन्हें नजरबंद कर दिया गया. श्रीनगर के नौहट्टा (जिसे डाउनटाउन के नाम से भी जाना जाता है) की मस्जिद में जमा हुए लोगों को वहां से जाने के लिए कहा गया और मस्जिद प्रबंधन को सूचित किया गया कि रात की नमाज नहीं होगी.

जामा मस्जिद में नहीं हुई नमाज

इस फैसले की राजनीतिक नेताओं की ओर से तीखी आलोचना की गई है, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इसे "दुर्भाग्यपूर्ण" बताया है और इलाके की कानून-व्यवस्था में विश्वास की कमी के बारे में फिक्र का इजहार किया है.

उन्होंने ट्विटर पर लिखा,"यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुरक्षा प्रतिष्ठान ने इस्लामी कैलेंडर की सबसे पवित्र रातों में से एक शब-ए-बारात पर श्रीनगर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद को सील करने का फैसला लिया है. यह फैसला लोगों में विश्वास की कमी और कानून-व्यवस्था तंत्र में विश्वास की कमी को दर्शाता है. श्रीनगर के लोग इससे बेहतर के हकदार थे."

हालांकि, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने प्रतिबंधों के बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है. वहीं, कश्मीर जोन पुलिस के आधिकारिक हैंडल से एक्स पर पोस्ट किया गया, जिसमें कहा गया, "आईजीपी कश्मीर ने शब-ए-बारात की पूर्व संध्या पर लोगों को शुभकामनाएं दीं. यह मुबारक रात सभी के लिए सद्भाव, खुशी और समृद्धि लाए."

पुलिस ने बंद करवाए दरवाजे

अंजुमन औकाफ जामा मस्जिद ने अपने बयान में कहा, "असर की नमाज के बाद, अधिकारियों ने अचानक जामा मस्जिद श्रीनगर के दरवाज़े बंद कर दिए, पुलिस कर्मियों ने नमाज़ियों से मस्जिद परिसर खाली करने को कहा. औकाफ को यह भी बताया गया कि जामा मस्जिद में शब-ए-बारात मनाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।"

बयान में आगे कहा गया, "यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हर बार जब कोई अहम धार्मिक मौका आता है, तो बड़ी तादाद में जामा मस्जिद जाने वाले लोग निराश हो जाते हैं क्योंकि मस्जिद को जबरन बंद कर दिया जाता है और मीरवाइज उमर फारूक को उनकी धार्मिक जिम्मेदारियों को पूरा करने से रोक दिया जाता है. इस तरह के बार-बार प्रतिबंध न केवल लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं बल्कि उनके मौलिक धार्मिक अधिकारों का भी उल्लंघन करते हैं."

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