Kushinagar Masjid: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले की मदनी मस्जिद पर बुलडोज़र एक्शन ने अब सियासी रंग लेना शुरू कर दिया है. मंगलवार को सपा के एक डेलिगेशन ने मस्जिद का दौरा का सरकार पर दंगा भड़काने के लिए माहौल बनाने का इलज़ाम लगाया है, और मुसलामानों से इस साजिश से बचने और समझदारी से काम लेने की सलाह दी है.
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कुशीनगर: कुशीनगर की मदनी मस्जिद पर बुलडोज़र एक्शन अब सियासी रंग लेने लगा है. मस्जिद पर सरकार की इस कारवाई के बाद मंगलवार को सपा का 18 सदस्यीय एक डेलिगेशन मस्जिद का दौरा किया. डेलिगेशन के सद्र और विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष लालबिहारी यादव ने सरकार पर मस्जिद पर बुलडोज़र चलाकर इलाके का माहौल खराब करने और दंगा कराने का संगीन इलज़ाम लगाया है. लालबिहारी यादव ने कहा, "सरकार की मंशा थी कि कुशीनगर में दंगा भड़के, लेकिन यहां के मुस्लिम समाज ने बेहद समझदार का सबूत देते हुए सरकार की मंशा पर पानी फेर दिया है. भाजपा की ये सरकार न तो हाईकोर्ट का हुक्म मानती है, और न ही सुप्रीम कोर्ट की इज्ज़त करती है. सरकार संविधान के मुताबिक चलने के बजाए तानाशाही कर रही है." लालबिहारी यादव ने कहा, "सरकार की इस कार्यवाही के खिलाफ विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष होने की हैसियत से मैं सवाल उठाऊंगा."
वहीँ, मदनी मस्जिद के मुद्दे पर सपा प्रतिनिधिमंडल के दौरे पर सवाल खड़ा हो गया है. इस पूरे मामले में सीएम से शिकायत करने वाले रामबचन सिंह ने कहा, " सपा का डेलिगेशन राजनीतिक रोटी सेंकने आया है. सरकारी जमीन में जो भी अवैध निर्माण हुआ है, उसे ढहा दिया गया है. इसपर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए."
क्या है मदनी मस्जिद का मामला ?
गौरतलब है कि गुजिश्ता 9 फरवरी को कुशीनगर के हाटा की मदनी मस्जिद का एक हिस्सा प्रशासन ने 7 बुलडोजर लगा कर गिरा दिया था. सरकार का इलज़ाम है कि मस्जिद का कुछ हिस्सा सरकारी जमीन पर बनाया गया था. इसके साथ ही उस निर्माणाधीन मस्जिद का नक्शा नगरपालिका परिषद से पास नहीं कराया गया था.
क्या कहता है मस्जिद पक्ष ?
मस्जिद पक्ष का कहना है कि मस्जिद के नाम से 29 डिसमिल जमीन का बैनामा है, और 28 डिसमिल पर मस्जिद बनाई गई थी. हम अगर मान भी लेते हैं कि यह मस्जिद अगर आबादी की जमीन पर बनी है तो आबादी वर्ग 6 क का मालिकाना हक उसी को होता है, जो उसपर आबाद होता है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ तौर पर कहा है कि प्लेस ऑफ वरशिप एक्ट 1991 का पालन होगा. इस एक्ट में साफ़ लिखा है कि पूजा स्थल को यथावत रखा जाए उसमें कोई छेड़छाड़ न किया जाए. सम्भल के विवाद के बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सरकार बुलडोजर की कार्यवाही बंद कर न्यायिक प्रक्रिया अपनाए लेकिन यह सरकार कोर्ट का आदेश नहीं मानती है. अगर मस्जिद बिना नक्शे के बन रही थी तो नगरपालिका और तहसील के अफसर इसके निर्माण के वक़्त ही इसे क्यों नहीं रोका था ?
क्या है सरकार का पक्ष ?
वहीँ, प्रशासन का इलज़ाम है कि मस्जिद आबादी की जमीन पर बनी है. मस्जिद के मॉडल को मंजूरी नगर पालिका परिषद हाटा ने 1999 में दी थी. मंजूर शुदा नक़्शे में मस्जिद को गाटा न-208 पर रकबा-7080.50 वर्गफीट पर तामीर की इज़ाज़त दी गयी थी, लेकिन मस्जिद के गैर कानूनी निर्माण की शिकायत मिलने पर नगर पालिका परिषद, हाटा ने 2024 को नोटिस दी थी कि मस्जिद कमिटी के लोग अवैध निर्माण के सम्बन्ध में अपना रुख पेश करें. इस मामले में मदनी मस्जिद के पक्षकार जाकिर अली ने और वक़्त की मांग की थी. कुछ वक़्त के बाद मस्जिद कमिटी को दूसरा नोटिस 2025 को दिया गया, लेकिन हाटा नगर पालिका द्वारा अवैध निर्माण के सम्बन्ध में दिए गए नोटिस के खिलाफ मदनी मस्जिद की पक्षकार अजमतुन निशा व अन्य सीधा हाई कोर्ट चले गए. इस मामले में हाई कोर्ट ने 8.01.2025 को अपने एक आदेश में तयशुदा समय सीमा का पालन करते हुए मस्जिद प्रबन्धन को अपना जवाब देने और सबूत पेश करने का मौका दिया था. इस मामले में मस्जिद प्रबन्धन के 16.01.2025 को दिए लिखित प्रतिउत्तर और सुनवाई के बाद अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद हाटा द्वारा 23.01.2025 को मंजूरशुदा नक़्शे के अतिरिक्त निर्मित 6555 वर्गफीट एरिया को गैर कानूनी करार दे दिया गया, और उस अवैध निर्माण को 15 दिनों में हटाने का हुक्म दिया गया. लेकिन मस्जिद कमिटी द्वारा अवैध निर्माण को न हटाये जाने पर नगर पालिका परिषद द्वारा 9.02.2025 को मस्जिद के अवैध हिस्से को ध्वस्त कर दिया गया.
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