तीसरी इकोनॉमी बनने के लिए भारत का बढ़ सकता है इंतजार, जापान ने कर दिया कमाल
Advertisement
trendingNow12385378

तीसरी इकोनॉमी बनने के लिए भारत का बढ़ सकता है इंतजार, जापान ने कर दिया कमाल

भारत विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्यलेकर चल रहा है. आज भी जब स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित कर रहे थे उन्होंने देश की इकोनॉमी का जिक्र करते हुए कहा कि जल्द ही भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा.

japan

Japan Economy: भारत विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्यलेकर चल रहा है. आज भी जब स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित कर रहे थे उन्होंने देश की इकोनॉमी का जिक्र करते हुए कहा कि जल्द ही भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा. सरकार की कोशिशें जारी है, लेकिन जापान ने एक ऐसी खबर आई, जिससे तीसरी इकॉनमी बनने का भारत का इंतजार थोड़ा लंबा हो सकता है. जापान की अर्थव्यवस्था ने ऐसे संकेत दिए हैं, जो भारत के इस इंतजार को लंबा कर सकते हैं. 

जापान ने उम्मीद से बेहतर किया प्रदर्शन 

जापान, जिसकी इकोनॉमी तीसरे से चौथे पायदान पर खिसक गई थी, अब उसने जबरदस्त कमबैंक किया है. इकॉनमी ने दूसरी तिमाही में उम्मीद से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है. पिछली तिमाही में देश की इकॉनमी में गिरावट आई थी और जापान खिसकर दुनिया की चौथी इकोनॉमी बन गया. अब भारत को तीसरी बड़ी इकॉनमी बनने के लिए जर्मनी और जापान को पार करना होगा. वर्तमान में भारत पांचवें नंबर पर है.  

जापान की अर्थव्यवस्था का कमाल  
 
जापान की अर्थव्यवस्था पिछली तिमाही में 3.1 प्रतिशत बढ़ी है. जापान की अर्थव्यवस्था अप्रैल-जून की अवधि में 3.1% की वार्षिक दर से बढ़ी. कैबिनेट कार्यालय ने बृहस्पतिवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी.  चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था 0.8 प्रतिशत बढ़ी थी. मौसमी रूप से समायोजित सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी, किसी देश के उत्पादों और सेवाओं के मूल्य को मापता है. 

जापान में स्वस्थ घरेलू खपत और निजी क्षेत्र के निवेश के साथ ही सरकारी निवेश के कारण घरेलू मांग पिछली तिमाही के मुकाबले 3.5 प्रतिशत बढ़ी.  आईएनजी इकोनॉमिक्स में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के शोध प्रमुख रॉबर्ट कार्नेल ने कहा कि जीडीपी आंकड़े संकेत देते हैं कि आय और व्यय के बीच का चक्र अधिक स्पष्ट हो गया है, लेकिन व्यापक आर्थिक नीतियों को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है.  

Trending news