मीठा स्वाद अपने आप में आकर्षक होता है, लेकिन आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि सिर्फ जीभ को स्वीट टेस्ट का ही एहसास नहीं होता, बल्कि शरीर के दूसरे अंगों में भी स्टिमुलेशन होते हैं.
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Sweet Taste Receptors: भारत समेत दुनियाभर में मीठा खाने की चाहत भला किसे नहीं होती. हाल ही में एक रिसर्चर्स ने पाया है कि हार्ट में "स्वीट टेस्ट" के रिसेप्टर्स होते हैं, जैसे हमारी जीभ पर होते हैं, और मीठी चीजों से इन रिसेप्टर्स को स्टिमुलेट करने से दिल की धड़कन को मॉड्यूलेट किया जा सकता है. ये खोज हार्ट फंक्शन को समझने के लिए और संभावित रूप से हार्ट फेलियर के लिए नए ट्रीटमेंट डेवलप करने के लिए नए रास्ते खोलती है. नई रिसर्च में पाया गया कि ये रिसेप्टर्स न सिर्फ दिल की मांसपेशियों पर मौजूद होते हैं बल्कि फंक्शनल भी होते हैं.
इंसानों और चूहों पर टेस्ट
जब रिसर्चर्स ने एस्पार्टेम, एक कॉमन आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल करके इंसानों और चूहों के हार्ट सेल्स में इन रिसेप्टर्स को स्टिमुलेट किया, तो उन्होंने हार्ट मसल्स के कॉन्ट्रैक्शन की फोर्स में अच्छा इजाफा और कैल्शियम हैंडलिंग में तेजी देखी. एक सेहतमंद दिल की धड़कन के लिए ये अहम प्रॉसेस है.
शरीर के दूसरे हिस्से में भी टेस्ट रिसेप्टर्स
जबकि टेस्ट रिसेप्टर्स पारंपरिक रूप से जीभ और स्वाद का अनुभव करने की हमारी क्षमता से जुड़े होते हैं, हाल की स्टजीज से पता चला है कि ये रिसेप्टर्स शरीर के अन्य हिस्सों में मौजूद होते हैं, जहां वे संभवतः अलग-अलग रोल अदा करते हैं. ये नई स्टडी पहली बार दिल की मांसपेशी कोशिकाओं की सतह पर खास "स्वीट टेस्ट" रिसेप्टर्स, जिन्हें TAS1R2 और TAS1R3 के तौर पर जाना जाता है, की पहचान करता है.
हार्ट रेट में बदलाव
लोयोला यूनिवर्सिटी शिकागो (Loyola University Chicago) में जोनाथन किर्क की लैब में ग्रेजुएट छात्र मीका योडर (Micah Yoder) ने कहा, "भोजन करने के बाद, ये दिखाया गया है कि आपकी हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर सचमुच में बढ़ रहे हैं." पहले इसे एक न्यूरल एक्सिस माना जाता था जिसे संकेत दिया जा रहा है.
मीका योडर ने आगे कहा, "लेकिन हम एक ज्यादा प्रत्यक्ष परिणाम का प्रस्ताव कर रहे हैं, जहां हमारे पास भोजन खाने के बाद हमारे ब्लड शुगर में इजाफा होता है, और ये हार्ट के मसल्स सेल्स पर इन स्वीट टेस्ट रिसेप्टर्स से बाइंड कर रहा है, जिससे दिल की धड़कन में फर्क होता है." दिलचस्प बात ये है कि रिसर्चर्स ने यह भी पाया कि ये रिसेप्टर्स हार्ट फेलियर वाले मरीजों के दिलों में अधिक प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो बीमारी से संभावित रिश्ते का सुझाव देते हैं.
आगे की जांच से पता चला कि रिसेप्टर्स को स्टिमुलेट करने से हार्ट सेल्स के भीतर मॉलिक्यूलर घटनाओं की एक सीरीज शुरू हो जाती है, जिसमें प्रमुख प्रोटीन शामिल होते हैं जो कैल्शियम फ्लो और मांसपेशियों के संकुचन को नियंत्रित करते हैं. इसके अलावा, उनका रिसर्च ये बता सकता है कि आर्टिफिशियली स्वीट ड्रिंक के अधिक सेवन को एरिथमोजेनेसिस, या अनियमित दिल की धड़कन से क्यों जोड़ा जाता है.
इन आर्टिफिशियल स्वीटनर का असर
रिसर्चर्स ने पाया कि न सिर्फ ये स्वीट टेस्ट रिसेप्टर्स एस्पार्टेम जैसे आर्टिफिशियल स्वीटनर से खास तौर से उत्तेजित होते हैं, इन मीठे टेस्ट रिसेप्टर्स की अधिक उत्तेजना से दिल की कोशिकाओं में अतालता जैसी बिहेवियर में इजाफा होता है.
हालांकि, इन रिसेप्टर्स को दिल्ली में उत्तेजित करने के लॉन्ग टर्म असर को पूरी तरह से समझने के लिए और साथ ही ये समझने के लिए और ज्यादा रिसर्च की जरूरत है कि हार्ट फेलियर के मामले में इन रिसेप्टर्स को दिल को मजबूत करने के लिए कैसे टार्गेट किया जा सकता है. ये काम लॉस एंजिल्स में 69वीं बायोफिजिकल सोसाइटी वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया जाना था. बायोफिजिकल सोसाइटी की स्थापना बायोफिजिक्स में ज्ञान के विकास और प्रसार का नेतृत्व करने के लिए की गई है.
(इनपुट-आईएएनएस)
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