देश की अदालतों में सिर्फ चेक बाउंस के 43 लाख मामले पेंडिंग.. सबसे टॉप पर है ये राज्य
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देश की अदालतों में सिर्फ चेक बाउंस के 43 लाख मामले पेंडिंग.. सबसे टॉप पर है ये राज्य

Cheque Bounce Cases: चेक बाउंस के मामले सामान्य अदालतों में निपटाए जाते हैं क्योंकि ये आपराधिक प्रकृति के होते हैं. चेक बाउंस के मामलों में देरी के कई कारण हैं. उधर ट्रैफिक चालान और चेक बाउंस के मामले मिलकर अदालतों में लंबित मामलों की बड़ी संख्या बनाते हैं.

देश की अदालतों में सिर्फ चेक बाउंस के 43 लाख मामले पेंडिंग.. सबसे टॉप पर है ये राज्य

Pending Cases in Courts: पूरी दुनिया में भारत की न्याय व्यवस्था बहुत बड़ी और बहुत ही जटिल मानी जाती है. कोर्ट में पेंडिंग केस एक तरह की चुनौतियां पेश करते हैं. इसी कड़ी में एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है कि देशभर की विभिन्न अदालतों में 18 दिसंबर तक चेक बाउंस के 43 लाख से अधिक मामले लंबित हैं. राजस्थान इस मामले में शीर्ष पर है, जहां 6.4 लाख से अधिक मामले लंबित हैं. इसके बाद महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल का स्थान आता है. ट्रैफिक चालान और चेक बाउंस के मामले मिलकर अदालतों में लंबित मामलों की बड़ी संख्या बनाते हैं. हालांकि सरकार ने ट्रैफिक चालान के भुगतान के लिए वर्चुअल कोर्ट की सुविधा शुरू की हुई है. 

अदालतों में देरी का कारण..
दरअसल, चेक बाउंस के मामले सामान्य अदालतों में निपटाए जाते हैं क्योंकि ये आपराधिक प्रकृति के होते हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में 20 दिसंबर को संसद में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि चेक बाउंस के मामलों में देरी के कई कारण हैं. इनमें बार-बार स्थगन, मामलों की निगरानी और सुनवाई के लिए समुचित व्यवस्था की कमी, और विभिन्न मामलों के निपटारे के लिए समय सीमा का अभाव शामिल हैं. यह समस्याएं मामलों के निपटारे में बड़ी बाधा बनती हैं.

मामलों के निपटारे में भी तमाम पेचीदगियां
कानून मंत्री ने यह भी बताया कि अदालतों में मामलों के निपटारे की गति कई कारकों पर निर्भर करती है. इनमें भौतिक बुनियादी ढांचा, अदालत का सहायक स्टाफ, मामलों की जटिलता, साक्ष्यों का प्रकार, गवाहों और पक्षकारों का सहयोग, और नियमों व प्रक्रियाओं का सही अनुपालन शामिल हैं.

शीर्ष अदालत की पहल
चेक बाउंस के मामलों में देरी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च, 2021 को एक 10-सदस्यीय समिति का गठन किया था. इस समिति का उद्देश्य इन मामलों के त्वरित निपटारे के लिए आवश्यक कदमों का अध्ययन करना था. समिति ने विशेष नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट कोर्ट बनाने की सिफारिश की. साथ ही, पांच राज्यों महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के पांच जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में विशेष अदालतों की स्थापना का सुझाव दिया गया.

पायलट प्रोजेक्ट की स्थिति
19 मई, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि इन पायलट अदालतों का संचालन एक साल तक किया जाए. पांच राज्यों के पांच जिलों में 25 विशेष अदालतों की स्थापना की गई. हालांकि, इन अदालतों की प्रगति और निष्कर्षों पर अब तक कोई विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है. चेक बाउंस के मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए इस प्रोजेक्ट के परिणाम महत्वपूर्ण होंगे.

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