मध्य प्रदेश में कांग्रेस 9 अगस्त यानि विश्व आदिवासी दिवस World Tribal Day 2022पर बड़ा आयोजन करने की तैयारी में हैं. बताया जा रहा है कि कमलनाथ इस दिन अलीराजपुर जिले के दौरे पर जाएंगे. इसके अलावा कांग्रेस यह आयोजन प्रदेशभर में मनाएगी.
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प्रमोद शर्मा/भोपाल। मध्य प्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अभी डेढ़ साल का वक्त है. लेकिन बीजेपी और कांग्रेस ने सियासी बिसात बिछानी शुरू कर दी है. मध्य प्रदेश में आदिवासी वर्ग सत्ता का रास्ता तय करता है. ऐसे में दोनों राजनीतिक दलों का फोकस इस वर्ग पर बना हुआ है. खास तौर पर अब इसी वर्ग से आने वाली द्रौपदी मुर्मू देश की राष्ट्रपति निर्वाचित हो चुकी हैं. जिसे बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक भी कहा जा रहा है. लेकिन बीजेपी के आदिवासी कार्ड की सियासी काट के लिए कांग्रेस भी मंथन में जुटी है. कांग्रेस आगामी विश्व आदिवासी दिवस World Tribal Day 2022 पर प्रदेश में बड़ा आयोजन करने जा रही है.
कमलनाथ जाएंगे अलीराजपुर
कांग्रेस आदिवासी दिवस पर प्रदेश में बड़ा आयोजन करने की तैयारियों में जुटी है. बताया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस पर अलीराजपुर जिले के दौरे पर रहेंगे, जहां वे क्रांतिकारी शहीद चंद्रशेखर आजाद के गांव भाबरा जाएंगे. जबकि कांग्रेस प्रदेशभर में आयोजन भी करेगी.
कमलनाथ ने जारी किया पत्र
आदिवासी दिवस पर होने वाले आयोजन को लेकर कमलनाथ ने पत्र भी जारी कर दिया है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि आदिवासियों की सच्ची हितेषी कांग्रेस है, हमने आदिवासी दिवस पर अवकाश घोषित किया था. जबकि इस बार भी आदिवासी दिवस भव्य तरीके से मनाया जाएगा. उन्होंने पत्र के माध्यम से पीसीसी की तरफ से जिला कांग्रेस कमेटियों को आदिवासी दिवस मनाने के निर्देश दिए हैं.
कमलनाथ 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर अलीराजपुर जिले के शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली भाबरा जाएंगे. जहां कांग्रेस के सभी आदिवासी वर्ग के विधायक भी जुटेंगे. कमलनाथ यहां आदिवासियों से मुलाकात करेंगे, जबकि आदिवासियों को लेकर कमलनाथ के संदेश का वाचन भी प्रदेश भर में आदिवासियों तक पहुंचाएगी कांग्रेस.
पिछली बार कांग्रेस को मिली थी अच्छी सफलता
2018 के विधानसभा चुनाव के पहले तक आदिवासी वर्ग का झुकाव बीजेपी की तरफ था. लेकिन 2018 के इलेक्शन में पांसा पलट गया और आदिवासियों के लिए आरक्षित 47 सीटों में से 30 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा केवल 16 सीटें जीत सकी. इसे प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की बड़ी वजह माना गया और प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार बनी थी. लेकिन पिछले कुछ समय से बीजेपी ने इसी वर्ग पर फोकस किया है. ऐसे में अब कांग्रेस भी अपने पुराने वोट बैंक को साधने में जुट गई है.
मध्य प्रदेश में मजबूत है आदिवासी वर्ग की पकड़
मध्य प्रदेश में 2 करोड़ से ज्यादा आदिवासी आबादी है, 43 समूहों में बटा प्रदेश का आदिवासी वर्ग राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 87 विधानसभा सीटों पर सीधा असर डालता है. जिनमें से 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. आदिवासी वर्ग के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं, जबकि आदिवासी वर्ग प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों पर सीधा प्रभाव रखते हैं और यहां हार-जीत में अहम भूमिका निभाते है. 2018 के विधानसभा चुनाव में 47 में 31 सीटें कांग्रेस ने जीती थी, तो वहीं भाजपा को सिर्फ 16 सीट मिली थी. जबकि 35 अनुसूचित जाति वर्ग की 17 सीटों पर कांग्रेस और 18 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की नजरें आदिवासी वर्ग पर हैं.
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