Neemuch News: नीमच नारकोटिक्स विभाग ने चित्तोरगढ़ स्थित श्री सांवलिया मंदिर से बड़ी मात्रा में अफीम की जब्ती की है. इस मंदिर पर भक्त अपनी मुराद पूरी होने पर भगवान को अफीम भेंट करते हैं. आइए जानते हैं क्या है इस मंदिर को लेकर मान्यता...
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MP News: आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर भक्त लाखों रूपए के अलावा मादक पदार्थ अफीम भी चढाते हैं. दरअसल, अफीम फसल की अच्छी पैदावार के लिए भक्त इस मंदिर मन्नतें मांगते है और मन्नत पूरी होने पर भगवान को अफीम का चढावा चढ़ाते हैं. इस मंदिर के गर्भगृह से नीमच नारकोटिक्स ब्यूरो की टीम ने 58 किलो अफीम जब्त की है, जिसे अफीम फैक्टरी में जमा करवाया गया है.
दरअसल, मध्य प्रदेश के नीमच जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूरी पर राजस्थान में श्री सांवलिया मंदिर स्थित है. यह एक ऐसा अनूठा मंदर है, जहां पर ब्लैकगोल्ड कही जाने वाली अफीम भेंट करते है. एमपी के नीमच, मंदसौर और राजस्थान के कुछ हिस्सों में अफीम की पैदावार अच्छी होती है. अफीम की फसल नारकोटिक्स विभाग किसानों से लेता है. जो किसान इसकी खरीद फरोख्त बाहर करता है, उस पर एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है.
कड़ी सुरक्षा के बीच कार्रवाई
श्री सांवलियाजी मंदिर मंडल की मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रभा गौतम के मुताबिक, गुरुवार दोपहर नारकोटिक्स विभाग की दो टीमों ने मंदिर पहुंचकर मंदिर प्रशासन के सहयोग से तहखाने में रखी अफीम को इलेक्ट्रॉनिक कांटे से तौला. मंदिर में नारकोटिक्स विभाग की कार्रवाई करीब 4 घंटे चली. इस दौरान आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी, ताकि कोई भी व्यक्ति वहां न आ सके. जब्त की गई 58 किलो अफीम को कागजी औपचारिकताओं के साथ नारकोटिक्स विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया. जब्त की गई अफीम की कीमत करीब करोड़ रूपए बताई जा रही है.
अब नारकोटिक्स विभाग को सौंपी जाएगी अफीम
मंदिर में श्रद्धालु अफीम की पैदावार अच्छी होने पर भगवान को चढ़ाते हैं. ऐसे में अब बताया जा रहा कि अब इस मंदिर में चढ़ने वाली अफीम हर महीने नारकोटिक्स विभाग को सौंपी जाएगी. श्री सांवलिया जी मंदिर का भंडारा महीने भर पर खोला जाता है. जानकारी के मुताबिक, यहां दानपेटी से हर महीने करीब 2 से 3 करोड़ रुपये का चढ़ावा आता है. मंदिर को लेकर मान्यता है कि लोग अपनी कमाई का दस या पांच प्रतिशत का हिस्सा सांवलिया सेठ को चढाते हैं.
पहले चरणामृत में मिलाते थे अफीम
श्री सांवलिया जी मंदिर में पहले चरणामृत में भी अफीम मिलाने की परंपरा थी, जिसे कुछ श्रद्धालु ग्रहण करते थे. हालांकि बाद में यहां बाद में अफीम के गलत इस्तेमाल की शिकायत आने लगी. जिसके बाद मंदिर प्रशासन ने इस पर रोक लगा दिया. अब मंदिर में चढ़ने वाली अफीम को सुरक्षित गर्भगृह के तहखाने में रखा जाता है.
रिपोर्ट- प्रीतेश शारदा, जी मीडिया नीमच
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