आयुर्वेद में घी को मानव शरीर के लिए बेहद फायदेमंद बताया गया है लेकिन घी कुछ लोगों के लिए नुकसानदायक भी साबित हो सकता है. आज हम आपको बता रहे हैं कि किन लोगों को घी का सेवन नहीं करना चाहिए.
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नई दिल्लीः आयुर्वेद में घी को मानव शरीर के लिए बेहद फायदेमंद माना गया है. सैंकड़ों सालों से घी भारतीय रसोई का अभिन्न हिस्सा बना हुआ है. घी को सुपर हेल्दी माना जाता है और यह प्रोटीन, हेल्दी फैट, विटामिन्स का बेहतरीन स्त्रोत है लेकिन हर इंसान के शरीर की तासीर अलग होती है. कोई चीज जो दूसरे के लिए फायदेमंद है आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है. ऐसा ही कुछ घी के साथ भी है. आज हम आपको बता रहे हैं कि किन लोगों को घी का सेवन नहीं करना चाहिए.
लिवर सिरोसिस के मरीजों के लिए
लिवर सिरोसिस वह बीमारी है, जिसमें लीवर के ऊतक क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. इस स्थिति में लिवर स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाता है. इस बीमारी से ग्रस्त लोगों को घी का सेवन नहीं करना चाहिए. दरअसल लिवर हमारे खाने को पचाने में मदद करता है लेकिन लिवर के खराब होने पर वह घी को नहीं पचा पाएगा और वह और वह लीवर को ही ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा.
पेट की समस्या में ना करें घी का सेवन
जिन लोगों को लंबे समय से अपच या पेट की समस्या बनी रहती है, उन्हें घी का सेवन नहीं करना चाहिए. जिन लोगों को अल्सर, पित्ताशय की थैली की बीमारी होती है, उनके लिए घी का सेवन नुकसान दायक साबित हो सकता है.
मौसमी बुखार में करना चाहिए परहेज
आयुर्वेद में माना जाता है कि घी कफ बढ़ाता है. मौसमी बुखार में कफ की समस्या आम है. ऐसे में अगर आप मौसमी बुखार से ग्रस्त होने पर घी का सेवन करेंगे तो यह कफ बढ़ाएगा. इसलिए इस परिस्थिति में घी का सेवन करने से परहेज करना चाहिए.
हेपेटाइटिस के मरीजों को
हेपेटाइटिस भी लिवर की बीमारी है. इस बीमारी में भी लिवर ठीक से काम नहीं कर पाता है. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति हेपेटाइटिस से पीड़ित है तो उन्हें घी का सेवन करने से परहेज करना चाहिए.
हार्ट की समस्या में
जिन लोगों में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा होती है, उन्हें भी घी का सेवन नहीं करना चाहिए. दरअसल घी के सेवन से सैचुरेटिड फैटी एसिड बढ़ता है, जो हार्ट के लिए नुकसानदायक है.