एक कहावत है, कोई सपना जादू से हकीकत नहीं बनता, उसके लिए कड़ी मेहनत की जरूरत होती है. ये मिसाल एक बार फिर साबित की है रुतबा शौकत ने जिसकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने हमेशा पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है. कश्मीर की लड़कियां हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं.
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Meet Kashmir’s Rutba Showkat: एक कहावत है, कोई सपना जादू से हकीकत नहीं बनता, उसके लिए कड़ी मेहनत की जरूरत होती है. ये मिसाल एक बार फिर साबित की है रुतबा शौकत ने जिसकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने हमेशा पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है. कश्मीर की लड़कियां हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं. खेल से लेकर व्यवसाय और कला जगत तक, कश्मीरी बेटियों ने हर जगह अपनी काबिलियत साबित की है. यहां बात युवा कश्मीरी किशोरी रुतबा शौकत की काबिलियत की जिसके चलते उसका नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया है.
एथलीट रुतबा शौकत ने कोविड के दौरान कला को अपनाया और तब से वह विश्व रिकॉर्ड बनाना चाहती थीं. रुतबा ने एक घंटे में 250 ओरिगेमी पेपर बोट बनाकर पेपर फोल्डिंग की कला में नया रिकॉर्ड बनाया है. रुतबा ने पहले दो बार इस विश्व रिकॉर्ड के लिए आवेदन किया था और इसे तोड़ नहीं पाई थीं, लेकिन अपने तीसरे प्रयास में, वो ये उपलब्धि हासिल करने में कामयाब रहीं, इस तरह उन्होंने पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया.
गिनीज रिकॉर्ड धारी रुतबा ने कहा,'कला मेरे दिमाग को तरोताजा करती है, जबकि खेल मुझे शारीरिक रूप से फिट रखता है. मैं एथलीट हूं और कोविड के दौरान सभी अकादमियां बंद थीं, इसलिए मैंने कला में रुचि लेना शुरू किया. मैंने लैंडस्केप आर्ट बनाना शुरू किया और उस अवधि के दौरान ही मेरा नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया और यही वह समय था जब मैंने कुछ बड़ा करने का फैसला किया. मैंने गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के बारे में पढ़ा और मैंने रिसर्च करके आवेदन किया. मैंने ओरिगेमी पेपर आर्ट के बारे में पढ़ा था कि एक लड़के ने एक घंटे में 150 पेपर बोट बनाए थे और वहीं से मैंने शुरुआत की और एक घंटे में 250 बनाकर उसका रिकॉर्ड तोड़ दिया.
रुतबा का बड़ा रुतबा और संदेश
रुतबा पिछले एक दशक से एथलीट हैं और उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर की चैंपियनशिप में 50 से अधिक पदक जीते हैं. उनका कमरा मार्शल आर्ट के लिए जीते गए पुरस्कारों से भरा है. रुतबा का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हो चुका है. लेकिन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में सूचीबद्ध होना उनके लिए एक सपने के सच होने जैसा है.
रुतबा ने कश्मीरी लड़कियों को प्रेरणा देते हुए कहा, 'लड़कियां शर्मीली होती हैं या परिवार के लोग उन्हें रोकते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि लड़कियों को स्वतंत्र होना चाहिए और भले ही उन्हें छोटी शुरुआत करनी पड़े, उन्हें करनी चाहिए.'