दिल्ली में नाम बदलने की मांग लेकर आमने-सामने आए 'माननीय', जानिए फिर क्या हुआ
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दिल्ली में नाम बदलने की मांग लेकर आमने-सामने आए 'माननीय', जानिए फिर क्या हुआ

Delhi news: सियासी रार के बीच एक बार फिर से दिल्ली की मुस्तफाबाद सीट सुर्खियों में है. चर्चाओं में रहने की एक वजह है बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट की वो मांग, जिसके तहत वो चाहते हैं कि मुस्तफाबाद सीट का नाम बदला जाए.

दिल्ली में नाम बदलने की मांग लेकर आमने-सामने आए 'माननीय', जानिए फिर क्या हुआ

Delhi name change: दिल्ली में सत्ता बदली. आम आदमी पार्टी की सरकार को सत्ता से बेदखल करके 27 साल बाद बीजेपी ने एक बार फिर दिल्ली की सियासत में कमल खिलाया. दिल्ली में बीजेपी की एंट्री के साथ ही नाम बदलने की सियासत शुरू हो गई है. पहले दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ करने की मांग हुई और अब मुस्तफाबाद विधानसभा सीट का नाम बदलने पर जुबानी घमासान तेज है. राजधानी दिल्ली में ऐसा पहली बार है कि जगह के नाम को लेकर हिंदू मुसलमान का मुद्दा गरमा चुका है.

AAP के भूतपूर्व विधायक हाजी यूनुस ने बीजेपी, 'केंद्र सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि जब तक ज़िंदा हूं इसका नाम नहीं बदला जाएगा. सबसे पहले MCD चुनाव से पहले जो ईस्ट करावल नगर वार्ड का नाम रखा गया है शिव विहार के बदले सबसे पहले वो उसका शिव विहार रखवाएं और बाद में वो मुस्तफाबाद के बारे में सोचें हम अपने जीते जी मुस्तफाबाद का नाम नहीं बदले देंगे. चाहे हमें हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट या राष्ट्रपति का सहारा ही क्यों न लेना पड़ जाए.

इस सियासी रार ने दिल्ली की मुस्तफाबाद सीट को एक बार फिर चर्चाओं में ला खड़ा किया है. चर्चाओं में रहने की एक वजह है बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट की वो मांग, जिसके तहत वो चाहते हैं कि मुस्तफाबाद सीट का नाम बदला जाए. नाम बदलने के पीछे बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट का तर्क है इलाके में एक 58 फीसदी हिंदू हैं, 42 फीसदी मुसलमान तो क्यों ना बदलें नाम.

मुस्तफाबाद सीट का नाम बदलने का ऐलान हुआ तो आप के पूर्व मुस्लिम विधायक भी चेतावनी भले लहजे के साथ मैदान में उतरे.

- हाजी यूनुस ने किसी से कहा कि इलाके के लोगों ने चूड़ियां नहीं पहनी हैं.
- तो कभी हर रहे हैं उनके जिंदा रहते इलाके का नाम बदलना मुमकिन नहीं.
- हाजू यूनुस ने बीजेपी पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप भी मढ़ दिया.

आप खुद तय कीजिए नाम बदलने का फैसला सही या गलत?

नाम बदलने के पीछे हो रही इस सियासत पर जब जी न्यूज ने लोगों से बात की तो इलाके के अधिकांश लोगों का भी मानना है कि नाम बदलने का फैसला सही है. ये वही मुस्तफाबाद है, जहां साल 2020 में दंगे भड़के थे इन दंगों में 53 लोग मारे गए थे. बीजेपी का दावा है कि इन दंगों के बाद मुस्तफाबाद से हिंदुओं का पलायन हुआ था. लेकिन अब यहां बीजेपी का भगवा लहरा चुका है और अब मुस्तफाबाद का नाम बदल कर शिवपुरी या शिव विहार करने की बात हो रही है.

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