Ashutosh Maharaj: आशुतोष महाराज के शिष्यों ने महाकुंभ में लगातार 33 दिनों तक रुद्री पाठ कर रिकॉर्ड बना दिया है. दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से महाकुंभ में 14 जनवरी से रुद्री पाठ शुरू किया था.
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Ashutosh Maharaj: महाकुंभ में लगातार 33 दिनों तक रुद्री पाठ कर नया रिकॉर्ड बनाया गया है. महाकुंभ में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज के शिष्यों ने 14 जनवरी को तड़के तीन बजे रुद्री पाठ का शुभारंभ किया था, जो रविवार 16 फरवरी को सुबह चार बजे समाप्त हुआ. आशुतोष महाराज के शिष्यों ने लगातार 33 दिनों तक रुद्री पाठ कर एशिया और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है. आशुतोष महाराज के बारे में दावा किया जाता है कि वह पिछले 10 वर्षों से समाधि में हैं. तो आइये जानते हैं आशुतोष महाराज के बारे में...
आशुतोष महाराज के बारे में ये दावा
जानकारी के मुताबिक, आशुतोष महाराज ने 28 जनवरी 2014 को समाधि ले ली थी. समाधि लेते समय उन्होंने शिष्यों से कहा था कि वह अपने शरीर में फिर से लौटकर आएंगे. उनके भक्तों ने उनका शरीर अभी तक पंजाब के जालंधर स्थित नूर महल में सुरक्षित रखा हुआ है. आशुतोष महाराज के शव को पिछले 10 सालों से डीप फ्रीजर में रखा गया है. वहीं, मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार उनका निधन हो गया है लेकिन शिष्यों ने इस समाधि को ब्रह्माज्ञान की साधना बताया है.
कौन थे आशुतोष महाराज?
जानकारी के मुताबिक, आशुतोष महाराज का जन्म 1946 में बिहार के मधुबनी में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनका असली नाम महेश कुमार झा था. आशुतोष महाराज ने साल 1983 में जालंधर के नूर महल में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की नींव रखी थी. देश भर में इनके 350 आश्रम हैं. इनमें से 65 सिर्फ पंजाब में ही हैं. विदेश में भी आशुतोष महाराज के कई आश्रम हैं. आश्रम की प्रॉपर्टी का मूल्य 10 अरब रुपये तक बताया जाता है.
आशुतोषांबरी ने भी ले ली थी समाधि
आशुतोश महाराज की समाधि के बाद उनकी शिष्या आशुतोषांबरी ने 2024 जनवरी में लखनऊ स्थित आश्रम में समाधि ले ली थी. शिष्यों का दावा है कि आशुतोष महाराज ने अपनी शिष्या आशुतोषांबरी को आंतरिक संदेश भेजा था. इसके बाद उन्होंने भी समाधि ले ली थी. शिष्यों का दावा है कि आशुतोषांबरी मां जल्द ही समाधि से वापस आएंगी.
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