Krishna Avatar Story: भगवान विष्णु का कृष्ण अवतार न केवल हिंदू धर्म में बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए एक प्रेरणा स्रोत है. उनकी लीलाएं, शिक्षाएं और गीता का ज्ञान आज भी प्रासंगिक हैं और हर व्यक्ति के जीवन को सार्थक बना सकते हैं. उनका अवतार हमें सिखाता है कि प्रेम, भक्ति, धर्म और कर्तव्य का पालन ही जीवन की सच्ची सफलता है.
Trending Photos
Krishna Avatar: भगवान श्रीकृष्ण को विष्णु जी का पूर्णावतार (पूर्ण अवतार) माना जाता है. वे केवल एक दिव्य व्यक्तित्व बल्कि, धर्म, प्रेम, भक्ति, ज्ञान और नीति के प्रतीक हैं. उनका जीवन लीलाओं से भरा हुआ है. श्रीकृष्ण सनातन धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं. श्रीकृष्ण ने अधर्म के नाश और धर्म की पुनःस्थापना के लिए अवतार लिया था. आइए जानते हैं भगवान विष्णु के कृष्णावतार से जुड़े खास बातें.
कृष्ण अवतार का उद्देश्य
भगवान विष्णु ने द्वापर युग में श्रीकृष्ण के रूप में अवतार क्यों लिया? इस प्रश्न का उत्तर भगवद गीता में मिलता है. भगवद गीता में स्वयं श्रीकृष्ण कहते हैं-
"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥"
अर्थात् जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब मैं स्वयं अवतार लेकर धर्म की स्थापना करता हूं. श्रीकृष्ण ने धरती पर जन्म लेकर अत्याचारी कंस और अन्य अधर्मी राजाओं का विनाश किया, धर्म की रक्षा की और मनुष्यों को सत्य, प्रेम, भक्ति और कर्मयोग का ज्ञान दिया.
श्रीकृष्ण का जन्म और बाल लीला
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में मथुरा के कारागार में हुआ था. उनके माता-पिता देवकी और वासुदेव थे, लेकिन जन्म के समय उनके मामा कंस ने उन्हें मारने का प्रयास किया. एक भविष्यवाणी के अनुसार, देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा. इसलिए कंस ने देवकी और वासुदेव को बंदी बना लिया और उनके सभी संतानों की हत्या कर दी.
गोकुल में बाल लीला
भगवान विष्णु के आदेश से वासुदेव ने नवजात कृष्ण को यमुना पार कर गोकुल में नंद बाबा और यशोदा माता के पास छोड़ दिया. वहां उन्होंने अनेक लीलाएं कीं. बाल लीलाओं में भगवान श्रीकृष्ण ने सबसे पहले पूतना नामक राक्षसी का वध किया, जो उन्हें विष देकर मारने आई थी. इसके बाद श्रीकृष्ण ने यमुना नदी में रहने वाले विषैले नाग कालिय को पराजित किया. कहते हैं कि जब जब इंद्रदेव ने गोकुल पर मूसलधार बारिश शुरू कर दी, तो श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी ग्वालों और गायों की रक्षा की.
युवावस्था और मथुरा गमन
किशोर अवस्था में श्रीकृष्ण ने कंस वध किया और मथुरा को अत्याचारी शासन से मुक्त किया. उन्होंने अपने माता-पिता देवकी और वासुदेव को जेल से छुड़ाया. इसके बाद उन्होंने द्वारका नगरी की स्थापना की और वहां राज्य किया.
श्रीकृष्ण और महाभारत
श्रीकृष्ण महाभारत युद्ध में एक केंद्रीय भूमिका में थे. उन्होंने अर्जुन के सारथी बनकर उन्हें गीता का दिव्य ज्ञान दिया. कुरुक्षेत्र के युद्ध में जब अर्जुन ने अपने सगे-संबंधियों के खिलाफ युद्ध करने से इनकार कर दिया, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें भगवद गीता का उपदेश दिया, जिसमें उन्होंने कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग का ज्ञान दिया.
महाभारत में कूटनीति
श्रीकृष्ण ने पांडवों की ओर से शांतिदूत बनकर कौरवों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन जब वे नहीं माने, तो उन्होंने युद्ध का समर्थन किया. उन्होंने अर्जुन से भीष्म, द्रोण और कर्ण जैसे योद्धाओं का वध करवाया.
16,108 रानियों से विवाह
श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी, सत्यभामा, जाम्बवती सहित 16,108 रानियों से विवाह किया. उनके पुत्र प्रद्युम्न और पौत्र अनिरुद्ध थे. उन्होंने सुदामा जैसे सच्चे भक्त को स्नेह दिया और मित्रता का सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया.
श्रीकृष्ण का गोलोक प्रस्थान
कहते हैं कि महाभारत युद्ध के बाद, श्रीकृष्ण द्वारका लौट आए. इस दौरान एक दिन जरा नामक शिकारी ने गलती से उनके पैर में तीर मार दिया, जिससे उनका शरीर नश्वर हो गया.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)