नहीं छिप पाएगी धरती की कोई हलचल, बाज की तरह नजर रखेगा भारत-अमेरिका का 'NISAR', जानें खासियतें
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नहीं छिप पाएगी धरती की कोई हलचल, बाज की तरह नजर रखेगा भारत-अमेरिका का 'NISAR', जानें खासियतें

Nisar Project: ISRO और NASA मिलकर एक संयुक्त मिशन संचालित कर रहे हैं.  यह मिशन पृथ्वी के सतह का अध्ययन करेगा. इससे धरती पर होने वाले सभी भौगोलिक बदलावों को बिना किसी रुकावट के ट्रैक किया जा सकेगा.   

 

नहीं छिप पाएगी धरती की कोई हलचल, बाज की तरह नजर रखेगा भारत-अमेरिका का 'NISAR', जानें खासियतें

Nisar Project: भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO और NASA संयुक्त रूप से एक मिशन संचालित कर रहा है. निसार प्रोजेक्ट ( NISAR Project) नाम का यह मिशन पृथ्वी के सतह का अध्ययन करने के लिए एक द्विपक्षीय रडार मिशन है. इसके अलावा इस मिशन के जरिए जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को लेकर भी स्टडी की जाएगी. बता दें कि यह मिशन मार्च 2025 को लॉन्च हो सकता है. 

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धरती की निगरानी करेगा मिशन 
NASA के साथ भारत के इस महत्वाकांक्षी मिशन NISAR (नासा इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार) को जल्द लॉन्च किया जाएगा. इस मिशन में ISRO एक सिंथेटिक एपर्चर रडार को अंतरिक्ष में भेजेगा, जो धरती पर होने वाली सभी भौगोलिक बदलावों को बिना किसी रुकावट के ट्रैक करेगा. यह मिशन धरती की निगरानी करने वाले उपग्रहों की क्षमता से भी कहीं आगे होगा. निसार सैटेलाइट धरती पर होने वाले सबसे छोटे बदलावों को भी पकड़ सकता है, जो कि 10 मीटर तक की दूरी पर हो सकती है. 

भूकंप को करेगी मॉनीटर 
NISAR सैटेलाइट दुनिया की पहली डुअल फ्रिक्वेंसी रडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जिसमें NASA के L- बैंड ( 1.25 गीगाहर्ट्ज) और ISRO के S-बैंड ( 3.2 गीगाहर्ट्ज) दोनों रडार लगे हैं. यह टेक्नोलॉजी भूकंप को मॉनीटर करने, ग्लेशियर में हलचल, वनों की कटाई और प्राकृतिक आपदाओं से बुनियादी ढांचे को होने वाले नुकसान को भी मॉनीटर करेगा. 2.8 टन का यह सैटेलाइट हर 12 दिन में पृथ्वी की लगभग सारी जमीन, बर्फ की सतह और हाई रिजल्यूशन वाली सारी तस्वीरें उपलब्ध करवाएगा.  

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गगनयान मिशन की भी तैयारी 
NISAR मिशन के अलावा भारत इस साल गगनयान मिशन के तहत एक अनक्रूड मिशन को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजेगा. यह मिशन भारत के अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजने की तैयारी का ही एक हिस्सा है. गगनयान मिशन के लिए भारत ने 20,193 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है. यह मिशन भारत के एक अन्य महत्वाकांक्षी परियोजना, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के साथ जुड़ा हुआ है. 

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