Mohamed Muizzu 2024 Maldivian parliamentary election: आज मालदीव में चुनाव है. भारत की चुनावी नतीजों पर पैनी नजर है. भारत-मालदीव में विवाद की शुरुआत 15 नवंबर 2023 को हुई, जब मोहम्मद मुइज्जू ने राष्ट्रपति की शपथ ली थी. उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में 'इंडिया आउट' मुहीम चलाई थी.
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Maldives Parliamentary Elections 2024: हिंद महासागर में भारत के पड़ोसी मालदीव में संसदीय चुनावों के लिए वोटिंग हो रही है. जहां के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की विवादास्पद भारत विरोधी नीतियों (Anti India Policy) के चलते दोनों के बीच तनाव बना हुआ है. मालदीव के आम चुनाव में भारत सरकार को मुख्य विपक्षी दल, मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) की जीत की उम्मीद है, जो भारत की समर्थक है. आज का चुनाव हिंद महासागर द्वीपसमूह से भारतीय सैनिकों को बाहर निकालने के फैसले का भी परीक्षण करेगा. हालांकि मतदान से दो दिन पहले मालदीव में कुछ ऐसा हुआ जिसने राष्ट्रपति मुइज्जू की पार्टी को तगड़ा झटका लग सकता है.
दरअसल आम चुनावों से ठीक पहले, राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के 2018 से किए गए कथित भ्रष्टाचार की रिपोर्ट लीक होने के बाद विपक्षी दलों ने मामले की जांच और उन पर महाभियोग की मांग शुरू कर दी है, हालांकि राष्ट्रपति दफ्तर की ओर से सभी आरोपों को खारिज कर दिया है.
संसद का चुनाव
मालदीव में मजलिस (संसद) के लिए रविवार को चुनाव होने हैं. आज ही ये तय हो जाएगा कि मुइज्जू के भारत विरोधी रुख को लेकर उनके देश की जनता क्या सोचती है. वोटिंग शुरू होने के चंद दिनों पहले शुरू हुए धुंआधार प्रचार में मोइज्जू अपने एंटी इंडिया स्टैंड पर दांव लगा रहे हैं. वहीं मुख्य विपक्षी मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) और मुइज्जू की पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (PNC) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है.
मुइज्जू की सबसे बड़ी चुनौती
मतदान से पहले, मालदीव की मुख्य विपक्षी दल मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता और पूर्व विदेश मंत्री, अब्दुल्ला शाहिद ने चुनाव से एक दिन पहले सकारात्मक रुख अपनाते हुए पार्टी की जीत का दावा किया है. उनका कहना है कि मुइज्जू की सरकार बीते 5 महीनों में घरेलू और विदेशी हर मोर्चे पर फेल रही है. मालदीव के लोग देख रहे हैं कि कैसे मुइज्जू के राज में मालदीव के लोकतांत्रिक मूल्यों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गईं. मुइज्जू खुद भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हैं. उनका एंटी इंडिया स्टैंड भी उन्हें चुनावों में बैकफायर कर सकता है.
पिछली संसद में विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) के पास 44 सांसदों के साथ बहुमत था. संसद में बहुमत नहीं होने के कारण मुइज्जू के लिए नए कानून बनाने में दिक्कतें पेश आ रही हैं. ऐसे में मनमाने तरीके से मुल्क चलाने के लिए मुइज्जू की पार्टी को हाल में बहुमत की दरकार है. मालदीव के लोगों के सामने इस चुनाव में बेरोजगारी, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का विकास और खराब अर्थव्यवस्था प्रमुख मुद्दे रहे हैं.
झूठे सपने बेंच रहे मुइज्जू: MDP
शाहिद ने कहा कि मुइज्जू ने मुल्क में झूठ और नफरत फैलाकर पूर्ववर्ती सरकार की सारी विकास परियोजनाओं को रोक दिया गया. मालदीव की सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों में कर्मचारियों को धमकाया जा रहा है. मुइज्जू तानाशाही चला रहे हैं. विपक्ष के हजारों लोगों को निलंबन और नौकरी से बर्खास्त करने की धमकी दी जा रही है. जनता के पैसे की बर्बादी और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है. ऐसे में जनता वोट की ताकत से देश का माहौल बिगाड़ने वालों को सजा देगी.
मालदीव की संसद में 93 सांसद चुने जाते हैं. चुनावी अखाड़े में 8 राजनीतिक पार्टियां हैं. जिन्होंने 93 सीटों पर 368 उम्मीदवार उतारे हैं. आज 2.8 लाख से अधिक मतदाता 602 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. MDP को उम्मीद है कि उनकी पार्टी 65 सीटें जीत सकती है. दूसरी ओर सत्तारूढ़ पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (PNC) गठबंधन बहुमत का दावा कर रहा है. कुछ समय पहले सत्ताधारी पार्टी ने विपक्षी नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कराया था.
मालदीव चुनावों के लिए तीन देशों में वोटिंग
मालदीव के चुनावों के लिए आज केरल, क्वालालंपुर और कोलंबों में भी वोटिंग होगी. मालदीव के कई लोग रोजगार के सिलसिले में भारत, श्रीलंका और कोलंबो में काम करते हैं. वहां के चुनाव आयोग ने उन्हें मतदान की सुविधा प्रदान की है. ऐसे में मालदीव के आम चुनावों के लिए आज भारत में भी वोटिंग होगी.
चीन समर्थक मुइज्जू भारत विरोधी रुख पर अड़े हैं. उनकी पार्टी पर चीन से अपरोक्ष रुप से फंड लेने का आरोप लग चुका है. मुइज्जू के PPM-PNC गठबंधन ने 'इंडिया आउट' का नारा देकर सितंबर 2023 में राष्ट्रपति चुनाव जीता था. उस नतीजे को इंटरनेशनल लेवल पर भारत और चीन के बीच आमने-सामने के रूप में देखा गया था.
भारतीय सैनिकों को निकाला
उनकी चीन समर्थक छवि को उस वक्त मजबूती मिली जब वह पिछले साल जनवरी में बीजिंग गए. शी जिनपिंग के अफसरों और चीनी नेताओं ने उन्हें ऐसी पट्टी पढ़ाई कि उन्होंने चुनाव जीतते ही भारत के साथ कई पुराने और अहम रक्षा समझौते रद्द कर दिए. मुइज्जू ने भारतीय नौसैनिक हेलिकॉप्टरों का संचालन करने वाले भारतीय सैनिकों को निष्कासित करने और उस समझौते से बाहर निकलने का निर्णय लिया था, जिसने भारतीय नौसेना को मालदीव के जलक्षेत्र में हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दी थी.
मालदीव में करीब 88 भारतीय सैनिक हैं. जो दो चॉपर्स और एक एयरक्राफ्ट का ऑपरेशन संभालते हैं. आमतौर पर इनका इस्तेमाल रेस्क्यू या सरकारी कामों में किया जाता है. मुइज्जू विरोधियों का कहना है कि मालदीव में तैनात भारतीय सैनिक, प्राकतिक आपदा और अन्य मुश्किलों में मालदीव के लोगों की मदद करते थे. उन्हें वापस भेजकर मुइज्जू ने एक तरह से अपने पैरों में कुल्हाड़ी मार ली है.
मुइज्जू ने मालदीव से भारतीय सैनिक के पहले समूह की वापसी के लिए 10 मार्च की समय सीमा तय की थी. इसके तहत 25 भारतीय सैनिकों के पहले समूह ने 11 मार्च को ही मालदीव छोड़ दिया था. फरवरी में दिल्ली में हुए मालदीव-भारत के बीच नए समझौते में तय हुआ था कि सैन्य विमानों के संचालन की देखरेख के लिए मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों की जगह भारत की टेक्निकल स्टाफ टीम लेगी.