नई दिल्लीः चीन समुद्र में अपनी रक्षा क्षमताओं को तेजी से आगे बढ़ा रहा है. लगभग 10 साल पहले चीनी राष्ट्रपति ने अपने देश की सेना को दुनिया में सबसे शक्तिशाली बनाने का प्लान पेश किया था. अब चीन कई देशों से आगे निकल चुका है. दक्षिण चीन सागर में तैनात चीनी सबमरीन समुद्र में उसके दबदबे को बढ़ाती है. चीन की बढ़ती रक्षा क्षमताओं की वजह से पेंटागन ने भी एक रिपोर्ट जारी की.
एडवांस्ड मिसाइलें फिट कर रहा चीन?
साल 2023 की पेंटागन की रिपोर्ट की मानें तो चीन अपने तटीय जल से पहली बार अमेरिका को निशाना बनाने में सक्षम होगा. इसके लिए चीन अपनी पनडुब्बियों में जेएल-3 मिसाइलें फिट कर रहा है. माना जा रहा है कि इनकी अनुमानित सीमा 10 हजार किमी से भी अधिक है. हालांकि कुछ रिपोर्ट्स में जेएल-3 की तैनाती पर संदेह जताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि इसका इस्तेमाल टाइप 096 एसएसबीएन से किया जा सकता है. अभी ये पनडुब्बी निर्माणाधीन है.
चीन के पास हैं 6 परमाणु पनडुब्बियां
अभी चीन के पास 6 परमाणु पनडुब्बियां हैं. इनसे वह जेएल-2 मिसाइलें दागने में सक्षम है. चीन की अपनी समुद्री क्षमताओं को मजबूत करना तब काफी अहम हो जाता है जब दक्षिण चीन सागर में उसकी गतिविधियों पर अमेरिका और उसके सहयोगियों की पैनी नजर रहती है.
चीन की 094 पनडुब्बी की बात करें तो इसके बारे में रिपोर्ट्स में तब जानकारी सामने आई जब इसे ताइवान स्ट्रेट में देखा गया था. तब इसे कोई रडार नहीं पकड़ सका था. खास बात यह है कि ये अपनी गुप्त क्षमताओं के लिए जानी भी नहीं जाती है. इससे निकलने वाली आवाज के लिए इसकी आलोचना की जाती थी.
टाइप 094 पनडुब्बी को जिन-क्लास के नाम से भी जाना जाता है. ये पनडुब्बी परमाणु बमों को भी ले जा सकती है. इसके अलावा ये अपने कम से कम 60 परमाणु बमों के साथ समुद्र में गहराई तक जा सकती है.
बता दें कि चीन के लिए परमाणु पनडुब्बी बनाना इतना आसान भी नहीं रहा है. चीन के चेयरमैन माओ जेडॉन्ग ने 1959 में न्यूक्लियर सबमरीन बनाने के लिए प्रोजेक्ट 09 की शुरुआत की थी. चीन ने पहली परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी का निर्माण 1981 में किया था. ये टाइप -92 एक्सआईए-क्लास पनडुब्बी थी.
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