Arshad Madani: मौलाना अरशद मदनी का हिंदुस्तान में इस्लाम और समग्र राष्ट्रवाद को लेकर बड़ा बयान आया है. उन्होंने नफरत की सियासत की तनकीद की है. पढ़ें पूरी खबर
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Arshad Madani: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के चीफ अरशद मदनी का बड़ा बयान आया है. उन्होंने समग्र राष्ट्रवाद को लेकर बयान दिया है. अरशद मदनी का कहना है कि हर हिंदुस्तानी की एक कौम है, फिर वह चाहे मुसलमान, सिख, हिंदू या फिर ईसाई क्यों न हो.
अरशद मदनी ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर किया है और कहा है कि आज सांप्रदायिक लोग समग्र राष्ट्रवाद को बांटना और खत्म करना चाहते हैं. लेकिन, हम उनको ऐसा नहीं करने देंगे. हिंदू, मुसलमान और दलित को अलग-अलग बताना मुल्क की तबाही की बुनियाद है.
मौलाना अरशद मदनी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा,"जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने समग्र राष्ट्रवाद के लिए काम किया है, यानी भारत एक विविध राष्ट्र है, जिसमें कई तरह की जातियां, संस्कृतियां, जनजातियां, समुदाय, और धर्मों के लोग रहते हैं लेकिन वह सब अपनी विशिष्ट धार्मिक परंपराओं को कायम रखते हुए, वे एकजुट भारत मुल्क से मेंबर हैं, उनके दरमियान कोई भेद भाव नहीं लेकिन आज सांप्रदायिक लोग उस समग्र राष्ट्रवाद को बाटना और खत्म करना चहते हैं."
— Arshad Madani (@ArshadMadani007) February 11, 2025
अपने भाषण के दौरान मौलाना अरशद मदनी ने भारत पर मुसलमानों के इतिहास पर भी रोशनी डाली. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में मुसलमान 200-300 सालों से नहीं है. बल्कि सबसे पहले पहली सदी में केरल में इस्लाम पहुंचा. इसके बाद सिंध में पहुंचा. मोहम्मद बिन कासिम वहां आएं. दूसरी सदी में यहां इस्लाम पनपने लगा. मुसलमान यहां 1300-1400 साल से रहते आए हैं.
उन्होंने आगे कहा कि आज नफरत की सियासत को जन्म दिया जा रहा है. सियासत को बुनियाद बनाकर काम किया जा रहा है. ये हिंदुस्तान नहीं है. 144 साल से हिंदुस्तान की तारीख नहीं है. अगर ऐसा होता तो मुसलमान और इस्लाम खत्म हो जाते.
मदनी ने 1757 का जिक्र करते हुआ कहा कि उस वक्त हिंदुस्तान की सरहदें अलग नहीं थीं. हिंदुस्तान फैला हुआ था. इसमें बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान और अफगानिस्तान मिले हुए थे. उस समय पूरे मुल्क की आबादी 4 करोड़ रुपये थी. उस वक्त समग्र राष्ट्रवाद था. हर गांव में भाई-भाई की तरह रहते थे. लेकिन, अब ऐसा लगता है कि जलजला (भूकंप) आ गया है.